वकील ने पत्रकार की ऐसी क्लास लगाई कि मज़ा आ गया
पत्रकार अकबका गया, जैसे-तैसे उसने इंटरव्यू संभाला.
वीडियो में हुई बातचीत कुछ इस प्रकार है. पत्रकार: ..आज इस मसले पर बात करने के लिए प्रोफेसर भीम सिंह जी की धर्मपत्नी हमारे साथ हैं. आपका मैम बहुत-बहुत स्वागत है. जय माला: आपको मेरा नाम लेना चाहिए. आप तो बड़े ट्रेडिशनल हैं. पत्रकार: अम्म.. नाम हम्म.. जय माला. मैं नाम बता दूं मैडम का. जय माला: आप माला कह दीजिए. पत्रकार: अम्म.. दरअसल कई सारे लोगों ने आपको देखा नहीं होगा. जय माला: तब तो आपको ज़रूर पूछना चाहिए कि कौन हो तुम? पत्रकार: मतलब मैं लोगों के लिए बोल रहा हूं. थोड़ा सा उनको बता दें कि आप कहां होती हैं. जय माला: नहीं. सिर्फ़ ये कहना कि ये जो लड़की है, इसकी मां है, इतना काफ़ी नहीं है. उसका नाम भी तो है कुछ. इसके बाद पत्रकार एकदम अकबका गया. कहने को कुछ नहीं था. किसी तरह उस इंटरव्यू को संभाला. आगे जय माला ने बताया कि उन्होंने 600 केसेज़ फ़ाइल किए हैं और जीते हैं. ये भी कहा कि उन्हें पब्लिसिटी पसंद नहीं हैं. इंटरनेट पर इस वीडियो का क्लिप ख़ूब वायरल हो रहा. लोग जय माला का अपनी इंडिविजुऐलिटी का स्टैंड लेने की तारीफ़ कर रहे हैं. तान्या सिंह नाम की एक यूज़र ने लिखा,Woman objects reporter for introducing herself by the name of her husband while interview.
"I'm a journalist and an Advocate. I have filed 600 cases and won each but I don't like publicity ", said Advocate Mala. pic.twitter.com/6NvyDKj3gt — Mohsin Dar (@mohsinahmaddar) March 25, 2022
"इंस्पायरिंग! महिला को पुरुष की पुत्री, पुरुष की पत्नी, पुरुष की मां के रूप में क्यों जाना जाता है? एक महिला में व्यक्ति के साथ क्या हुआ? मेरे पास अभी तक पैन कार्ड नहीं है, लेकिन जब भी बनेगा, मैं उस पर अपनी मां का पहला नाम रखूंगी."
एक उर्दूस्तानी नाम ट्विटर अकाउंट से लिखा गया,Inspiring! Why is a woman known as a mans daughter, mans wife, mans mother? What happened to the individual in a woman? I don't have a PAN card as of now but as and when I make it, I will put my mother's maiden name on it. I do have my mothers surname in my full name though. https://t.co/t11xWRim2o
— TanyaSingh (@T19Says) March 26, 2022
"सही समय पर सही बात पर आपत्ति उतनी ही जरूरी है जितना जीवन के लिए सांस लेना! अब वो 'हिकमत' से काम लेती, अकेले में कहतीं तो हमें पता भी नहीं लगता!"
स्पीक माय हार्ट नाम के ट्विटर अकाउंट से लिखा गया,"Objection for right thing at the right moment is as necessary as breathing for life!" Ab woh 'hikmat' se kam leti phir bad me akele me use kahti to hame pata bhi nahi lagta! Learn to say politely "I object" even in your family, friends, social and political platforms. https://t.co/BS22v1azfe
— ابن آدم (@EkUrdustani) March 26, 2022
कारण जो भी हो, अब समय आ गया है कि पुरुषों को (और महिलाओं को भी) किसी महिला को किसी पुरुष की बेटी/बहन/मां/पत्नी के रूप में संबोधित करने की अपनी बुरी आदत बंद कर देनी चाहिए. महिलाओं को यह अधिकार क्यों नहीं है कि उन्हें उनके अपने नाम से संबोधित किया जाए?
वहीं कुछ लोगों ने इस मामले का संदर्भ साफ़ करते हुए बताया,Whatever might be the reason, it’s high time that men ( & women too) should get over their bad habit of addressing a women as a daughter/sister/ mother/ wife of some man. Why can’t the women have the authority that they be addressed by their own name? Why keep on belittling them?
— Speakmyheart (@story_views) March 26, 2022
यह 'कॉफी विद करण' नहीं है. उनके पति पैंथर्स पार्टी के संरक्षक प्रोफेसर भीम सिंह ने पार्टी के लिए दो लोगों के खिलाफ शिकायत की है. इसी संदर्भ में उनका इंटरव्यू लिया जा रहा है. इसलिए इस संदर्भ में उनका ऐसे परिचय देना बहुत स्वाभाविक है. पत्रकार को बदनाम करने के लिए वीडियो काट दिया.
दिल्ली हाई कोर्ट में बीते दिनों इसी तरह की घटना हुई थी. 16 फरवरी को जस्टिस रेखा पल्ली एक मामले की सुनवाई कर रही थीं. सुनवाई के दौरान एक वकील बार-बार उन्हें ‘सर’ कहकर संबोधित कर रहे थे. जस्टिस रेखा ने उन्हें टोका,This isn't Coffee with Karan show. She is being interviewed for complaint filed by her husband Panthers party patron Prof Bhim Singh against some other two people. So it is very natural to introduce her in this context. You mischievously cut the video to defame journalist. pic.twitter.com/CuUQJztRJH
— Nitin Chavan (@a20nitin) March 26, 2022
“मैं सर नहीं हूं, मुझे उम्मीद है कि आप ये देख सकते हैं.”इसके बाद वकील ने जस्टिस पल्ली से कहा था कि ऐसा उस कुर्सी की वजह से हो रहा है जिस पर वो बैठी हैं. इसके बाद जस्टिस पल्ली ने कहा था कि तब तो आपको और ध्यान से बात करनी चाहिए. अक्सर लोग महिलाओं को उनके पिता, पति या बच्चों के नाम से संबोधित करते हैं, बिना ये सोचे कि उस महिला का अपना एक नाम है, अपनी एक अलग पहचान है.