The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Upper caste students refuse mi...

दलित 'भोजनमाता' के हाथ से बना मिड-डे मील खाने से छात्रों का इन्कार, बाद में महिला की नौकरी भी गई

मामला उत्तराखंड के सूखीढांग इंटर कॉलेज का है.

Advertisement
Img The Lallantop
सांकेतिक फोटो
pic
डेविड
22 दिसंबर 2021 (Updated: 23 दिसंबर 2021, 11:55 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
दलित महिला के हाथ का बना खाना सामान्य वर्ग के छात्रों ने नहीं खाया. मामला उत्तराखंड के एक स्कूल का है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां अगड़ी जाति के छात्रों ने दलित महिला के हाथ से बना मिड-डे मील खाने से इन्कार कर दिया. बाद में महिला की नौकरी भी चली गई. लेकिन कोई राय बनाने से पहले घटनाक्रम जान लेते हैं.

गलत नियुक्ति की बात सामने आई

अखबार के मुताबिक चंपावत के सूखीढांग इंटर कॉलेज में दलित महिला की नियुक्ति 'भोजनमाता' के पद पर हुई. बताया गया कि अगड़ी जाति के छात्र इस बात से इतना नाराज हुए कि महिला के हाथ से बना खाना खाने से ही इन्कार कर दिया. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि छात्र इसलिए नाराज हुए क्योंकि महिला की नियुक्ति गलत तरीके से हुई थी. लेकिन भोजनमाता की नियुक्ति से छात्रों का क्या लेना-देना, उन्हें तो खाना मिलने से मतलब होना चाहिए. हिन्दुस्तान अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में 230 छात्र पढ़ते हैं. इनमें से क्लास 6 से 8वीं तक के 66 बच्चे मिड-डे मील के दायरे में आते हैं. लेकिन सोमवार, 20 दिसंबर को केवल एससी वर्ग के 16 छात्रों ने मिड-डे मील खाया. वहीं सामान्य वर्ग का कोई भी छात्र नहीं आया क्योंकि एससी वर्ग की 'भोजनमाता' ने खाना तैयार किया था. ऐसे कई बच्चे घर से ही टिफिन लेकर आए थे. वहीं कइयों ने खाना ही नहीं खाया. इसके बाद विवाद हुआ. स्थानीय मीडिया में खबरें छपीं. इसके अगले दिन स्कूल की मैनेजमेंट कमेटी, अभिभावक संघ और अन्य लोगों की बैठक हुई. एडी बेसिक अजय नौटियाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी आरसी पुरोहित, बीईओ अंशुल बिष्ट ने जांचकर भोजनामाता की नियुक्ति को ही अवैध करार दिया और इसे रद्द कर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिनों पहले स्कूल ने भोजनमाता की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था. इसके लिए 10 महिलाओं ने आवेदन किया. ग्रामीणों के मुताबिक अभिभावक संघ और प्रबंधन समिति की मौजूदगी में सर्वसम्मति से खुली बैठक में पुष्पा भट्ट को भोजनमाता नियुक्त किया गया. लेकिन आरोप है कि इस बीच दूसरी महिला को भोजनमाता नियुक्त कर दिया गया. हालांकि स्कूल प्रबंधन समिति खुली बैठक में सामान्य वर्ग की महिला की नियुक्ति को सिरे से खारिज कर रहा है. उनका कहना है कि शासनादेश के अनुरूप ही भोजनमाता की नियुक्ति की गई. लेकिन कुछ लोगों को ये पसंद नहीं आय़ा. जिसके कारण लोग विरोध कर रहे हैं. अमर उजाला की खबर के मुताबिक, सामान्य वर्ग के छात्रों के खाना खाने से इन्कार करने के बाद क्षेत्र के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने खंड शिक्षा अधिकारी को मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा. मुख्य शिक्षा अधिकारी ने बताया कि खुली बैठक में दोनों पक्षों को सुनने और अभिलेखों की जांच में भोजनमाता की नियुक्ति अवैधानिक पाई गई. इसलिए नियुक्ति रद्द कर दी गई. अब जल्द ही नए सिरे से विज्ञप्ति निकालकर भोजनमाता की नियुक्ति होगी.

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement