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पैदा होते ही जिसे फेंक देना चाहता था पिता, उसी बेटी ने कैंसर का इलाज करवाया

अंजना के दोनों हाथ नहीं हैं, वो पैरों से पेंटिंग बनाती है.

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rishikesh anjana malik paintings
अंजना मलिक (साभार: आजतक)
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मनीषा शर्मा
1 सितंबर 2022 (Updated: 3 सितंबर 2022, 20:16 IST)
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कहते हैं कि कामयाबी के बाद जितने हाथ तालियां बजाने के लिए उठते हैं, उसके आधे भी हाथ अगर संघर्ष के दौरान उठे तो मेहनत कम और सफलता की राह आसान हो जाए. यहां बात हो रही है ऋषिकेश की रहने वाली अंजना मलिक की सफलता की, जो जन्म से विकलांग थीं और उनके पिता ने पैदा होते ही उन्हें फेंकने को कह दिया था. आज अंजना ने अपनी पहचान एक आर्टिस्ट के तौर पर बनाई है, वो पैरों से पेंटिंग्स और स्केचेस बनाती हैं. इन स्केचेस से पैसे कमाकर उन्होंने हाल ही में अपने पिता का इलाज करवाया है.

क्या है अंजना की कहानी

आजतक से जुड़ीं तेजश्री पुरंदरे की रिपोर्ट के मुताबिक, अंजना जन्म से विकलांग थीं. उनके दोनों हाथ नहीं थे. उनके पिता ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया था. उनकी मां से उन्हें फेंक देने को कहा था. लेकिन अंजना की मां ने उन्हें संभाला. उन्होंने अपने पैरों से लिखना सीखा. पैरों से ही वो श्रीराम, श्रीराम लिखा करती थीं. एक दिन एक विदेशी महिला ने उन्हें देखा और पेंटिंग करने की सलाह दी. इसके बाद अंजना ने अपने पैरों से पेंटिंग्स बनाना शुरू किया. और अब उनका घर उनकी पेंटिंग्स से होने वाली कमाई से ही चलता है.

अंजना मलिक (साभार: आजतक)

फिर एक दिन उनके पिता की तबीयत खराब हो गई. डॉक्टर ने बताया कि उनके पिता को कैंसर है. अंजना ने अपने पिता के इलाज के लिए पैसे जोड़े, ज्यादा मेहनत की. दिन रात काम किया जिससे उनका इलाज हो सके. इलाज के दौरान कुछ समय उनके पिताजी ठीक रहे लेकिन फिर उनका देहांत हो गया. अंजना कहती हैं,

"भगवान ने मुझे जो दिया है, जैसे बनाया है मैं वैसे ही खुश हूं. मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. बस मैंने अपने सफर से यही सीखा है कि चाहे कुछ भी हो जाए कभी हार नहीं मानना है. मैं दूसरों को भी यही सलाह देती हूं कि चाहे कुछ भी हो है जिंदगी रुकनी नहीं चाहिए, कुछ न कुछ काम करते रहना ही चाहिए. आप सफर में टूटेंगे, गिरेंगे , लड़खड़ाएंगे लेकिन चलना जारी रखना होगा तभी आप सुबह के सूरज को देख पाएंगे."

अंजना की बनाई हुई पेंटिंग (साभार: आजतक)

अंजना के परिवार में उनकी मां और भतीजा है. पिता के देहांत के बाद अंजना ही घर खर्च चलाती हैं. अंजना का दिन सुबह पांच बजे ही शुरू हो जाता है. क्योंकि उन्हें आठ बजे से पेंटिंग्स बनानी होती है. विकलांगता के कारण उन्हें घर से लक्ष्मण झूला पहुंचने में दो घंटे का समय लग जाता है. अंजना की पेंटिंग्स में देवी-देवताओं का प्रभाव दिखता है, राधा-कृष्ण, राम-सीता की उनकी पेंटिंग्स भारत ही नहीं विदेश में भी खूब पसंद की जाती है. अंजना का इंस्टाग्राम पर @fres.coa के नाम से पेज है. जहां आप अंजना की बनाई हुई पेंटिंग्स और स्केचेस देख सकते हैं.
 

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