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Nobel Peace Prize 2024 की घोषणा, विजेता संगठन दुनिया को परमाणु बमों से बचाने में लगा है

इस संगठन ने साक्ष्यों के ज़रिए यह प्रदर्शित किया है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल फिर कभी नहीं किया जाना चाहिए.

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mushroom cloud atomic bomb
ऐटमिक बम के प्रभाव की सांकेतिक तस्वीर. (फ़ोटो - आर्काइव)
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सोम शेखर
11 अक्तूबर 2024 (Updated: 11 अक्तूबर 2024, 17:09 IST)
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2024 का शांति का नोबेल पुरस्कार जापानी संगठन 'निहोन हिडांक्यो' को दिया गया है (Nobel Peace Prize 2024). परमाणु-शून्य दुनिया बनाने के प्रयासों के लिए. ख़ासकर साक्ष्यों के ज़रिए यह साबित करने के लिए कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल फिर कभी नहीं किया जाना चाहिए.

निहोन हिडांक्यो सिर्फ एक संगठन नहीं, हिरोशिमा और नागासाकी के सर्वाइवर्स का एक ज़मीनी आंदोलन है. अगस्त, 1945 के परमाणु विस्फोटों के जवाब में शुरू हुआ था. इसे ‘हिबाकुशा’ के नाम से भी जाना जाता है.

दुनिया भर में चल रहे तमाम संघर्षों के बीच नोबेल समिति ने कहा कि यह पुरस्कार ‘परमाणु निषेध’ के मानदंड को बनाए रखने का प्रतीक है. समिति ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है,

"मानव इतिहास के इस क्षण में हमें ख़ुद को याद दिलाना चाहिए कि परमाणु हथियार क्या हैं: दुनिया के अब तक के सबसे विनाशकारी हथियार."

यह भी पढ़ें - कोरियाई लेखिका हान कांग की कविताओं में ऐसा क्या है, जो उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिल गया?

शांति पुरस्कार से इतर जिन वैज्ञानिकों या शोधकर्ताओं को चिकित्सा, भौतिकी और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिए जाते हैं, मुमकिन है कि उनके शोध कई साल बाद दिए जाएं. लेकिन शांति पुरस्कार में ऐसा नहीं है. समकालीन नेताओं-विश्व नेताओं को शांति पुरस्कार दिया जाता है.

पिछले साल ईरानी कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के ख़िलाफ़ उनकी लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए पीस प्राइज़ दिया गया था. 

इस बार कुल-मिलाकर 286 उम्मीदवार नामित किए गए थे. 197 लोग और 89 संगठन. नोबेल समिति उम्मीदवारों के नाम 50 बरसों तक गुप्त रखती है, लेकिन नामांकन के योग्य लोग बता सकते हैं कि उन्होंने किसे प्रस्तावित किया है. 

समिति ने कहा कि निहोन हिडांक्यो के प्रयासों ने परमाणु निषेध की स्थापना में बहुत योगदान दिया है. 

"हिरोशिमा और नागासाकी के सभी परमाणु सर्वाइवर्स को सम्मानित करना चाहिए. इन्होंने केवल शारीरिक पीड़ा और दर्दनाक यादें ही नहीं, शांति के लिए आशा और जुड़ाव पैदा करने के लिए अपने महंगे अनुभव को ज़ाहिर करना चुना है."

निहोन हिडांक्यो के प्रमुख ने इस पर प्रतिक्रिया दी है. कहा कि समूह की जीत से उनके प्रयासों को बहुत बढ़ावा मिलेगा कि परमाणु हथियारों का उन्मूलन संभव है. हिरोशिमा में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में संगठन के प्रमुख तोशीयुकी मिमाकी ने कहा,

"यह जीत एक अपील है कि परमाणु हथियारों का उन्मूलन किया जा सकता है. परमाणु हथियारों को पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए... पुरस्कार के लिए मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा हो सकता है."

अगले साल हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों को 80 बरस हो जाएंगे. इन धमाकों में लगभग एक लाख 20,000 लोगों की तत्काल मृत्यु हो गई थी. बाद में अनगिनत लोग परमाणु बम के दीर्घकालिक असर की चपेट में रहे. हिबाकुशा आंदोलन की कहानियां परमाणु निरस्त्रीकरण के आंदोलन में महत्वपूर्ण रही हैं. गवाहों के बयानों, सार्वजनिक अपीलों और संयुक्त राष्ट्र में वार्षिक प्रतिनिधिमंडलों के ज़रिए इस दिशा में काम किया गया है. 

हालांकि, हमले को 80 साल बीत गए, लेकिन आज भी परमाणु ख़तरा एक गंभीर वैश्विक मुद्दा है. कई देश अभी भी अपने शस्त्रागार का आधुनिकीकरण कर रहे हैं और नए ‘ख़तरों’ का आविष्कार कर रहे हैं.

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