अहमदियाओं पर जमीयत ने अब जो कहा है, आंध्र प्रदेश में बवाल और बढ़ जाएगा?
जमीयत का कहना है कि अहमदियाओं को मुस्लिम ना मानने का आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड का रुख पर सभी मुसलमान सहमत हैं. इधर, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के रुख पर विरोध जता चुका है.
आंध्र प्रदेश में अहमदिया समुदाय (Andhra Pradesh Ahmadiyyas) के लोगों को लेकर चल रहे विवाद के बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने 25 जुलाई को आंध्र पद्रेश वक्फ बोर्ड के पक्ष में प्रस्ताव पारित किया है. जमीयत ने अपने प्रस्ताव में अहमदियाओं के मुस्लिम ना होने की बात कही है. जमीयत का कहना है कि अहमदियाओं को मुस्लिम ना मानने का आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड का रुख पर सभी मुसलमान सहमत हैं. इधर, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के रुख पर विरोध जता चुका है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्रालय ने 21 जुलाई को आंध्र प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई गई थी. मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव को 'हेट कैंपेन' बताते हुए कहा था कि इसका असर पूरे देश में पड़ सकता है. आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव के एस जवाहर रेड्डी के भेजे गए पत्र में मंत्रालय ने लिखा था,
"अहमदिया मुस्लिम समुदाय की तरफ से 20 जुलाई को मिले पत्र में बताया गया है कि कुछ चुनिंदा वक्फ बोर्ड अहमदिया समुदाय का विरोध कर रहे हैं और समुदाय को इस्लाम से बाहर मानने के लिए प्रस्ताव पारित कर रहे हैं. यह अहमदिया समुदाय के खिलाफ 'हेट कैंपेन' है और ना तो यह वक्फ बोर्ड के कार्यक्षेत्र में आता है और ना ही उसके पास ऐसा कोई अधिकार है कि वो अहमदिया सहित किसी भी समुदाय की धार्मिक पहचान निर्धारित करे."
साल 2012 में आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित किया था. इसके तहत अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित किया गया था. इस प्रस्ताव को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने प्रस्ताव पर अंतरिम रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी इस साल फरवरी में वक्फ बोर्ड ने एक दूसरी घोषणा की. जिसमें एक बार फिर से अहमदिया समुदाय के लोगों को गैर-मुस्लिम घोषित किया गया. बोर्ड ने इसके लिए दुनियाभर में अलग-अलग इस्लामिक संस्थाओं और विश्वविद्यालयों की तरफ से जारी किए गए फतवों का हवाला दिया.
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