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पाकिस्तान की जेल में सालों बंद रहे सरबजीत सिंह की पत्नी की सड़क हादसे में मौत

सरबजीत सिंह की पत्नी सुखप्रीत और बहन दलबीर ने उन्हें छुड़ाने के लिए सालों लड़ाई लड़ी थी.

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सरबजीत की बहन और पत्नी ने सरबजीत की रिहाई के लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी (फोटो - आजतक)
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सोम शेखर
13 सितंबर 2022 (Updated: 13 सितंबर 2022, 14:02 IST)
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सरबजीत सिंह (Sarabjit Singh) की पत्नी सुखप्रीत कौर की सड़क हादसे में मौत हो गई है. 11 सितंबर को सुखप्रीत कौर (Sukhpreet Kaur) अपनी बेटी से मिलने के लिए अमृतसर जा रही थीं. अपने पड़ोसी के साथ. मोटरसाइकिल से. तभी एक दुर्घटना हुई और उनके सिर पर चोट लग गई. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

बहन और पत्नी दोनों की मौत

आजतक से जुड़े सतेंदर चौहान की रिपोर्ट के मुताबिक़, सुखप्रीत कौर अमृतसर के खज़ाना चौक के पास मोटरसाइकिल से गिर गईं. उनके सिर पर गहरी चोट आई. उन्हें फ़ौरन अमृतसर के महाजन हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. इस साल 26 जून को सरबजीत की बहन दलबीर की मौत हो गई थी. कार्डियक अरेस्ट से.

सरबजीत सिंह. भारत-पाकिस्तान सीमा पर रहने वाला एक किसान. सीमा पार पकड़ा गया और पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकवाद और जासूसी के लिए उसे दोषी ठहराया. फांसी की सज़ा भी हुई थी, लेकिन उस पर रोक लगा दी गई. फिर 2013 में लाहौर की जेल में उसकी हत्या कर दी गई. सरबजीत की रिहाई के लिए उनकी बहन दलबीर कौर और सुखप्रीत ने मुहीम शुरू की थी.

सरबजीत पर 2016 में एक फ़िल्म भी बनी थी. इसी नाम से, 'सरबजीत'. ओमंग कुमार ने डायरेक्ट की थी. रणदीप हूडा ने सरबजीत का रोल निभाया था. ऐश्वर्या राय ने उनकी बहन दलबीर का किरदार किया था और रिचा चढ्ढा ने सुखप्रीत का. फ़िल्म ने सरबजीत और उसके परिवार पर बीती त्रासदी को समेटने और इस कहानी को मेनस्ट्रीम में लाने की कोशिश की गई थी.

सरबजीत के साथ क्या हुआ था?

28 अगस्त, 1990. सरबजीत पाकिस्तान की सीमा के पार चले गए. तब उनकी बड़ी बेटी स्वप्नदीप तीन साल की थी और छोटी बेटी पूनमदीप केवल 23 दिन की. अपनी सफ़ाई में सरबजीत ने पाकिस्तानी अदालत में बताया था कि वो एक किसान हैं. सीमा के पास उनका घर है. भटकते हुए वो पाकिस्तान चले आए थे, लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने उनकी सुनी नहीं.

उन्हें रॉ एजेंट क़रार दिया गया था. लाहौर, मुल्तान और फैसलाबाद बम धमाकों का दोषी बताकर अदालत ने 1999 में उन्हें मौत की सज़ा सुनाई. पाकिस्तानी अदालत ने 1 अप्रैल, 2008 को फांसी की तारीख़ मुक़र्रर कर दी थी, लेकिन मामले ने तूल पकड़ा और सरबजीत के पक्ष में कई सबूत पेश किए गए. परिवार ने ये दलील दी कि पाकिस्तान उन्हें ज़बरदस्ती फंसा रहा है. मामला इंटरनैशनल लेवल तक गया. और, बहुत दबाव के बाद पाकिस्तान सरकार को फांसी का फ़ैसला टालना पड़ा. परिवार और देश को उम्मीद थी कि सरबजीत वापस आएंगे, लेकिन अप्रैल, 2013 में लाहौर जेल में कुछ क़ैदियों ने सरबजीत पर हमला कर दिया. इस हमले में सरबजीत की मौत हो गई थी.

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