'ड्रिंक एंड ड्राइव' मना है और लोको पायलट शराब पीकर ट्रेन चला रहे, RTI ने रेलवे की पोल खोल दी!
पिछले पांच साल में रेलवे के तीन जोन में लगभग 1,000 लोको पायलट ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में फेल हुए हैं. इस टेस्ट में एक तिहाई लोको पायलट ड्यूटी ख़त्म होने के बाद फेल हुए हैं.
आप ट्रेन में बैठे हैं. घर जाने के लिए उत्साहित हैं. आप घर पहुंच भी गए. लेकिन फिर एक दिन ख़बर आती है कि जिस ट्रेन में आप बैठे थे उसका लोको पायलट नशे में था. क्या ख्याल आएगा मन में? सैकड़ों लोग जो उस ट्रेन में सफर कर रहे थे, क्या उतने ही विश्वास से ट्रेन में दोबारा बैठ पाएंगे? RTI के मुताबिक़ पिछले पांच साल में रेलवे के तीन जोन में लगभग 1,000 लोको पायलट ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में फेल हुए हैं (loco pilots failed breathalyser tests). इस टेस्ट में एक तिहाई लोको पायलट ड्यूटी ख़त्म होने के बाद फेल हुए हैं. मतलब उन्होंने नशे में ट्रेन चलाई. ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट वो टेस्ट जिसमें सांस के जरिए पता चलता है कि किसी व्यक्ति ने शराब पी हुई है या नहीं.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ टेस्ट में सबसे ज़्यादा लोको पायलट दिल्ली रेलवे डिवीजन में फेल हुए हैं. यहां 471 लोको पायलट नशे में पाए गए. जिनमें 38% यानी 181 लोको पायलट पैसेंजर ट्रेन के थे. और 189 लोको पायलट ऐसे थे जो केबिन से उतरने के तुरंत बाद टेस्ट में फेल हुए. मतलब उन्होंने नशे में ट्रेन चलाई थी. गुजरात में शराब बैन है लेकिन यहां 104 लोको पायलट टेस्ट में फेल हुए. इनमें 41 पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट थे. वहीं मुबंई में 11 लोको पायलट टेस्ट में फेल हुए और इनमें 3 पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट थे.
रिपोर्ट के मुताबिक़ जबलपुर रेलवे डिवीजन ने अपने RTI जवाब में कहा कि वह इस तरह के रिकॉर्ड नहीं रखता है, जबकि भोपाल ने जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया है. RTI एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ ने कहा है कि रेलवे ड्यूटी के दौरान शराब का सेवन रोकने के लिए ये टेस्ट करवाता है. इसमें 995 लोको पायलट फेल हुए है. रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए लोको पायलट की शिफ्ट के लिए साइन इन करने से पहले इस तरह के टेस्ट करवाता है. लेकिन यह डरावना है कि इतने सारे लोको पायलट काम से निकलने के बाद टेस्ट में फेल हुए. उन्होंने कहा,
क्या कार्रवाई होती है?“रेलवे को टेस्ट की संख्या बढ़ानी चाहिए और शिफ्ट शुरू, ख़त्म होने के बीच-बीच में भी टेस्ट करवाने चाहिए.”
2012 में रेल मंत्रालय द्वारा सभी मुख्य सुरक्षा अधिकारियों को एक सर्कुलर भेजा, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी लोको पायलट में अल्कोहल का स्तर 1-20 मिलीग्राम/100 मिलीलीटर पाया जाता है तो उन्हें ड्यूटी से हटा दिया जाना चाहिए और इसे उनके सर्विस रिकॉर्ड में मार्क किया जाना चाहिए. इसमें आगे कहा गया है कि जिन लोगों में अल्कोहल का स्तर 20 मिलीग्राम/100 मिलीलीटर से ऊपर पाया जाए, उन्हें नौकरी से हटा दिया जाना चाहिए.
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