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'भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों को मरवाया...' लेकिन भारत सरकार ने मानने से किया इनकार

ब्रिटिश अखबार The Guardian ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत ने पाकिस्तान में आतंकियों को मरवाया. मगर पाकिस्तान कुछ कह भी नहीं पा रहा है. रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि RAW अधिकारियों ने मोसाद और KGB जैसी इंटेलिजेंस एजेंसियों प्रेरित होकर ये काम किया है.

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रिपोर्ट में दावा किया है कि पुलवामा हमले के बाद भारत ने विदेश में मौजूद आतंवादियों का खात्मा करने की नीति बनाई, (फाइल फोटो)
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5 अप्रैल 2024 (Updated: 5 अप्रैल 2024, 10:11 IST)
Updated: 5 अप्रैल 2024 10:11 IST
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भारत सरकार ने उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें दावा किया गया है कि भारत ने एक स्ट्रैटजी के तहत साल 2020 के बाद से पाकिस्तान में कई लोगों की हत्या की. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) ने अपने स्लीपर सेल्स के जरिए ये हत्याएं करवाईं. रिपोर्ट में ऐसी 20 हत्याओं का जिक्र किया गया है.

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन (The Guardia) ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत ने 2020 के बाद से विदेश में मौजूद आतंकवादियों का खात्मा करने की नीति के तहत इन ऑपरेशंस को अंजाम दिया. अखबार ने भारत और पाकिस्तान के इंटेलिजेंस अधिकारियों से बातचीत और कुछ दस्तावेजों को देखने की बात कही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद इस नीति को अमल में लाया गया.

अखबार का कहना है कि इससे पहले भारत पर इन हत्याओं को अंजाम देने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब इंटेलिजेंस से जुड़े लोगों ने इन ऑपरेशंस की चर्चा की है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसी नीति के तहत विदेशी जमीन पर सिख अलगाववादियों को भी निशाना बनाया गया है.

UAE के स्लीपर सेल्स

अखबार ने पाकिस्तानी इंटेलिजेंस अधिकारियों के हवाले से बताया है कि इनमें से ज्यादातर हत्याएं UAE में मौजूद स्लीपर सेल्स के जरिए अंजाम दी गई हैं. इन अधिकारियों का कहना है कि इन स्लीपर सेल्स ने हत्याओं को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में मौजूद स्थानीय अपराधियों को भारी-भरकम रकम दी. यह भी आरोप लगाया गया है कि भारतीय इंटेलिजेंस अधिकारियों ने जिहादियों को भी भर्ती किया और उन्हें यकीन दिलाया कि वो काफिरों की हत्या कर रहे हैं.

अखबार ने दो भारतीय इंटेलिजेंस अधिकारियों से हुई बातचीत का भी हवाला दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन अधिकारियों का कहना है कि पुलवामा हमले के बाद विदेशी जमीन पर मौजूद आतंकवादियों का खात्मा करने की नीति बनी. इसके लिए सरकार में ऊंचे स्तर पर बैठे लोगों ने मंजूरी दी. एक अधिकारी ने बताया कि भारत ने इजरायल की मोसाद और रूस की KGB जैसी इंटेलिजेंस एजेंसियों से प्रेरणा ली, जिनके ऊपर विदेश में इस तरह की हत्याओं को अंजाम देने के आरोप हैं.

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रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने यह भी बताया कि RAW के अधिकारियों ने सीधे तौर पर सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की जिक्र किया. जमाल खशोगी की हत्या 2018 में हुई थी. अधिकारी ने बताया कि RAW अधिकारियों ने इस हत्या की विस्तार से चर्चा की और इससे सीख लेने की बात कही. अधिकारी के मुताबिक, बैठक में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर सऊदी अरब की सरकार ऐसा कर सकती है तो हम क्यों नहीं?

रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में मौजूद वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सऊदी अरब की सरकार ने बहुत ही प्रभावशाली काम किया. उन्होंने ना केवल अपने दुश्मन से छुटकारा पाया बल्कि उनके खिलाफ काम कर रहे लोगों को एक संदेश भी भेजा. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हर देश ऐसा कर रहा है, हमारा देश अपने दुश्मनों को उनकी जगह दिखाए बिना मजबूत नहीं बन सकता.

द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के इंटेलिजेंस अधिकारियों ने ऐसे कई सबूत दिए हैं जिनसे पाकिस्तान में हुई ऐसी 20 हत्याओं में भारत के शामिल होने की बात सामने आती है. इन सबूतों में गवाही, गिरफ्तारी के रिकॉर्ड, फाइनेंशियल स्टेटमेंट्सस, वॉट्सएप मेसेजेस और पासपोर्ट शामिल हैं. हालांकि, गार्डियन का कहना है कि वो इन दस्तावेजों की स्वतंत्र तौर पर पुष्टि नहीं कर पाया है.

भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा

रिपोर्ट में ऐसी कुछ हत्याओं का भी जिक्र किया गया है. ऐसा एक नाम जाहिद अखुंड का है. जाहिद एयर इंडिया की एक फ्लाइट की हाइजैकिंग में शामिल था. पाकिस्तान की तरफ से दिए गए दस्तावेजों में कहा गया है कि एक RAW हैंडलर ने कई महीनों तक जाहिद पर नजर रखने के लिए भुगतान किया. फिर उसके बाद एक पत्रकार बनकर सीधे जाहिद से संपर्क किया. फिर जाहिद की हत्या करने के लिए अफगानिस्तान के कुछ नागरिकों को लाखों रुपये दिए गए. मार्च, 2022 में कराची में जाहिद की हत्या कर दी गई.

एक और नाम शाहिद लतीफ का है. शाहिद लतीफ जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था. रिपोर्ट में बताया गया है कि उसकी हत्या करने के कई प्रयास किए गए. फिर आखिर में एक 20 साल के पाकिस्तानी नागरिक को इस काम के लिए लाखों रुपये दिए गए. उसने पिछले साल अक्टूबर में लतीफ की हत्या कर दी. लतीफ को सियालकोट की एक मस्जिद में गोली मारी गई थी. इसके बाद उस पाकिस्तानी नागरिक को गिरफ्तार कर लिया गया था.

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रिपोर्ट में कुछ विश्लेषकों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तानी सरकार इन हत्याओं का सार्वजनिक तौर पर संज्ञान लेने में कतरा रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जिनकी हत्या की गई है, उनमें से ज्यादातर आतंकवादी हैं और पाकिस्तान पहले ही कह चुका है कि वो इन आतंकवादियों को अपने यहां शरण नहीं दे रहा है.

इधर, भारत के विदेश मंत्रालय ने गार्डियन को बताया कि इस तरह के आरोप झूठे हैं और भारत विरोधी प्रोपेगैंडा का हिस्सा हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान को भी दोहराया, जिसमें उन्होंने कहा था कि दूसरे देशों में इस तरह की लक्षित हत्याएं करवाना भारत सरकार की नीति नहीं है.

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