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मनीषा शर्मा

Sub Editor

इनकी सैंडल्स की हाईट देखकर लोग रोज़ शर्तें लगाते हैं कि आज टखना मुड़ेगा या नहीं. मनीषा गुलाबी शहर से हैं. गुलाबी मिज़ाज की हैं. एक ही फ़िलॉसफ़ी - 'जीवन केवल आज ही है, भरपूर जियो!' रातभर रीलें देखती हैं, तड़के आकर सोशल मीडिया से जुड़ी ख़बरें लिखती हैं, फिर अपनी ख़बरों पर रील बना देती हैं. शास्त्रों में इसे ही 'रील इनसेप्शन' कहा गया है. ऑफ़िस में बिल्कुल मन नहीं लगता, इसीलिए रिपोर्टिंग के आइडियाज़ बीनती रहती हैं. बाक़ी, जबसे पक्की नौकरी है, लल्लनटॉप को घेवर सप्लाई करने का ठेका इन्हीं का है.

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