सुलेमान को टाइटैनिक नहीं देखना था, पिता के खातिर टाइटन पनडुब्बी में बैठे थे, दोनों वापस नहीं आए
शहजादा दाऊद की बड़ी बहन अज़मेह दाऊद ने बताया कि सुलेमान इस सफर पर जाना ही नहीं चाहते थे.
टाइटन नाम की पनडुब्बी में बैठकर टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने गए सभी 5 लोगों की मौत हो गई. मरने वालों में पाकिस्तान के बिज़नेसमैन शहजादा दाऊद और उनके 19 वर्षीय बेटे सुलेमान दाऊद भी शामिल हैं. अब इन दोनों को लेकर एक जानकारी सामने आई है. खबरों के मुताबिक शहजादा दाऊद की बड़ी बहन अज़मेह दाऊद ने बताया है कि सुलेमान इस सफर पर नहीं जाना चाहते थे, लेकिन अपने पिता की खुशी के लिए उन्होंने पनडुब्बी में बैठकर समुद्र की गहराई में जाने का फैसला लेना पड़ा. बदकिस्मती से ये उनकी जिंदगी का आखिरी फैसला साबित हुआ.
अज़मेह दाऊद ने फ़ोन पर NBC न्यूज़ को इंटरव्यू दिया. इसमें उन्होंने बताया कि उनके भतीजे ने एक रिश्तेदार को बताया था कि वो पनडुब्बी पर जाने और टाइटैनिक के मलबे का पता लगाने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा,
“सुलेमान को आखिर में पनडुब्बी पर जाना पड़ा. क्योंकि यात्रा फादर्स डे के वीकेंड पर थी. तो वो अपने पिता को खुश और उनके रिश्ते को और गहरा करना चाहता था.”
अज़मेह के अनुसार शहजादा दाऊद को टाइटैनिक के बारे में जानने का जुनून था. लेकिन उनका भतीजा उसे देखने के लिए 'पूरी तरह तैयार नहीं’ था. उन्होंने कहा,
कौन हैं शहजादा और सुलेमान दाऊद“मैं सुलेमान के बारे में सोच रही हूं, जो 19 साल का है. शायद वहां सांस लेने के लिए अभी भी हांफ रहा है. ईमानदारी से कहूं तो मैं अभी असहाय महसूस कर रही हूं.”
48 वर्षीय शहजादा दाऊद ब्रिटेन स्थित पाकिस्तानी केमिकल-टू-एनर्जी कंपनी एंग्रो कॉर्पोरेशन के उपाध्यक्ष थे. उनकी कंपनी फर्टिलाइजर और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के लिए जानी जाती है. इसके अलावा एंग्रो कॉर्पोरेशन अपने इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स के लिए भी जानी जाती है. ये पाकिस्तान का सबसे बड़ा कंपनी ग्रुप है.
शहजादा दाऊद किंग चार्ल्स की चैरिटी प्रिंस ट्रस्ट इंटरनेशनल के बोर्ड मेंबर थे. शहजादा के 19 साल के बेटे सुलेमान दाऊद भी उनके साथ इस अभियान पर गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक सुलेमान को विज्ञान, कथा, साहित्य और नई चीजें सीखने का बड़ा शौक था. उनका रूबिक क्यूब्स और वॉलीबॉल खेलने में भी इंटरेस्ट था. उन्होंने स्कॉटलैंड के स्ट्रैथक्लाइड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी और अभी वो स्ट्रैथक्लाइड बिजनेस स्कूल के फर्स्ट ईयर में थे.
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