The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • ncert panel recommends bharat ...

'इंडिया या भारत', NCERT की किताबों में क्या पढ़ाया जाएगा? पैनल ने एकमत सिफारिश की

NCERT पैनल ने ये भी सिफ़ारिश की है - 'हिंदू राजाओं की जीत पढ़ाओ, हार कम पढ़ाओ.'

Advertisement
NCERT Panel on Bharat.
प्रतीकात्मक तस्वीर - ANI
pic
सोम शेखर
25 अक्तूबर 2023 (Published: 14:43 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए NCERT ने जो समिति बनाई, जिसने एक-मत से सिफ़ारिश की है - प्राथमिक से लेकर हाई-स्कूल तक पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम इंडिया नहीं, बल्कि भारत होना चाहिए. इसके अलावा, किताबों में 'हिंदू राजाओं की हार' का ब्योरा कम होना चाहिए.

समिति के अध्यक्ष (पूर्व) प्रोफ़सर सी. आई. आइज़ैक एक इतिहासकार और RSS विचारक हैं. कोट्टायम (केरल) के एक कॉलेज में इतिहास पढ़ाते थे. लंबे समय से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में जुड़े हुए हैं और अभी RSS से जुड़े थिंक-टैंक 'भारतीय विचार केंद्रम' की केरल यूनिट के कार्यकारी अध्यक्ष हैं. न्यूज़ पोर्टल द प्रिंट के सौरव रॉय बर्मन की रिपोर्ट के मुताबिक़, आइज़ैक ने कहा कि समिति ने विशेष तौर पर सिफ़ारिश की है कि स्कूली छात्रों को भारत नाम ही पढ़ाया जाए. इसके पीछे तर्क भी बताया:

"भारत नाम का उल्लेख विष्णु पुराण में मिलता है. कालिदास ने भारत नाम का प्रयोग किया था. ये सदियों पुराना नाम है. इंडिया तो बहुत बाद में पड़ा. तुर्कों, अफ़ग़ानों और यूनानियों के आक्रमण के बाद.

उन्होंने सिन्धु नदी के आधार पर भारत की पहचान की. आक्रमणकारियों के लिए ये सुविधाजनक था. मैंने इस बात पर ज़ोर दिया कि 12वीं क्लास तक की पाठ्यपुस्तकों में केवल भारत नाम का ही इस्तेमाल किया जाए. बाक़ी सदस्यों ने इसे सर्वसम्मती से स्वीकार कर लिया."

5 सितंबर को केंद्र सरकार ने जी-20 डिनर के लिए 'इंडिया के राष्ट्रपति' के बजाय 'भारत के राष्ट्रपति' के नाम से न्योता भेजा था. इस न्योते से चार दिन पहले - गुवाहाटी में बोलते हुए - RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि लोगों को इंडिया नहीं, बल्कि भारत नाम का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे देशभर में 'देश का नाम क्या हो?' पर बहस छिड़ गई थी. अब ये बहस स्कूल की चर्चाओं और किताबों तक पहुंच रही है.

ये भी पढ़ें - भारत की सबसे कीमती चीज को NCERT ने किताब से उड़ा दिया!

समित में भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) के अध्यक्ष प्रो. रघुवेंद्र तनवर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो वंदना मिश्रा, डेक्कन कॉलेज डीम्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वसंत शिंदे और हरियाणा सरकारी स्कूल में समाजशास्त्र पढ़ाने वाली ममता यादव शामिल हैं.

ये भी पढ़ें - जो मुग़ल इतिहास NCERT से हटा, वो कॉलेज एंट्रेस टेस्ट में पूछा जाएगा?

वंदना भी ABVP से जुड़ी रही हैं. पहले संगठन की राष्ट्रीय महासचिव हुआ करती थी. ममता यादव भी ABVP की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहा चुकी हैं.

'हिंदुओं की जीत नहीं पढ़ाई जाती'

सिफ़ारिशों की सूचि में दूसरी अहम बात है कि अभी की किताबों में युद्ध में हिंदू राजाओं हार पर बहुत ज़्यादा ज़ोर है. आइज़ैक ने कहा,

"इसके उलट, हिंदू जीत का पर्याप्त उल्लेख नहीं किया गया है. हमारी पाठ्यपुस्तकें ये क्यों नहीं सिखातीं कि मुहम्मद ग़ोरी को भारतीय आदिवासियों ने मारा था? कोलाचेल की लड़ाई (त्रावणकोर साम्राज्य बनाम डच ईस्ट इंडिया कंपनी) हमारी पाठ्यपुस्तकों से क्यों ग़ायब है? आपातकाल के दौर को विस्तार से क्यों नहीं पढ़ाया जाता?"

एक सिफ़ारिश ये भी है कि भारतीय इतिहास में कालखंडों - प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक - को ख़त्म किया जाना चाहिए. प्राचीन (ancient) को शास्त्रीय (classical) से बदला जाना चाहिए.

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement