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मैरिटल रेप को लेकर केरल हाई कोर्ट का ये फैसला आंखें खोलने वाला है

कोर्ट बोला- पैसे और सेक्स की हवस में पति ने अपनी पत्नी की दुर्गति कर दी.

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Kerala High Court ने कहा कि पत्नी की मर्जी के बिना बनाए गए शारीरिक संबंध और कुछ नहीं बल्कि Marital Rape है. (बांई फोटो PTI से और दाईं प्रतीकात्मक )
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मुरारी
6 अगस्त 2021 (Updated: 6 अगस्त 2021, 14:16 IST)
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केरल हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप (Marital Rape) के एक मामले में एक जरूरी फैसला सुनाया है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि भले ही मैरिटल रेप को कानूनी तौर पर अपराध न माना जाता हो, लेकिन यह किसी महिला के लिए तलाक लेने का आधार बन सकता है. कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए पत्नी की तलाक की अर्जी के खिलाफ डाली गई पति की याचिका खारिज कर दी. 'मैरिटल रेप क्रूरता है' लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस कौसर एद्देपगाथ की खंडपीठ ने कहा,
"एक पति का मनमाना रवैया, जिससे पत्नी के शरीर पर अपने अधिकार का हनन हो, मैरिटल रेप (Marital Rape) है. भले ही मैरिटल रेप कानूनी तौर पर अपराध के दायरे में नहीं आता, लेकिन यह शारीरिक और मानसिक क्रूरता की श्रेणी में जरूर आता है."
कोर्ट ने आगे एक और जरूरी टिप्पणी की,
"हमारे सामने जो मामला है, वो एक महिला के संघर्ष को दर्शाता है. वो महिला जो कानून के एक ऐसे दायरे में फंसी हुई है, जो उत्पीड़न से उसकी मुक्ति को प्राथमिकता नहीं दे रहा है. एक पति की पैसे और सेक्स के प्रति हवस ने एक महिला की दुर्गति कर दी है. तलाक लेने की चिंता लेने में महिला अपने आर्थिक दावे भी भूल गई है. तलाक के लिए उसकी मांग न्याय के मंदिर में पिछले एक दशक से पड़ी हुई है."
रिपोर्ट के मुताबिक महिला ने कोर्ट को बताया कि शादी के वक्त उसका पति एक डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस करता था. शादी के बाद पति ने डॉक्टर का पेशा छोड़कर रियल इस्टेट में हाथ आजमाया. यह बिजनेस सही नहीं चला. जिसके बाद पति अपनी पत्नी का उत्पीड़न करने लगा. पति ने अपनी पत्नी के ऊपर पैसे देने का दबाव डाला. जिसके बाद पत्नी के पिता ने उसे 77 लाख रुपये दिए. 'पत्नी का शरीर पति की प्रॉपर्टी नहीं' महिला ने कोर्ट को यह भी बताया कि उसके पति ने उसके साथ शारीरिक हिंसा की. बिना उसकी मर्जी के सेक्स किया. बीमारी की हालत में भी. महिला ने आगे बताया कि उसके पति ने उस दिन भी जबरन सेक्स किया, जिस दिन उसकी मां की मृत्यु हुई थी. कोर्ट ने इस मामले के सबूतों पर नजर डालने के बाद टिप्पणी की,
"वैवाहिक जीवन में सेक्स पति और पत्नी के बीच की अंतरंगता को दर्शाता है. महिला ने जो सबूत दिए हैं, उनसे साफ पता चलता है कि उसके साथ हर तरह की यौन हिंसा हुई. यह साफ है कि पति ने महिला की सहमति और भावनाओं का कोई सम्मान नहीं किया."
कोर्ट ने यह भी कहा कि मैरिटल रेप तब होता है, जब पति को लगता है कि वो अपनी पत्नी के शरीर का मालिक है. कोर्ट ने कहा कि आधुनिक समाज में पति और पत्नी का दर्जा बराबरी का है. पति खुद को अपनी पत्नी से ऊंचा नहीं मान सकता है. फिर चाहे बात शरीर के अधिकार की हो या व्यक्तिगत आजादी की. कोर्ट ने आगे कहा कि अपनी पत्नी के शरीर को अपनी संपत्ति मानना और फिर उसकी मर्जी के बिना यौन संबंध बनाना और कुछ नहीं बल्कि मैरिटल रेप है. इस मामले में फैमिली कोर्ट ने पहले ही महिला को तलाक लेने की इजाजत दे दी थी. उसके पति ने इस फैसले के खिलाफ केरल हाई कोर्ट में याचिका डाली थी.

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