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'महिलाओं का अपमान बंद करना होगा', लाल किले से बोले पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा- हमारे बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं.

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PM Modi speech
PM ने कहा कि महिलाओं का सम्मान भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. (फोटो - PTI)
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सोम शेखर
15 अगस्त 2022 (Updated: 15 अगस्त 2022, 12:59 IST)
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आज़ादी की 75वीं सालगिरह पर (Independence Day 2022) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लाल क़िले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि एक नई राह, एक नए संकल्प के साथ क़दम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है. कई आग्रहों और प्रणों के साथ नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की है कि महिलाओं का अनादर बंद करने का संकल्प लें.

PM मोदी ने कहा,

"लाल क़िले से एक बात मैं और कहना चाहता हूं. ये बात कहे बिना मैं नहीं रह सकता. मैं जानता हूं कि यह लाल क़िले का विषय नहीं है, लेकिन फिर भी अपने भीतर का दर्द मैं कहां कहूंगा. देशवासियों के सामने नहीं कहूंगा, तो कहां कहूंगा? किसी न किसी कारण से, हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है. हमारे बोलचाल में, हमारे व्यवहार में, हमारे कुछ शब्दों में हम नारी का अपमान करते हैं.

क्या हम स्वभाव से, संस्कार से रोज़मर्रा की ज़िंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं? नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है. ये सामर्थ्य मैं देख रहा हूं. और, इसलिए मैं इस बात का आग्रह करता हूं."


प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ये भी कहा कि एकता के लिए ज़रूरी है कि लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाए. कहा कि हमें ये सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि हम 'इंडिया फ़र्स्ट' के मंत्र के ज़रिए एकजुट हों. नारी शक्ति का ज़िक्र करते हुए PM मोदी ने लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, बेग़म हज़रत मोहल को याद किया. साथ ही कहा कि महिलाओं का सम्मान भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है.

25 सालों के लिए 5 प्रण

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने लोगों से कहा कि आजादी के 100 साल पूरे होने के लिए अभी से संकल्प लें, तभी ये देश विकसित होगा. कहा कि आने वाले 25 साल के लिए (2047 तक) हमें पांच प्रण पर अपने संकल्पों को केंद्रित करना होगा.

1. विकसित भारत का लक्ष्य - पीएम ने कहा कि अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत का. उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए.

2. गुलामी की मानसिकता से मुक्ति - दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना. सैकड़ों सालों की गुलामी ने हमारी सोच को बांध कर रखा हुआ है. हमें गुलामी की छोटी से छोटी चीजों से मुक्ति पानी ही होगी.

3. अपनी विरासत पर गर्व - हमें अपनी विरासत पर गर्व करना चाहिए. यही विरासत है, जिसने भारत को स्वर्णिम काल दिया था. यही विरासत है जो समय-समय पर परिवर्तन करने का सामर्थ्य रखती है.

4. एकता और एकजुटता - 130 करोड़ देशवासियों में एकता. न कोई अपना न कोई पराया. एक भारत और श्रेष्ठ भारत के सपनों के लिए यह चौथा प्रण है.

5. नागरिकों का कर्तव्य - इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता है. वो भी नागरिक हैं. ये 25 सालों के संकल्प को पूरा करने के लिए हमारे प्रण हैं.

इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें मानव केंद्रित व्यवस्था को खड़ा करना है. उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान, वैक्सीनेशन, ढाई करोड़ लोगों को बिजली कनेक्शन, खुले में शौच से मुक्ति, नवीन ऊर्जा, हम सभी मानकों पर संकल्प से बढ़ रहे हैं.

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