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इजरायली हमला बढ़ने के बाद गाजा में संकट बढ़ा, इंटरनेट बंद, WHO बोला- कर्मचारियों से संपर्क टूटा

WHO के महानिदेशक ने बताया कि ग़ाज़ा में उनके स्टाफ़ से उनका संपर्क टूट गया है. बताया कि गाजा में भीषण बमबारी की खबरें बेहद परेशान करने वाली हैं. ऐसी परिस्थिति में न तो मरीजों को बाहर निकालना संभव है, न ही महफ़ूज़ ठिकाना ढूंढना.

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israel ground invasion
अरब मुल्कों और अमेरिका की सलाह की वजह से रुका हुआ था इज़रायल (फ़ोटो - AP)
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सोम शेखर
28 अक्तूबर 2023 (Updated: 28 अक्तूबर 2023, 17:58 IST)
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बीते रोज़, 27 अक्टूबर को ख़बर आई कि इज़रायल (Israel) ने ग़ाज़ा पट्टी पर बमबारी तेज़ कर दी है. रात के अंधेरे में घंटों तक लगातार एक-साथ हवाई हमले और गोलाबारी की गई. ग़ाज़ा में इंटरनेट और मोबाइल संचार सेवाएं ठप हो गई हैं. WHO के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि उनका ग़ाज़ा (Gaza) में अपने कर्मचारियों से संपर्क टूट गया है. इस हमले का असर कर्मचारियों की सुरक्षा और मरीज़ों पर पड़ सकता है. वहीं, हमास (Hamas) ने एक ताजा बयान में कहा है कि वो इज़रायली हमलों का मुक़ाबला करने के लिए तैयार है.

इज़रायल ने शुरू कर दिया 'ज़मीनी मिशन'?

27 अक्टूबर की शाम, इज़रायली सैन्य प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हगारी ने एक टेलीविज़न ब्रीफिंग में कहा, 

"पिछले कुछ दिनों में किए गए हमलों के साथ थल सेना आज रात अपने मिशन का विस्तार करेगी."

इससे ये सवाल खड़ा हो गया कि क्या इज़रायल का ज़मीनी हमला शुरू हो गया, जिसकी लंबे समय से चर्चा थी. इसे लेकर ये भी विवाद था कि इज़रायल उत्तर-ग़ाज़ा पर क़ब्ज़ा करना चाहता है, इसलिए लोगों को पूरा इलाक़ा ख़ाली करने को बोल रहा था.

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इज़रायल के इस एलान के बाद फ़िलिस्तीनी चरमपंथी समूह हमास ने जवाब दिया कि उसके लड़ाके सीमावर्ती इलाक़ों में इज़रायली सैनिकों के साथ लड़ाई कर रहे हैं, और वो इन हमलों के लिए पूरी तरह से तैयार है.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन अल-जज़ीरा ने रिपोर्ट किया कि शुक्रवार, 27 अक्टूबर को रात होने के बाद ग़ाज़ा शहर का आसमान बड़े विस्फोटों के धमाकों से धुआं हो गया. भयानक गोलाबारी. ज़मीन और हवा, दोनों ज़रियों से.

इज़रायल-ग़ाज़ा सीमा पर विस्फोट (फोटो - रॉयटर्स)
ग़ाज़ा का हाल

जंग शुरू होने के बाद से ही इज़रायल ने ग़ाज़ा पर 'पूर्ण घेराबंदी' कर दी है. अब तक 7,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं. मृतकों में क़रीब 3,000 बच्चे थे. बीते तीन हफ़्तों से 23 लाख ज़िंदा फ़िलिस्तीनियों का राशन-पानी, ईंधन, बिजली रुका हुआ है. घर ध्वस्त हैं. लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. शरण लेने के लिए बहुत कम विकल्प बचे हैं. संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी चेताया है कि इज़रायल की घेराबंदी के चलते और लोग मारे जाएंगे.

28 अक्टूबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम गेब्रिएसेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट किया कि ग़ाज़ा में उनके स्टाफ़ से उनका संपर्क टूट गया है. साथ ही अपील की, कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए घेराबंदी को ख़त्म किया जाए. उन्होंने लिखा,

"ग़ाजा में भीषण बमबारी की ख़बरें बेहद परेशान करने वाली हैं. ऐसी परिस्थिति में न तो मरीजों को बाहर निकालना संभव है, न ही महफ़ूज़ ठिकाना ढूंढना. ब्लैक-आउट के चलते एंबुलेंस भी घायलों तक पहुंच नहीं पा रही हैं."

इसके बाद WHO के आधिकारिक हैंडल से भी रात का ब्योरा आया. लिखा गया कि भीषण बमबारी और ज़मीनी 'घुसपैठ' के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों, मरीज़ों और आम जनता को संचार और बिजली के ब्लैक-आउट का सामना करना पड़ा है. WHO ने अपील की है कि तत्काल युद्धविराम होना चाहिए. और, सभी पक्षों को नागरिकों और नागरिक संपत्ति के लिए सावधानी बरतनी चाहिए.

बच्चों के लिए काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र के संगठन UNICEF की प्रमुख कैथरीन रसेल ने भी कहा कि वो अभी ग़ाज़ा में अपनी एजेंसी के कर्मचारियों से बात नहीं कर पा रही हैं.

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इज़रायली नेताओं ने 7 अक्टूबर के हमले के लिए हमास का सफ़ाया करने की कसम खाई है. इज़रायल ने पहले भी चेताया था कि वो ज़मीनी हमले की तैयारी कर रहा है. लेकिन अमेरिका और अरब देशों ने उस ऑपरेशन को टालने के लिए कहा है. ताकि बेक़ुसूर नागरिक न मरें, जैसे अभी मर रहे हैं.

क्षेत्रीय भू-राजनीति समझने वाले बताते हैं कि इज़रायल के 'प्रमुख दुश्मन' ईरान के सहयोग से हमास ने तैयारी ठीक से की है. बीते कुछ सालों में इज़रायल ने सुरंगों का एक बड़ा नेटवर्क बनाया है और अलग-अलग जगहों से हथियार का स्टॉक भर रहा है.

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