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तालिबान ने उल्टा ह्यूमन राइट्स वालों को ही महिलाओं का दुश्मन बता दिया!

'अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के असल दुश्मन ये ह्यूमन राइट्स वाले ही हैं.'

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मोहम्मद ख़ालिद हनफ़ी (फोटो - Shutterstock/AP)
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सोम शेखर
2 अगस्त 2022 (Updated: 2 अगस्त 2022, 13:10 IST)
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तालिबान ने 1 अगस्त को इंटरनैशनल कम्युनिटी पर आरोप लगाए कि वो मानवाधिकार की आड़ में अफ़ग़ानी महिलाओं की गरिमा का उल्लंघन कर रहे हैं. Minstry of Vice and Virtue के कार्यवाहक मंत्री मोहम्मद ख़ालिद हनफ़ी ने एक धार्मिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के असल दुश्मन ये ह्यूमन राइट्स वाले ही हैं. मंत्री ख़ालिद ने कहा,

"दुनिया हमारी बहनों की गरिमा का उल्लंघन करना चाहती है. उन्हें अभद्र और बेनक़ाब करना चाहती है. ये कैसा अधिकार है? अंतरराष्ट्रीय समुदाय चाहता है कि लड़का और लड़की एक ही कुर्सी पर बैठे. न तो हमारा देश, न ही हमारी मान्यताएं और न हमारा धर्म इसका समर्थन करता है."

इससे पहले हनफ़ी ने कहा था कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जुड़ाव के लिए तैयार है, लेकिन अगर वे इस्लाम के ख़िलाफ़ हैं, तो ये स्वीकार्य नहीं है.

ये आरोप तब आए हैं जब तालिबान के आधीन महिलाओं की स्थिति दुनियाभर के लिए एक चिंता का मुद्दा है. संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया कि तालिबान के क़ब्ज़े के बाद से ही अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं के हक़ ख़त्म हो गए हैं. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि तालिबान के सत्ता में आने से पहले, महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा, वर्कफ़ोर्स और पब्लिक लाइफ़ में पूरी तरह से भाग लेने का हक़ था. हालांकि, ये दूसरी बात अमेरिका कह रहा है.

टोलो न्यूज़ के मुताबिक़, सभा में भाग लेने वाले बाक़ी धार्मिक मौलवियों ने भी महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने के अलग-अलग आइडियाज़ दिए. गोया इस्लामिक मौलवी ज़ैनुल आबिदीन ने कहा,

"बालों की लंबाई शरिया पर आधारित होनी चाहिए."

अगस्त, 2021 में तालिबान के कब्ज़े के बाद से ही वहां महिलाओं पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं. सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी नगण्य कर दी गई. लड़कियों की माध्यमिक शिक्षा पर रोक लगा दी. इसके विरोध में महिलाएं ने काबुल और अफ़ग़ानिस्तान के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन भी हुए.

हाल ही में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के वित्त मंत्रालय में काम कर रही महिलाओं को अपनी जगह अपने किसी पुरुष रिश्तेदार को काम पर भेजने के लिए कहा. जून के आख़िरी हफ़्ते में भी तालिबान ने देश के कई हिस्सों में ऐसे पोस्टर्स लगवाए थे, जिसमें लिखा था कि जो महिलाएं हिजाब नहीं पहनती हैं वो जानवर जैसी दिखना चाहती हैं.

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