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इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर पाकिस्तान ने क्या कहा?

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि वो इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. पाकिस्तान ने इस संघर्ष की वजह से मारे जा रहे लोगों को लेकर भी चिंता जताई है.

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What did Pakistan say on Israel Palestine conflict
इस संघर्ष की वजह से जो जानें जा रही हैं उसे लेकर पाकिस्तान चिंतित है. (फ़ोटो/AP/आजतक)
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मनीषा शर्मा
8 अक्तूबर 2023 (Updated: 8 अक्तूबर 2023, 14:44 IST)
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इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष (Israel-Palestine Conflict) थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है. इस बीच कई देशों ने इस संघर्ष को लेकर बयान दिए हैं. पाकिस्तान का भी बयान आया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि वो इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. पाकिस्तान ने इस संघर्ष की वजह से मारे जा रहे लोगों को लेकर भी चिंता जताई है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आगे इस मामले को 'टू स्टेट' थ्योरी से जोड़ते हुए कहा कि पाकिस्तान मध्य पूर्व में स्थायी शांति के लिए हमेशा से इस थ्योरी की पैरवी करता रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किए गए पोस्ट में देश के विदेश मंत्रालय ने कहा,

"फिलीस्तीन के सवाल को न्यायपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए तभी इस क्षेत्र में शांति बन सकेगी. पाकिस्तान के अनुसार, फिलीस्तीन की समस्या को अंतरराष्ट्रीय नियमों, संयुक्त राष्ट्र के प्रावधानों और आर्गनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक काउंसिल के प्रावधानों के मुताबिक सुलझाने की जरूरत है."

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वहीं फिलिस्तीन और इज़रायल के संघर्ष पर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि वो हमेशा से फिलिस्तीनी हितों के समर्थक रहे हैं और आगे भी रहेंगे. उन्होंने कहा कि उत्पीड़न, कब्ज़ा और शांति एक साथ नहीं चल सकते हैं. आगे कहा, 

"1948 में पहले नक़बा से लेकर अमानवीय व्यवहार और ग़ाज़ा की घेराबंदी तक, फिलिस्तीनी शांतिपूर्ण तरीके से रहने के लिए अकेले ही संघर्ष कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लोगों की बहुमूल्य जिंदगियों और अधिक नुकसान होने से रोकने के लिए बीच में आना चाहिए. साथ ही, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र और OIC द्वारा पारित प्रस्तावों के अनुसार एक शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता है- 1967 से पहले की सीमाओं के साथ फिलिस्तीन का एक राज्य और अल-कुद्स अल-शरीफ़ इसकी राजधानी है."

इधर, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि इजरायल के अवैध कब्जे को खत्म करना, फिलिस्तीन की जमीन पर बस्तियों के निर्माण को बंद करना और निर्दोष फिलिस्तीनियों के खिलाफ जुल्म का खात्मा शांति के जरिए ही क्षेत्र में शांति, न्याय और समृद्धि स्थापित हो सकती है. उन्होंने आगे कहा,

“मैं आज की घटनाओं से आश्चर्यचकित नहीं हूं. जब इज़राइल फ़िलिस्तीनियों को आत्मनिर्णय और राज्य का दर्जा पाने के उनके वैध अधिकार से मना करता रहेगा तो कोई और क्या उम्मीद कर सकता है? रोज़ रोज़ के उकसावों, कब्ज़ा करने वाली सेनाओं और बसने वालों की तरफ से किए गए हमलों, अल-अक्सा मस्जिद, ईसाई धर्म और इस्लाम के अन्य पवित्र स्थलों पर छापे के बाद और क्या?”

पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज़ ने आगे कहा कि दुनिया को यह समझना चाहिए कि टिकाऊ शांति के लिए आवश्यक है: 
- फिलिस्तीनी भूमि पर कब्जे़ को समाप्त करना.
- पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के रूप में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देना.
- फिलिस्तीनियों की स्वतंत्रता और संप्रभुता के अधिकार को बरकरार रखना. 
 

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पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवारउल हक़ काकर ने कहा कि मध्य पूर्व में बढ़ती हिंसा से उनका दिल टूट गया है. इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच के संघर्ष का हल निकल सकता था लेकिन बढ़ती हिंसा ने उस हल को पीछे धकेल दिया है. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान वाली बात को दोहराते हुए कहा कि मध्य पूर्व में शांति के लिए एक ही समाधान है- फ़िलिस्तीन का संप्रभु राज्य, जिसकी स्थापना 1967 से पहले की सीमाओं पर हुई थी, जिसके केंद्र में अल कुद्स अल-शरीफ़ था.

पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने इस संघर्ष पर चिंता जताते हुए लिखा,

“मैं इज़रायली कब्जे वाली सेनाओं और फ़िलिस्तीनियों के बीच बढ़ती गंभीर हिंसा से बहुत चिंतित हूं. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र/OIC के प्रस्तावों के अनुसार,  'टू स्टेट' समाधान के लिए खड़ा है.  OIC के CFM के अध्यक्ष के रूप में मेरे कार्यकाल सहित हमने लगातार इस समाधान की वकालत की है. मध्य पूर्व में स्थायी शांति लाने के लिए सभी तरह की हिंसाओं को रोकने और नागरिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ आने और काम करने की तत्काल जरूरत है.”

पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ़ अल्वी का इस संघर्ष पर कहना है कि इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी अधिकारों और लोगों पर कब्ज़ा और क्रूरता की निंदा किए बिना शांति स्थापित करने की दिशा में काम नहीं हो सकता है. ज़मीन पर लगातार कब्ज़ा, अवैध बस्तियां, गलत प्रतिक्रियाएं और हत्याएं. नतीजा यह है कि शांति की कोई आशा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार आगे बढ़ने का समय आ गया है. विश्व शांति की दिशा में अंतरराष्ट्रीय समुदाय आज बड़ी भूमिका निभा सकता है. 

इस बीच इज़रायल की सेना ने जानकारी दी है कि उसने हमास के इंटेलिजेंस चीफ के घर पर हमला किया है. सेना की तरफ से ग़ाज़ा पट्टी में जमीनी हमले की तैयारी भी की जा रही है.

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