The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • jnu fund crisis university to ...

देश की दूसरे नंबर की यूनिवर्सिटी JNU में प्रॉपर्टी किराए पर चढ़ाने की नौबत कैसे आई?

JNU के छात्र भी इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रसंघ का आरोप है कि फ़ंड जुटाने के लिए प्रशासन गोमती गेस्ट हाउस बेचने जा रहा है. इसके बाद और हिस्सों और बिल्डिंग्स को व्यावसायिक हितों के लिए किराए पर दे सकते हैं.

Advertisement
jnu fund crisis
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी. (फ़ोटो - एजेंसी)
pic
सोम शेखर
20 अगस्त 2024 (Published: 19:54 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU). विवादों और तमाम लेबल्स के अलावा यूनिवर्सिटी अपनी पढ़ाई, अहम पदों-जगहों में फैले अपने छात्रों और तगड़े अकादमिक रिकॉर्ड के लिए भी प्रसिद्ध है. बीते कई सालों से शिक्षा मंत्रालय की रैंकिंग में टॉप तीन में रहती ही है. इस साल भी नैशनल इंस्टीच्यूट रैंकिंग फ़्रेमवर्क (NIRF) में बेंगलुरू की इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ़ साइंस के बाद दूसरे नंबर पर आई. मगर इतने प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित संस्थान को पैसे के लाले पड़ गए हैं. ख़बर है कि यूनिवर्सिटी अपनी कुछ प्रॉपर्टी बेचने या किराए पर चढ़ाने की योजना बना रही है.

चल नहीं पा रहा JNU?

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, यूनिवर्सिटी भारी वित्तीय संकट से जूझ रही है, और प्रशासन ने दो संपत्तियों को बेचने का फ़ैसला किया है. गोमती गेस्ट हाउस और 35 फिरोज़ शाह रोड. इसके अलावा शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखने की भी योजना है, इस आग्रह के साथ कि परिसर में बने 12 राष्ट्रीय संस्थान उन्हें किराया दें.

रविवार, 18 अगस्त को विश्वविद्यालय ने फ़ेसबुक पर पोस्ट किया, 

शिक्षा मंत्रालय JNU को पूरी तरह से सब्सिडी देता है, लेकिन विश्विद्यालय के पास अपनी कोई आंतरिक फंडिंग नहीं हैं. जैसे बाक़ी केंद्रीय विश्वविद्यालय 20% से 30% तक जुटा लेते हैं. पिछले कुछ सालों में कैंपस में छात्र, शिक्षक और कर्मचारी बढ़े हैं. मगर छात्र आज भी 10 रुपये और 20 रुपये जितनी कम फ़ीस देते हैं.

मंत्रालय ने तो हमारी बढ़ती मांगों का समर्थन किया है, लेकिन हम अभी भी बुनियादी ढांचे, किताबों, ऑनलाइन सोर्स और शोध के लिए लगने वाले सॉफ़्टवेयर से जुड़ी लागत पूरा नहीं कर पा रहे. ऐसी स्थिति में, हमें भविष्य के लिए योजना बनानी होगी. JNU को फ़ीस बढ़ाए बिना अपने फंड बनाने की ज़रूरत है.

JNU की कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने भी कहा कि विश्वविद्यालय इस समय काफ़ी भयानक वित्तीय दबाव से गुज़र रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार ने हर चीज़ पर सब्सिडी दे रखी है. इसलिए कोई कमाई नहीं हो रही है. कुलपति ने कहा है, 

"हम ‘प्रतिष्ठित संस्थान’ (Institute of Eminence) का दर्जा मांग रहे हैं. इससे हमें 1,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो हमारे कोष में जुड़ जाएंगे और इससे मिलने वाला ब्याज हम पर पड़ रहे वित्तीय दबाव को कम करेगा. 

हम अपनी संपत्तियों का ठीक से इस्तेमाल करना चाहते हैं. हमारे पास 35 फिरोज़ शाह रोड और FICCI (फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) बिल्डिंग के पीछे गोमती गेस्ट हाउस है... मैं रखरखाव पर हर महीने 50,000 रुपये खर्च कर रही हूं और बदले में कुछ भी नहीं मिल रहा… गोमती गेस्ट हाउस से हर महीने पचास हज़ार रुपये से लेकर एक लाख तक निकल सकता है. फ़िरोज़ शाह रोड की संपत्ति पर मैं ICC (इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स) जैसी एक बहुमंज़िला इमारत बनाना चाहती हूं."

बीती 11 अगस्त से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) परिसर के साबरमती टी-पॉइंट पर विरोध प्रदर्शन कर रहा है. उनका आरोप है कि प्रशासन महीनों से उनकी कई मांगें टाल रहा है. संघ की इस अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को हफ़्ते से ज़्यादा बीत गए हैं. 19 अगस्त को तो दो छात्रों की तबीयत तक बिगड़ गई और उन्हें दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराना पड़ा.

ये भी पढ़ें - 'डु बोइज़ या ड्यू ब्वॉ?' JNU में पद्मभूषण पाई लेखिका ने उच्चारण ठीक किया तो विवाद क्यों हो गया?

तमाम मसलों के साथ छात्रसंघ फंड जुटाने और प्रॉपर्टी बेचने/किराए पर देने के ख़िलाफ़ भी प्रदर्शन कर रहा है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक छात्र ने आरोप लगाया कि फ़ंड जुटाने के लिए प्रशासन गोमती गेस्ट हाउस बेचने जा रहा है. इसके बाद और हिस्सों और बिल्डिंग्स को व्यावसायिक हितों के लिए किराए पर दे सकते हैं.

जुलाई महीने में पुणे के एक RTI कार्यकर्ता ने जानकारी मांगी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल और उससे पहले के दशक के दौरान यूनिवर्सिटी को कितनी सब्सिडी दी गई. RTI के जवाब से पता चला कि मौजूदा सरकार के तहत ही विश्विद्यालय को सबसे ज़्यादा फंडिंग मिली है. हालांकि, इसी RTI से ये जानकारी भी निकली थी कि एक तरफ़ फंड तो बढ़ रहे हैं, साथ ही FIR भी बढ़ रही है. जिस विश्विद्यालय में 2016 से पहले कोई FIR दर्ज नहीं की गई थी, वहां उसके बाद प्रशासन ने अपने ही छात्रों के ख़िलाफ़ 35 FIR दर्ज की हैं.

दी लल्लनटॉप ने JNU छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय से बात की. उन्होंने छात्रों की प्रमुख मांगें बताईं और इस मसले पर टिप्पणी की. उन्होंने बताया कि जब इस बार संघ चुन के आया था, तब उन्होंने सभी छात्रों से उनकी शिकायतें और चिंताएं लिखकर देने के लिए कहा था. इन्हीं सब मांगों को जोड़ कर ये प्रदर्शन किया जा रहा है. इनमें कुछ मांगें वित्तीय हैं, कुछ ग़ैर-वित्तीय.

  1. निम्न आय वर्ग से आने वाले छात्रों को जो 2000 रुपये भत्ता (NCM) मिलता है, उसे 12 साल से बढ़ाया ही नहीं गया है. छात्रों की मांग है कि उसे आज की महंगाई के अनुकूल 5000 रुपये किया जाए. 
  2. परिसर में एक हॉस्टल बन कर तैयार है. फ़रवरी महीने में गृह मंत्री अमित शाह ने इसका उद्घाटन भी कर दिया था. मगर अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है. छात्रों को मजबूरन परिसर से बाहर रहना पड़ रहा है. 
  3. यूनिवर्सिटी में लगातार यौन उत्पीड़न के केस आए हैं. हाल के सालों में बढ़े हैं. छात्रों ने इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन भी किया. मगर आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने कोई कड़े क़दम नहीं उठाए. मांग है कि इस बॉडी में छात्रों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए. पहले JNU में एक बॉडी थी, जिसमें छात्रों का प्रतिनिधित्व भी था और वो सिर्फ़ शिकायतों पर कार्रवाई नहीं करते थे. वो अलग-अलग तरह के प्रोग्राम्स चलाते थे, जिससे एक जेंडर-सेंसटिव कैम्पस बने.
  4. एग्ज़ाम कराने वाली बॉडी NTA सवालों के घेरे में हैं. लगातार पेपर लीक केस आए हैं. JNU के दाख़िले का एग्ज़ाम भी NTA करवाता है. छात्रों का कहना है कि NTA को इस ज़िम्मेदारी से मुक्त किया जाए और पहले जैसे दाख़िले का इम्तिहान  (JNU-EE) लिया जाता था, वैसे ही लिया जाए.
  5. बीते दिसंबर में विश्विद्यालय प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन के ख़िलाफ़ नए क़ायदे जारी किए. क़ायदा कि प्रदर्शन करने वाले छात्रों को 20,000 रुपयों तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. संघ की मांग है कि विरोध के अधिकार को बचाने के लिए इन दिशानिर्देशों को निरस्त किया जाए. 

इन मांगों के अलावा छात्रसंघ अध्यक्ष ने दी लल्लनटॉप को बताया कि छात्र फंड्स की कटौती के लिए भी प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अंतरिम बजट में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (UGC) के फंड्स में कटौती की गई. 2023-24 में ₹6,409 करोड़ के बजट को 2024-25 में 61% घटाकर ₹2,500 करोड़ कर दिया गया. इसी का नतीजा है कि JNU जैसी सरकारी यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए प्राइवेट इनवेस्टर खोजने पड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुलपति ‘प्रॉपर्टी डीलर’ बन गई हैं.

ये भी पढ़ें - 'IIT छोड़ JNU गए थे...", विदेश मंत्री जयशंकर ने UPSC तक पहुंचने की कहानी बताई

हालांकि, कई मीडिया रपटों में विश्वविद्यालय सूत्रों के हवाले से इन दावों को ख़ारिज भी किया गया है. कहा कि JNU में कोई निजीकरण नहीं हो रहा है. 

जानकारी है कि छात्रसंघ अपनी मांगों के लिए दो दिन कैम्पस स्ट्राइक करेगा और शुक्रवार, 23 अगस्त को शिक्षा मंत्रालय तक लंबा जुलूस निकालेगा.

वीडियो: गेस्ट इन दी न्यूजरूम: JNU कम्युनिस्टों का अड्डा? अंदर का सच बता गए प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल, मीडिया पर भी भड़के

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement