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बिलक़िस बानो पर बात करते हुए रो पड़ीं शबाना आज़मी

दिल्ली के जंतर मंतर पर बिलक़िस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ प्रोटेस्ट का आयोजन किया गया.

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प्रोटेस्ट के दौरान शबाना आज़मी. (साभार: इनहॉउस)
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मनीषा शर्मा
27 अगस्त 2022 (Updated: 28 अगस्त 2022, 10:54 IST)
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बिलक़िस बानो के दोषियों को जेल से रिहा किए जाने के खिलाफ दिल्ली में आज, 27 अगस्त को जंतर मंतर पर प्रोटेस्ट किया गया. प्रोटेस्ट में शामिल शबाना आज़मी अपनी बात कहते-कहते भावुक हो गई. शबाना ने कहा,

“गुजरात सरकार ने कहा है कि दोषियों को 1992 लॉ के तहत रिहाई दी गई है. इसी साल, 2022 में होम मिनिस्ट्री ने कहा था कि किसी भी रेपिस्ट को रिहाई नहीं दी जाएगी. लेकिन फिर ये आर्डर गुजरात सरकार ने कैसे दिया? क्या ये मुमकिन है गुजरात सरकार ऐसा कदम उठा सकेगी बिना सेंटर की परमिशन के? तो औरत होने के नाते, हिंदुस्तानी होने के नाते हम सबका फर्ज़ है कि हम बड़ी से बड़ी भीड़ को इकट्ठा करें और हम ये बता दें कि, इस तरह का जुल्म हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. बिलक़ीस बानो और उसके परिवार के साथ जो हुआ है उसके बाद हम अपने हिंदुस्तान को ये करते हुए नहीं देख सकते हैं. इसलिए हम सब मिलकर आवाज उठाएंगे.”

  
प्रोटेस्ट में सुभाषिनी अली भी आईं थीं. सुभाषिनी ने ही गुजरात और केंद्र सरकार को बिलक़ीस बानो केस पर 11 दोषियों को रिहाई देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी, जिसके बाद कोर्ट ने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. सुभाषिनी जी ने कहा, 

"बिलक़िस बानो के साथ जो हुआ उस बात ने हम सबको यहां धखेला है. लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि हमारी लड़ाई बिलक़िस के लिए इंसाफ की लड़ाई तो है ही, लेकिन ये लड़ाई इससे भी कई ज़्यादा बड़ी है. जितने लोग यहां पर हैं वो अपने घरों में भी जाकर कहें कि अगर आपको अपनी लड़ाई लड़नी है, अगर आपको जिंदा रहना है, अगर आपको न्याय की उम्मीद रखनी है तो आपको भी लड़ना होगा. आपको भी सड़क पर उतरना होगा. आपको भी अपनी आवाज हमारी आवाज के साथ जोड़नी होगी. ये एक दो की लड़ाई नहीं हम सबकी लड़ाई है."

 सुभाषिनी अली

शायर गौहर रज़ा भी इस प्रोटेस्ट में आए थे. और उन्होंने कहा,

 "जो लोग चुप हैं वो भी रेप में शामिल हैं."

गौहर रज़ा

इसके अलावा प्रोटेस्ट में कविता कृष्णन भी शामिल हुईं. वो अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ की सेक्रेटरी (All India progressive women association) हैं. उन्होंने कहा, 

“यहां मामला ये है कि एक मुस्लिम महिला का गैंगरेप करने के लिए. उसकी मां, उसकी बहन का गगैंगरेप करने के लिए. उसके परिवार के 11 लोगों की हत्या करने के लिए. उसकी तीन साल की बेटी की हत्या करने के लिए. इनको जल्दी छोड़ा गया है. उनको रिवॉर्ड दिया गया है. ये रिमिशन नहीं है ये रिवॉर्ड है. उनको छोड़ा गया है इस अपराध को करने के लिए और इसलिए उन्हें माला पहनाई जा रही है, मिठाई दी जा रही है. ये माला मिठाई इसलिए भी दी गई है कि 2022 में गुजरात के वोटर्स को कहा जा सके कि मुस्लिम महिलाओं के रेपिस्ट के साथ हम हैं. हम सब बिलक़िस बानो के साथ हैं.”

बिलक़िस बानो केस में क्या हुआ है?

बिलक़िस बानो रेप केस में 11 दोषियों को 2008 में मुंबई की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. गुजरात की सरकार ने माफी नीति के तहत सभी दोषियों को 15 अगस्त को रिहा कर दिया. गोधरा जेल से रिहाई के बाद दोषियों का फूल माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया. इन दोषियों को वापस जेल भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई है.

क्या है Bilkis Bano Gangrape मामला?

27 फरवरी 2002. गुजरात के गोधरा स्टेशन पर खड़ी साबरमती एक्सप्रेस को आग के हवाले कर दिया गया. ट्रेन में सवार 59 कारसेवक झुलस कर मर गए. ये आग यहां रुकी नहीं. दंगे भड़क गए. पूरा गुजरात जलने लगा. इस घटना के ठीक 4 दिन बाद, 3 मार्च, 2002 को दाहोद ज़िले से बिलक़िस बानो का परिवार महफ़ूज़ जगह की तलाश में निकला. एक ट्रक में. जैसे ही ट्रक राधिकापुर पहुंचा, दंगाइयों ने उसे घेर लिया. दंगाइयों ने ट्रक में सवार 14 लोगों को मार डाला. बिलक़िस बानो तब 19 साल की थीं. पांच महीने की गर्भवती और गोद में तीन साल की बेटी. गोधरा के बदला और ‘धर्मरक्षा’ के नाम पर जुटी भीड़ ने बिलक़िस के सामने ही उनकी तीन साल की बेटी को पटक-पटककर मार डाला.

बिलक़ीस बानो

इसके बाद 'धर्मरक्षकों' ने बिलक़िस बानो का गैंगरेप किया. 11 लोगों ने. एक के बाद एक. बेहोश हो गईं, तो उन्हें मरा समझकर वहीं छोड़ दिया और फ़रार हो गए. जब बिलक़ीस को होश आया तो वो लाशों के बीच पड़ी थीं. उस दिन को याद करते हुए बिलक़िस बताती हैं,

“मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. मेरे चारों तरफ मेरे परिवार के लोगों की लाशें बिखरी पड़ी थीं. पहले तो मैं डर गई. मैंने चारों तरफ देखा. मैं कोई कपड़ा खोज रही थी ताकि कुछ पहन सकूं. आखिर में मुझे अपना पेटीकोट मिल गया. मैंने उसी से अपना बदन ढका और पास के पहाड़ों में जाकर छुप गई.”

जनवरी 2008 में मुंबई की एक CBI अदालत ने बिलक़िस बानो के गैंगरेप के आरोप में 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस सज़ा को बरक़रार रखा. 15 साल से ज़्यादा समय तक जेल में रहने के बाद दोषियों में से एक ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ ने गुजरात सरकार को रिहाई की याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया.

वीडियो: बिलक़िस बानो गैंगरेप केस में सज़ा देने वाले जज ने गुजरात सरकार को लेकर क्या कहा?

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