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नकली जज बन नकली कोर्ट बनाया, असली क्लाइंट्स की अरबों की जमीन डकार गया गुजरात का महाठग

यह मामला गुजरात के गांधीनगर से सामने आया है. आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन पांच साल से फर्जी कोर्ट चला रहा था.

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पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. (फ़ोटो/आजतक)
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मनीषा शर्मा
22 अक्तूबर 2024 (Updated: 22 अक्तूबर 2024, 22:51 IST)
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अभी तक हमने फर्जी IPS, फर्जी इंस्पेक्टर के बारे में सुना था. अब एक फर्जी जज की खबर सामने आई है. ये वाले फ्रॉड भाई साहब पेशे से वकील हैं लेकिन इन पर आरोप है कि ये ‘जज’ बनकर कोर्ट चला रहे थे. अदालत जैसा माहौल इन्होंने अपने ऑफिस में बनाया हुआ था. वहां अरबों की विवादित जमीनों से जुड़े मामलों की सुनवाई की जाती थी. भंडाफोड़ होने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.

आजतक से जुड़े ब्रिजेश दोशी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला गुजरात के गांधीनगर का है. आरोपी का नाम मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन है. आरोप है कि वह बीते पांच साल से फर्जी कोर्ट चला रहा था. इस दौरान बतौर ऑर्बिट्रेटर (मध्यस्थ) मॉरिस ने अरबों रुपए की करीब 100 एकड़ सरकारी जमीन अपने नाम करने के ऑर्डर दिए. बताया जा रहा है कि इस फर्जी कोर्ट में मॉरिस के साथी वकील बनकर खड़े रहते थे, ताकि लोगों को सारी कार्रवाई असली लगे.

रिपोर्ट के मुताबिक, मॉरिस ऐसे लोगों को फंसाता था जिनके जमीनी विवाद के केस शहर के सिविल कोर्ट में पेंडिंग थे. मॉरिस लोगों से कहता था कि वह कोर्ट से नियुक्त किया गया आधिकारिक मध्यस्थ है. वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस भी लेता था. और फिर उन्हें मॉरिस के गांधीनगर ऑफिस के बारे में बताया जाता था, जिसे अदालत की तरह डिज़ाइन किया गया था. यहां मॉरिस केस से जुड़ीं दलीलें सुनता और आदेश पारित करता था. इस तरकीब से मॉरिस 11 से ज्यादा मामलों में अपने पक्ष में ऑर्डर पारित कर चुका था.

यह भी पढ़ें: फर्जी IPS बन शादी की, दहेज में 40 लाख रुपये, गाड़ी और सोना लिया, कैसे हुआ खुलासा?

कैसे पकड़ा गया नकली जज?

यह नकली अदालत पिछले पांच साल से चल रही थी. साल 2019 में आरोपी मॉरिस ने एक ऐसा ही आदेश पारित किया था. अपने क्लाइंट के पक्ष में. लेकिन मॉरिस को नहीं पता था कि मामला जिला कलेक्टर के अधीन एक सरकारी जमीन से जुड़ा था. मॉरिस के मुवक्किल ने दावा किया और पालडी इलाके की जमीन के लिए सरकारी दस्तावेजों में अपना नाम दर्ज करवाने की कोशिश की.

मॉरिस ने कहा कि उसे सरकार ने मध्यस्थ बनाया है. इसके बाद फर्जी अदालत ने कार्रवाई शुरू की, और उसने आदेश अपने क्लाइंट के पक्ष में सुना दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक, आदेश को लागू करने के लिए मॉरिस ने सिविल कोर्ट में अपील की. और इसमें वही फर्जी आदेश अटैज किया, जो उसने सुनाया था. लेकिन सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को मॉरिस की सच्चाई के बारे में पता चल गया. फिर उन्होंने करंज पुलिस स्टेशन में मॉरिस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. अब उन्हें गिरफ्तार किया गया है.

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