पैसों का लालच और धमकियां.. 9 साल में नाबालिग के बलात्कारी BJP विधायक ने क्या-क्या किया?
भाजपा विधायक रामदुलार सिंह गोंड को नाबालिग का रेप करने के दोष में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
सोनभद्र के दुद्धी विधानसभा से भाजपा विधायक रामदुलार सिंह गोंड (BJP MLA Ramdular Gond) को एक नाबालिग का रेप करने के दोष में जेल भेज दिया गया है. विशेष MP-MLA कोर्ट 15 दिसंबर को सज़ा सुनाएगी. फ़ैसले के बाद पीड़िता के वकील का बयान आया. उन्होंने बताया कि रेप पीड़िता को चुप रहने के लिए रुपयों का लालच दिया गया, बार-बार धमकियां दी गई थीं.
9 साल पुराना केसघटना नवंबर, 2014 की है. 4 तारीख़ की शाम 7 बजे पीड़िता रोती हुई घर आई. घरवालों को बताया कि रामदुलार गोंड ने उसका रेप किया है. तब वो विधायक नहीं था, लेकिन उसकी पत्नी म्योरपुर थाना क्षेत्र के एक गांव की प्रधान थीं. सो 'प्रधानपति' था. गांव में चलती थी. पीड़िता के परिजनों ने थाने में गोंड के ख़िलाफ़ तहरीर दी.
गोंड पर IPC की धारा-376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और POCSO अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. परिवार के मुताबिक़, उनके लिए केस लड़ना बहुत मुश्किल था क्योंकि गोंड गांव में प्रभावशाली भी था और केंद्र में भाजपा की सरकार थी.
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मुक़दमे के दौरान रामदुलार का राजनीतिक करियर आगे बढ़ रहा था. वो 2022 में विधायक बन गया. पीड़ित परिवार पर दबाव भी बढ़ गया. पीड़िता के भाई ने बताया,
"लगभग डेढ़ साल पहले विधायक ने मुझे फ़ोन करवाया था. हमसे मामला वापस लेने के लिए कहा. परिवार के और लोगों को भी फ़ोन आए. एक बार तो मेरी बहन को भी फोन किया और उससे कहा कि वो हमें केस वापस लेने के लिए मनाए. उसके विधायक बनने के बाद हम लोग और डर गए. हमें केस वापस लेने के लिए 25-30 लाख रुपये का भी ऑफ़र आया, मगर हमने मना कर दिया. हमने अदालत को सब बता दिया."
परिवार का ये भी आरोप है कि गोंड ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार लड़की का बलात्कार किया.
"मेरी बहन तब बच्ची थी. वो डर गई थी क्योंकि उसका (गोंड का) रसूख था. उसने मेरी बहन से कहा था कि अगर उसने परिवार में किसी को बताया, तो वो हम सब को मार डालेगा."
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पीड़िता के वकील विकास शाक्य ने इंडिया टुडे के विधु शेखर मिश्र से बातचीत की. बताया कि पीड़िता के साथ उन्हें भी केस लड़ने के दौरान कई तरह के दबाव का सामना करना पड़ा.
"रेप से पीड़िता गर्भवती हो गई थी. उसकी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट कोर्ट में प्रेषित की गई थी. DNA जांच के लिए भी कहा गया था, लेकिन कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था. दूसरे पक्ष ने इसे आधार बनाकर बचने की कोशिश की. रसूख का इस्तेमाल कर कई तरह से दबाव बनाने की कोशिश की. यहां तक कि पीड़िता के ससुराल जाकर भी धमकियां दी थीं. मगर पीड़ित पक्ष अपनी बात पर अडिग रहा और मुक़दमे में लगातार पैरवी करता रहा. सुनवाई पूरी होने के बाद फ़ैसला हमारे हक़ में आया."
जिस वक़्त विधायक को सज़ा सुनाई गई पीड़िता का परिवार कोर्ट परिसर में मौजूद था. फैसले के बाद भाई ने कहा,
"पिछले नौ बरसों हमने बहुत झेला है. ये एक लंबी क़ानूनी लड़ाई थी. लेकिन अब, मैं ये जानकर शांति से सो सकता हूं कि मेरी बहन का बलात्कारी जेल में है."
पीड़ित महिला अब सोनभद्र में नहीं रहती. परिवार का कहना है कि गोंड के परिवार वाले अब भी उन्हें धमकी दे रहे हैं. कह रहे हैं कि वो बदला लेंगे.