ऑफिस में मिला कंप्यूटर और अधिकारी का बयान... CBI ने सिसोदिया को ऐसे अरेस्ट किया
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की कहानी किसी फिल्म जैसी है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को CBI ने गिरफ़्तार कर लिया है. नई शराब नीति घोटाला मामले (Delhi Exise Policy) में. गिरफ़्तारी के बाद जांच एजेंसी CBI की तरफ़ से कहा गया है कि मनीष सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे, इस वजह से उन्हें गिरफ़्तार किया गया.
इस मामले में जांच की कहानी क्या है और CBI सिसोदिया तक पहुंची कैसे, इस पर इंडिया टुडे से जुड़े मनीष पांडे ने एक्सक्लूसिव रिपोर्ट की है.
दफ्तर में मिला बाहरी नेटवर्क का कंप्यूटररिपोर्ट के मुताबिक, CBI ने पिछले साल 19 अगस्त को आबकारी विभाग से एक डिजिटल डिवाइस जब्त किया था. डिवाइस की जांच हुई, तो एजेंसी को एक्साइज पॉलिसी ड्राफ्ट का एक दस्तावेज एक ऐसे कम्प्यूटर में मिला, जो एक्साइज विभाग नेटवर्क का था ही नहीं. इसके बाद CBI ने आबकारी विभाग के एक अधिकारी से पूछताछ की. एजेंसी को सिसोदिया के दफ्तर के कंप्यूटर का सुराग मिला.
फिर 14 जनवरी, 2023 को CBI ने ये कंप्यूटर सिसोदिया के दफ्तर से जब्त किया. कथित तौर पर ज्यादातर फाइल्स डिलीट की जा चुकी थीं, लेकिन जांच एजेंसी ने फॉरेंसिक टीम की मदद से रिकॉर्ड्स रिकवर कर लिए. फॉरेंसिक जांच से पता चला कि फाइल बाहरी नेटवर्क से बनाई गई है और और वॉट्सऐप के जरिए मिली थी.
CBI ने तब 1996 बैच के दादर-नागर हवेली सिविल सेवा (DANICS) कैडर के अफसर को तलब किया गया, जो सिसोदिया के सचिव थे. अफ़सर ने बताया,
"मार्च 2021 के बीच में सिसोदिया ने मुझे CM आवास पर बुलाया, जहां सत्येंद्र जैन भी मौजूद थे. वहीं उन्होंने सत्येंद्र जैन को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर (GoM) रिपोर्ट की कॉपी दी."
असल में ये जो नई शराब नीति आई, इसमें पुरानी नीति के बरक्स बहुत सारे नए प्रावधान थे. ये बदलाव मंत्रियों के एक समूह यानी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स न प्रस्तावित किए थे. कैबिनेट में ये रिपोर्ट पेश हुई मई 2022 में. और, इसका पहला ड्राफ्ट बन गया था मार्च 2021 में, जिसका जिक्र अफसर ने अपने बयान में किया.
इसी ड्राफ़्ट की कॉपी में '12% लाभ मार्जिन' का भी जिक्र था. बात 12% लाभ मार्जिन क्लॉज तक कैसे पहुंचे, इससे संबंधित किसी भी चर्चा या किसी भी फाइल का कोई रिकॉर्ड नहीं है.
CBI ने फरवरी, 2023 के पहले हफ्ते में CrPC की धारा-164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के सामने उस अफसर का बयान दर्ज किया. ताकि उन्हें सरकारी गवाह बनाया जा सके. सिसोदिया के कार्यालय से जब्त किया कंप्यूटर और उनके सचिव का बयान. इन दोनों सुरागों के बाद ही CBI सिसोदिया तक पहुंची. कहा ये भी जा रहा है कि पूछताछ के दौरान सिसोदिया ने GoM के बारे में बताने के मना कर दिया.
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