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NCERT ने कई जगहों से 'बाबरी विध्वंस' वाली बात हटाई, पूरा अयोध्या चैप्टर ही बदल डाला!

हर साल 4 करोड़ बच्चों को NCERT की किताबें पढ़ाई जाती है. जोड़-घटाव से युक्त किताबें महीने भर में क्लासों तक पहुंच जाएंगी.

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6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी थी. (फ़ोटो आर्काइव)
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सोम शेखर
5 अप्रैल 2024 (Updated: 5 अप्रैल 2024, 15:10 IST)
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बीते रोज़, 4 अप्रैल को ख़बर आई थी कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने स्कूली बच्चों की समाजशास्त्र और इतिहास की किताबों में कुछ-कुछ चीज़ें जोड़ने की बात कही है. जैसे, हड़प्पा सभ्यता और वैदिक सभ्यता के बीच संबंधों पर शोध जोड़ा जाएगा, हाल ही में राखीगढ़ी पर हुए शोधों को भी जोड़ा जाएगा. शुक्रवार, 5 अप्रैल को ख़बर आई कि NCERT ने फिर बदलाव किए हैं. 'राम जन्मभूमि आंदोलन' को प्रधानता देने के लिए पॉलिटिकल साइंस की किताब में संशोधन किया गया है. 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को किताब में डाला गया है. लेकिन इस बार केवल जोड़ा नहीं है, हटाया भी है. क्या हटाया है? किताब से तीन जगहों पर बाबरी मस्जिद विध्वंस के रेफरेंस हटाए गए हैं. जोड़-घटाव से युक्त किताबें महीने भर में क्लासों तक पहुंच जाएंगी.

क्या-क्या बदला है NCERT ने?

हर साल 4 करोड़ बच्चों को NCERT की किताबें पढ़ाई जाती हैं. वही पढ़ कर पास-फेल होते हैं, वहीं से ज्ञान अर्जित करते हैं. स्कूली शिक्षा पर केंद्र सरकार को सलाह देने वाली सबसे बड़ी बॉडी NCERT ही है. उन्होंने कई बार संशोधन सुझाए हैं. शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए भी NCERT ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को सुझाव दिए हैं.

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इंडियन एक्सप्रेस की रितिका चोपड़ा की रिपोर्ट के मुताबिक़, ये संशोधन बारहवीं क्लास की राजनीति विज्ञान की किताब 'स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति' में किए गए हैं. जो किताब अब तक चलती थी, उसके आठवें चैप्टर में भारतीय राजनीति में घटी पांच प्रमुख घटनाक्रमों की लिस्ट है: 1989 में कांग्रेस का पतन, 1990 में आया मंडल आयोग, 1991 से शुरू हुए आर्थिक सुधार, 1991 में राजीव गांधी की हत्या और अयोध्या मंदिर आंदोलन.

पहले अयोध्या विवाद पर चार पन्नों का एक पूरा सेक्शन था, जिसमें सिलसिलेवार ढंग से घटनाओं का ब्योरा था. साल 1986 में ताले का खुलना, दोनों समुदायक की तरफ़ से हो रही लामबंदी, बाबरी मस्जिद का विध्वंस. विध्वंस के बाद भी जो घटा- जैसे, भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन, सांप्रदायिक हिंसा और धर्मनिरपेक्षता पर गंभीर बहस- ये सब भी किताब में था.

अब नहीं है. अब क्या है? ये साफ़ नहीं. क्योंकि इस सेक्शन का संशोधित संस्करण अभी उपलब्ध नहीं है. लेकिन NCERT ने ख़ुद ही इस बात को पब्लिक कर दिया है कि इसे बदला गया है और बदलाव के पीछे क्या कारण हैं. उनकी वेबसाइट पर लिखा है कि राजनीति में हालिया घटनाओं के हिसाब से कॉन्टेंट को अपडेट किया गया है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फ़ैसले और इसके बाद आए बदलावों की वजह से अयोध्या वाले चैप्टर को पूरी तरह से संशोधित कर दिया गया है.

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एक्सप्रेस की रिपोर्ट में एक मिसाल है. वो देख लीजिए. पुरानी किताब में पेज नंबर- 139 में ये पैराग्राफ़ है:

...दिसंबर, 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे - जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है - उसके विध्वंस में कई घटनाओं का अंत हुआ. इस घटना ने देश की राजनीति में अलग-अलग बदलावों को जन्म दिया. इससे भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता के बारे में बहस तेज़ हो गई. ये घटनाक्रम भाजपा के उदय और 'हिंदुत्व' की राजनीति से जुड़े हैं.

नई किताब में लिखा है:

…अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों से चले आ रहे क़ानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति पर असर डाला. विभिन्न राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया. राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन एक केंद्रीय मुद्दा बन गया और इसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019) के बाद ये बदलाव अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के रूप में परिणित हुए.

बाबरी मस्जिद के दो और संदर्भ हटाए गए हैं. चैप्टर के शुरुआत सारांश में और अंत के एक सवाल में.

2014 के बाद से NCERT ने चार बार अपनी पाठ्यपुस्तक में संशोधन किए हैं. 2017 में पहली बार हुआ था. मगर तत्कालीन NCERT निदेशक हृषिकेश सेनापति ने इसे संशोधन के बजाय, 'समीक्षा' कहा था. ठीक एक साल बाद, 2018 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अनुरोध पर, NCERT ने छात्रों का बोझ कम करने के लिए संशोधन का दूसरा दौर शुरू किया. इसे भी संशोधन नहीं कहा, रैशनलाइज़ेशन कहा. कोरोना का हवाला देते हुए भी NCERT ने संशोधन किए थे.

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