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Chemistry Nobel Prize 2024 इन 3 वैज्ञानिकों को, वो चीज बनाई जो कुदरत में है ही नहीं

डेविड बेकर, डेमिस हसबिस और जॉन जम्पर के काम से प्रोटीन को समझने और डिज़ाइन करने में बहुत मदद मिलेगी.

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chemistry nobel 2024
डेविड बेकर, डेमिस हसाबिस और जॉन जम्पर. (फ़ोटो - X)
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सोम शेखर
9 अक्तूबर 2024 (Published: 18:23 IST)
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केमिस्ट्री में 2024 का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है: डेविड बेकर, डेमिस हसबिस और जॉन जम्पर (Chemistry Nobel Prize 2024). इन तीनों के काम से प्रोटीन को समझने और डिज़ाइन करने में बहुत मदद मिलेगी. पचास साल पुरानी गुत्थी सुलझने की दिशा में ये एक बड़ा कदम है.

ऐसा क्या खोजा?

डेविड बेकर, वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं. 'कम्प्यूटेशनल प्रोटीन डिज़ाइन' में उनके प्रयासों के लिए उन्हें पुरस्कार का आधा हिस्सा दिया गया है.

देखिए, प्रोटीन बनता है अमीनो एसिड से, और उनकी संरचना से तय होता है कि वो शरीर में क्या काम करते हैं. बेकर ने मुख्यतः अमीनो एसिड में हेरफेर कर एक नया प्रोटीन डिज़ाइन किया. ऐसे अणु, जो प्रकृति में मौजूद ही नहीं हैं. वो बहुत सालों से इसी काम में लगे हुए हैं. 2003 में उन्होंने और उनकी टीम ने एक सिंथेटिक प्रोटीन डिज़ाइन किया था. यह एक ऐसी सफलता है, जिसने वैज्ञानिकों के लिए कई नए दरवाज़े खोल दिए. किसी ख़ास मक़सद से प्रोटीन बनाने की अनुमति दे दी. इससे चिकित्सा में क्रांति आ सकती है. ख़ासकर टीकों, नई दवाओं और नैनोमटेरियल के विकास में.

यह भी पढ़ें - इन दो वैज्ञानिकों को मिला Physics Nobel Prize 2024, AI वाला बड़ा खेला इन्हीं का है

पुरस्कार का आधा हिस्सा Google DeepMind के CEO डेमिस हसबिस और DeepMind के ही एक वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक जॉन जम्पर को दिया गया है. उन्होंने एक AI मॉडल बनाया है, 'अल्फ़ा फ़ोल्ड 2'. एक ऐसा सिस्टम, जो अमीनो एसिड सीक्वेंस के आधार पर प्रोटीन की संरचना का अनुमान लगाता है. पांच दशकों से ज़्यादा समय से वैज्ञानिक ऐसा कर नहीं पा रहे थे. इतना समय इसलिए लगा कि अमीनो एसिड को 3D संरचना में मोड़ना बहुत जटिल है.

2020 में हसबिस और जम्पर ने ‘अल्फ़ा फ़ोल्ड 2’ बना दिया, जिसने इस जटिलता को सुलझा दिया. ​​इसकी शुरुआत के बाद दुनिया भर के लाखों शोधकर्ता अपने-अपने काम के हिसाब से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. बीमारियों को समझने, दवाएं खोजने और प्लास्टिक को तोड़ने में इसका इस्तेमाल होता है.

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पिछले साल माउंगी बावेंडी, लुई ब्रूस और एलेक्सी एकिमोव को क्वॉन्टम डॉट्स नाम के ऐटम्स के छोटे ग्रुप्स की खोज के लिए नोबेल दिया गया था. इनका इस्तेमाल फ्लैट स्क्रीन, LED लैंप और उपकरणों में रंग बनाने के लिए व्यापक रूप से किया जाता है, जो सर्जनों को ट्यूमर में रक्त वाहिकाओं को देखने में मदद करते हैं.

वीडियो: नाभि में रुई बनने की वजह खोजने वाले को नोबेल पुरस्कार क्यों मिला था?

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