The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • madras high court on sadguru j...

जग्गी वासुदेव पर कोर्ट बोला, "अपनी बेटी की शादी की, दूसरों की बेटियों को संन्यासी क्यों बना रहे?"

एक रिटायर्ड प्रोफ़ेसर ने सदगुरु जग्गी वासुदेव पर केस कर दिया है कि उनकी दो पढ़ी-लिखी बेटियों का 'ब्रेनवॉश' कर उन्हें ईशा योग केंद्र में रखा जा रहा है.

Advertisement
sadhguru brainwash madras high court
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव (फ़ोटो - एजेंसी)
pic
सोम शेखर
1 अक्तूबर 2024 (Updated: 1 अक्तूबर 2024, 23:34 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

एक रिटायर्ड प्रोफ़ेसर ने आरोप लगा दिया है कि उनकी दो पढ़ी-लिखी बेटियों का 'ब्रेनवॉश' कर उन्हें ईशा योग केंद्र में रखा जा रहा है. वो इस मामले को लेकर मद्रास हाई कोर्ट गए. अब जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगणनम की पीठ ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव से सवाल पूछा है. पूछा कि जब उन्होंने अपनी बेटी की शादी कर दी है, तो वो दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यासियों की तरह रहने के लिए क्यों कह रहे हैं.

NDTV की एक ख़बर के मुताबिक़, दशक-भर पुराना ये मामला एस कामराज ने दायर किया है. वे कोयंबटूर में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे. उन्होंने अपनी बेटियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. सोमवार, 30 सितंबर को दोनों आईं भी. उनकी उम्र 42 और 39 है.

ये भी पढ़ें - 16 साल से ऊपर की मुस्लिम लड़की अपने मन से कर सकती है शादी, हाई कोर्ट का फैसला

दोनों ने कहा कि वे अपनी मर्ज़ी से ईशा फाउंडेशन में रह रही हैं. उन्हें वहां रहने के लिए किसी ने मजबूर नहीं किया है. रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों महिलाओं ने पहले भी इसी तरह की गवाही दी है. 

ईशा फाउंडेशन ने यह भी दावा किया कि महिलाओं ने स्वेच्छा से उनके साथ रहना चुना है. संगठन ने कहा,

"हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्तियों के पास अपने रास्ते चुनने की स्वतंत्रता और विवेक है. हम विवाह या संन्यासी बनने के लिए बाध्य नहीं करते, क्योंकि ये तो हर व्यक्ति का चयन है. ईशा योग केंद्र में हज़ारों ऐसे लोग रहते हैं, जो साधु नहीं हैं. कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने ब्रह्मचर्य या साधुत्व अपना लिया है."

हालांकि, हाई कोर्ट ने केस की आगे जांच करने का फ़ैसला किया है. पुलिस को निर्देश दिया है कि वो ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी मामलों की सूची तैयार करें. जस्टिस शिवगनम ने कहा, 

"हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी और उसे जीवन में अच्छी तरह से स्थापित किया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एक संन्यासी का जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है?"

मंगलवार, 1 अक्टूबर को तमिलनाडु पुलिस ने ईशा फाउंडेशन के ख़िलाफ़ कई आरोपों के चलते जांच शुरू कर दी. कोयंबटूर ग्रामीण ज़िला पुलिस अधीक्षक के कार्तिकेयन के नेतृत्व में समाज कल्याण विभाग और ज़िला बाल संरक्षण समिति के अधिकारियों वाली एक बहु-विभागीय टीम बनाई गई है, जिसने ईशा फाउंडेशन के परिसर में जांच शुरू कर दी है.

वीडियो: सद्गुरु के बयान पर भिड़े Dhruv Rathi और Gaurav Taneja, किस बात को लेकर हुआ बवाल?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement