जन्मभूमि, कानैपुर और कर्मभूमि, दिल्ली. दोनों ऐतिहासिक शहर. इतिहास के छात्र हैं, इसीलिए इतिहास को जल्दी-जल्दी दर्ज करने का काम चुना. पर्याप्त पुराने व्यक्ति हैं. कैशलेस के दौर में कैश रखते हैं. वीकेंड और टेलर स्विफ़्ट के दौर में पिंक फ़्लॉएड और बेग़म अख़्तर सुनते हैं. जेंडर और क्लाइमेट जस्टिस के प्रति सजग. पंचायत से लेकर वॉइट हाउस तक जो कुछ हो रहा है, उसे जानने-समझने के लिए उत्सुक. छुट्टी के दिन चांदनी चौक या मंडी हाउस में पाए जाते हैं. न्यूज़ डेस्क का ज़िम्मा संभाला हुआ है और 'कोई है ही नहीं' के नाम पर ख़बरें भी लिख देते हैं.