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नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी के सामने कौन सी शर्त रख दी थी, जो वो माने नहीं?

नीतीश के साथ 'आख़िरी मुलाक़ात' में जीतन राम मांझी ने एक पुराना ज़ख़्म कुरेद दिया.

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जीतन मांझी और नीतीश कुनार के संबंध और गठबंधन जून, 2023 तक ठीक थे. (फ़ाइल फ़ोटो)
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26 जनवरी 2024
Updated: 26 जनवरी 2024 10:44 IST
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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने बताया कि वो नीतीश कुमार से आख़िरी बार कब मिले थे? क्या बात हुई थी?

दिल्ली जा रहे थे. फ़्लाइट में दोनों मिले. जीतन सपत्निक थे. साथ में भाजपा नेता शाहनवाज़ हुसैन. मांझी ने बताया कि वो बातचीत नहीं करना चाहते थे. नीतीश ने आगे वाली सीट से उन्हें बुलाया भी, लेकिन वो नहीं गए. फिर पांच मिनट बाद लेखक, नेता और कांग्रेस के पूर्व-राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा आए और उनसे बोले कि मुख्यमंत्री उनका हाल-समाचार पूछना चाहते हैं.

पूर्व-CM और CM की बात क्या हुई?

"नीतीश जी ने हमसे पूछा कि आप इतना अग्रेसिव क्यों हैं हमारे ख़िलाफ़? तो हमने ही कहा कि आपने हमको पार्टी से निकाल दिया, तो हम आपके ख़िलाफ़ तो होंगे ही न?"

पार्टी से निकाल दिया वाले क़िस्से के लिए थोड़ा पीछे चलना होगा. जून, 2023 में जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने नीतीश सरकार की कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया. सब जगह हो-हल्ला हो गया कि एक और बड़ा दल नीतीश का साथ छोड़ रहा है, जो हुआ भी. दरअसल, इस घटना से भी कुछ दिन पहले जीतन राम चार विधायकों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास पर गए थे. बकौल मांझी, कुछ  इधर-उधर की प्रॉब्लम्स के बारे में बात करनी थी. मगर वहां गए तो इस पर कोई चर्चा नहीं हुई. चर्चा ये होने लगी कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को जनता दल यूनाइटेड में मर्ज कर लीजिए.

"विजय चौधरी (बिहार के वित्त मंत्री) वहां थे. हम पांच लोग थे और मुख्यमंत्री थे. हमने अपने विधायकों से पूछा, तो वो लोग कहने लगे कि क्या हर्ज़ है! तब तक नीतीश बोले - 'भाई, मिल जाइए. नहीं तो बाहर जाइए.'

फिर बातें चलीं. हमने बताया कि हम कुछ और बात करने आए थे. वो भी अनसुना कर दिए. फिर पूछे कि मर्ज करने के बारे में क्या सोचते हैं? हमने कहा कि अकेले कैसे आएं. तो वो बोले कि ये आपके विधायक लोग तो कह ही रहे हैं, कि हर्ज़ क्या है. हमने कहा उनसे, विधायक लोग ग़लत कह रहे हैं. यही कल नहीं कहेंगे. यही तो कमज़ोरी है हम लोगों में कि आपके सामने कोई बोलता नहीं है. इस पर वो फिर कहे कि सोच लीजिए, नहीं तो बाहर जाइए.

दो बार उन्होंने कहा कि बाहर जाइए."

मांझी वापस आए. कोर ग्रुप की बैठक बुलाई. एग्ज़ीक्यूटिव की बैठक बुलाई. विजय चौधरी को फ़ोन किया और अपना मत साफ़-साफ़ बताया कि वो लोग किसी भी परिस्थिति में जद-(यू) में मर्ज नहीं करेंगे. नीतीश जी के समर्थन में हैं, समर्थन करेंगे. लेकिन मिलेंगे नहीं.

सामने से जवाब आया - 'तब तो बाहर जाना होगा'. जीतन राम ने कहा - 'हम बाहर जाने को तैयार हैं'. बेटे से कह दिया कि रिज़ाइन करना पड़ेगा.

लालू प्रसाद जी ने कोई मध्यस्थता नहीं की? ये पूछा गया तो मांझी ने बताया कि वो भी (उन्हें) हटाने की ही बात करते थे. 

हाल के दिनों में भी दोनों की तकरार सार्वजनिक मंचों पर दिखी है. विधानसभा में जातिगत सर्वे पर बहस के दौरान जीतन राम मांझी ने आंकड़ों पर सवाल किए थे. इस पर नीतीश ने कह दिया था कि उनकी बेवक़ूफ़ी की वजह से मांझी मुख्यमंत्री बने थे.

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