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एवरेस्ट चढ़ने गए भारतीय की मौत, दो और पर्वतारोहियों को मृत माना गया

बताया जाता है कि एवरेस्ट पर जितनी भी मौतें होती हैं, वे 8,000 मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में होती हैं. इसे ‘डेथ ज़ोन’ कहते हैं. यहां हवा पतली हो जाती है और ऑक्सीजन का स्तर कम. इससे बीमारी और बेहोशी के ख़तरे बढ़ जाते हैं.

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एवरेस्ट पर्वतारोहण का मौसम अब समाप्ति की ओर है. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)
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सोम शेखर
28 मई 2024 (Updated: 28 मई 2024, 17:29 IST)
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बंसीलाल. 46 बरस के एक पर्वतारोही. एवरेस्ट पर चढ़ने का प्रयास किया, लेकिन पिछले सप्ताह उन्हें पहाड़ से बचाया गया और नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक अस्पताल में ले जाया गया. नेपाली पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.

पर्यटन विभाग के राकेश गुरुंग ने अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी AFP को बताया, “अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई.”

आठ में से तीन लोग - एक ब्रिटिश पर्वतारोही और दो नेपाली गाइड - लापता बताए गए हैं. हालांकि, उन्हें मृत मान लिया गया है. 

दुनिया की दस सबसे ऊंची चोटियों में से आठ नेपाल में हैं. हर वसंत के मौसम में तापमान कुछ गर्म हो जाता है, हवाएं आमतौर पर शांत हो जाती हैं. इस दौरान सैकड़ों पर्यटक और पर्वतारोही एवरेस्ट चढ़ने की मंशा के साथ जाते हैं. नेपाल ने इस साल 900 से ज़्यादा परमिट जारी किए हैं. इनमें से एवरेस्ट के लिए 419. वहां के पर्यटन विभाग ने इससे पांच मिलियन डॉलर (~41 करोड़ रुपये) से ज़्यादा की कमाई की है.

आमतौर पर 8,849 मीटर ऊंचे इस पहाड़ तक पहुंचने में कई दिन लगते हैं. सो पहाड़ फ़तेह करने वाले कई-कई रातें अलग-अलग कैम्प्स में बिताते हैं. 

ख़तरे का एवरेस्ट

पिछले साल एडवेंचर के दौरान सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं. एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश में कुल 18 लोगों की जान गई थी. 

बताया जाता है कि एवरेस्ट पर जितनी भी मौतें होती हैं, वे 8,000 मीटर से ऊपर के क्षेत्रों में होती हैं. इसे ‘डेथ ज़ोन’ कहते हैं. यहां हवा पतली हो जाती है और ऑक्सीजन का स्तर कम. इससे बीमारी और बेहोशी के ख़तरे बढ़ जाते हैं.

इसी साल और पहाड़ों पर चढ़ते हुए तीन और लोगों की मौत हो गई. हाल ही में एवरेस्ट के पड़ोसी ल्होत्से पर चढ़ने वाले एक रोमान पर्वतारोही की मौत की ख़बर आई थी. जबकि दुनिया के पांचवें सबसे ऊंचे पर्वत मकालू पर एक फ्रांसीसी और एक नेपाली पर्वतारोही की मौत हो गई थी.

हालांकि, इसी साल कई रिकॉर्ड भी तोड़े गए. इनमें नेपाली पर्वतारोही फुंजो लामाम का नाम आता है, जो 14 घंटे 31 मिनट में एवरेस्ट के शिखर तक पहुंचीं. ये एक महिला के एवरेस्ट चढ़ने का दुनिया का सबसे तेज़ रिकॉर्ड है. फिर नेपाली पर्वतारोही कामी रीता शेरपा का नाम आएगा. जो तीन दशकों में 30 बार एवरेस्ट चढ़ चुके हैं. और, एक हफ़्ते में दो बार.

वीडियो: तारीख: माउंट एवरेस्ट के नाम पर अंग्रेजों ने क्या झूठ बोला?

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