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AI के लिए नोबेल मिला, अब इसी से क्यों डर रहे हैं Geoffrey Hinton?

Physics Nobel Prize 2024 के एलान के बाद एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान जेफ्री हिंटन ने AI टेक्नोलॉजी के विकास की गति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.

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Geoffrey Hinton
कंप्यूटर वैज्ञानिक जेफ्री हिंटन को 2024 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. (फोटो -एजेंसी)
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सोम शेखर
9 अक्तूबर 2024 (Published: 21:30 IST)
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प्रोफ़ेसर जेफ़्री हिंटन और प्रोफ़ेसर जॉन हॉपफ़ील्ड को संयुक्त रूप से 2024 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया है. हॉपफ़ील्ड, भौतिक विज्ञानी हैं और हिंटन, कंप्यूटर वैज्ञानिक. दोनों के काम से मशीन लर्निंग और AI के बुनियादी विस्तार में एक बड़ी छलांग लगाई जा सकती है. मगर हिंटन चिंतित हैं. वो AI के आशंकित ख़तरों के बारे में कड़ी चेतावनी देते रहे हैं.

नोबेल के एलान के बाद एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान हिंटन ने फिर चेताया कि जिस तरह से AI टेक्नोलॉजी बढ़ रही है, वो चिंताजनक है. कहा,“हमें इसके नतीजे के बारे में चिंता करने की ज़रूरत है.”

ऐसा पहली बार नहीं चेताया है

डॉ. हिंटन 76 बरस के हैं. ब्रिटिश प्रवासी, जो कनाडा चले आए. Father of AI कहे जाते हैं. AI का पापा. AI के स्टूडेंट, AI के प्रोफ़ेसर, AI के जनक, और AI के सबसे बड़े आलोचक भी.

1972 में डॉ हिंटन University of Edinburgh में ग्रैजुएशन के स्टूडेंट थे. वहां उन्होंने पहली बार न्यूरल नेटवर्क वाला आइडिया दिया था. 

Neural मतलब इंसानी दिमाग़, शरीर या नर्वस सिस्टम. इसका एक नेटवर्क बनाने का आइडिया था, लेकिन गुणा-गणित के आधार पर.

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साल 1980 में डॉ. हिंटन Carnegie Mellon University में कंप्यूटर साइंस के प्रोफ़ेसर थे. वो AI या कहें न्यूरल नेटवर्क पर काम कर रहे थे. मगर अचानक काम में एक मतांतर आ गया. दरअसल, अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागॉन उस समय अधिकतर AI बेस्ड प्रोग्राम्स को फंड करता था. Pentagon वैसे भी पैसा देकर कुछ ख़तरनाक़ डेवलप करने के लिए बदनाम है. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, अमेरिकी रक्षा विभाग युद्ध के लिए 'रोबॉट सोल्जर्स' बनाने का सोच रहा था. वो इसके ख़िलाफ़ थे. सो सब छोड़ कर कनाडा आ गए.

नोबेल जीतने के बाद भी उन्होंने इसी तरह की आशंकाएं जताईं. स्वास्थ्य सेवा, वैज्ञानिक रिसर्च और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में AI के अपार फ़ायदों के साथ उसके ग़लत इस्तेमाल की आशंका पर भी ध्यान दिलाया. कहा, 

AI का प्रभाव औद्योगिक क्रांति जैसा ही होगा. शारीरिक ताक़त बढ़ाने के बजाय, AI लोगों की बौद्धिक क्षमताएं बढ़ाएगा. हमने कभी ऐसी दुनिया जी ही नहीं, जहां हमारे पास की चीज़ें हमसे ज़्यादा स्मार्ट हों. यह हमें बेहतर हेल्थ सर्विस दे सकता है. ज़्यादा क़ाबिल बना सकता है. लेकिन हमें ख़राब नतीजों के बारे में भी चिंता करने की ज़रूरत है. ख़ास तौर पर इन चीज़ों के नियंत्रण से बाहर हो जाने के ख़तरे के बारे में.

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हिंटन की चिंताएं, सिर्फ़ उनकी चिंता नहीं है. AI पर एक बड़ी बहस है. दुनिया-जहान के एक्सपर्ट दो धड़ों में बंटे हुए हैं. एक फ़ायदे गिनाने वाला, दूसरा डर. दूसरे लोगों के अगुआ हैं, एरिक हॉर्विट्ज़. माइक्रोसॉफ्ट के चीफ साइंटिस्ट रहे हैं. OpenAI के डेवलपमेंट में इनका बड़ा योगदान था. उन्होंने 19 बड़े लीडर्स के साथ मिलकर AI के ग़लत इस्तेमाल पर एक चिट्ठी लिखी थी. तब डॉ. हिंटन ने इस पर कुछ नहीं कहा था. मगर अगले ही महीने गूगल छोड़ दिया, फिर AI के ख़तरों पर मुखर होकर बात की.

वीडियो: नाभि में रुई बनने की वजह खोजने वाले को नोबेल पुरस्कार क्यों मिला था?

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