The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • after arvind kejriwal resignat...

अरविंद केजरीवाल के बाद कौन होगा दिल्ली का मुख्यमंत्री? इन नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा

16 सितंबर की शाम पार्टी की पॉलिटिकल अफ़ेयर्स कमेटी की बैठक हुई. इसमें केजरीवाल, सिसोदिया समेत पार्टी के बड़े नेता शामिल हुए. अगले दिन केजरीवाल आवास पर पार्टी विधायकों की बैठक है.

Advertisement
arvind kejriwal next cm
बाएं से दाएं: संजय सिंह, कैलाश गहलोत, मनीष सिसोदिया, सौरव भारद्वाज, अरविंद केजरीवाल, आतिशी, भगवंत मान. (फोटो - PTI)
pic
सोम शेखर
16 सितंबर 2024 (Updated: 17 सितंबर 2024, 15:54 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार, 17 सितंबर की शाम अपना इस्तीफ़ा सौंप सकते हैं. एक दिन पहले उन्होंने ख़ुद इसका एलान किया था. इस्तीफ़े का ये फ़ैसला आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र बनी-बनाई रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. आम आदमी पार्टी (AAP) नैतिकता की दुहाई दे रही है, दूसरी तरफ़ भाजपा इसे सीधे 'पब्लिसिटी स्टंट' बता रही है. वहीं, जानकार बता रहे हैं कि इससे वो AAP को एक नई रोशनी में पेश करना चाहते हैं और ख़ुद को “एक भ्रष्ट व्यवस्था के शहीद” के तौर पर दर्ज करना चाहते हैं.

मगर एक सवाल अब भी रहता है, कि उनके बाद दिल्ली की कमान किसके हाथ में होगी? मीडिया रपटों में तो कई नाम तैर रहे हैं. पार्टी वफ़ादार आतिशी मार्लेना से लेकर जाट समुदाय के कैलाश गेहलोत.

किन पांच नामों पर चर्चा?

सोमवार, 16 सितंबर की शाम पार्टी की पॉलिटिकल अफ़ेयर्स कमेटी (PAC) की बैठक हुई. इसमें केजरीवाल, सिसोदिया समेत पार्टी के बड़े नेता शामिल हुए. अगले दिन, 17 सितंबर को केजरीवाल आवास पर पार्टी विधायकों की बैठक है. एक के बाद एक हो रही बैठकों में किस नाम की संभावना है?

आतिशी: शिक्षा और PWD समेत दिल्ली कैबिनेट के 11 पोर्टफ़ोलियो इनके ज़िम्मे हैं. बहुत पहले से पार्टी की वफ़ादार रही हैं. ऑक्सफ़ोर्ड की डिग्री और रोड्स स्कॉलरशिप जैसी उप्लब्धियों के साथ शुरू से ही उनकी छवि एक पढ़ी-लिखी नेता की रही. इसी वजह से दिल्ली के स्कूलों के बोलबाले में उनका नाम भी नत्थी होता रहा. हालांकि, 2020 में कालकाजी से विधायक बनने के बाद पार्टी ने उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी थी. जब उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ़्तार हुए, तब जा कर मंत्री बनीं. जब केजरीवाल और सिसोदिया जेल में थे, तब उन्होंने ही दारोमदार संभाला.

बीती 15 अगस्त को केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के स्वतंत्रता दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के लिए उन्हें ही चुना था. मगर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस योजना पर पानी फेर दिया. सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने ध्वजारोहण समारोह आयोजित करने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री के निर्देशों को अस्वीकार कर दिया और उनकी जगह कैलाश गहलोत को नामित किया गया.

ये भी पढ़ें - कोई बोल रहा अग्निपरीक्षा, कोई नाटक, अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे को कैसे देखा गया?

संजय सिंह: 2018 से राज्यसभा सांसद हैं. AAP के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक. मीडिया में भी सबसे ज़्यादा दिखने वाले और संसद में अपने जोशीले भाषणों के लिए अक्सर वायरल. पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से हैं और राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य हैं.  

दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें भी गिरफ़्तार किया था. अब चूंकि संजय सिंह ख़ुद आबकारी नीति मामले में ज़मानत पर हैं, तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाना उचित नहीं लगेगा.

कैलाश गहलोत: पेशे से वकील. 2015 से दिल्ली के नज़फ़गढ़ के विधायक. AAP सरकार के वरिष्ठ सदस्यों में से एक. परिवहन, वित्त और गृह मंत्रालय जैसे कुल आठ प्रमुख विभाग इनके ज़िम्मे हैं. पार्टी को कवर करने वाले पत्रकार कहते हैं कि कैलाश गहलोत का अधिकारियों के साथ तालमेल अच्छा है. नौकरशाहों के साथ झगड़े के बावजूद भी वे अपने विभागों में काम निकलवा लेते हैं.

इनके साथ एक और फ़ैक्टर जोड़ा जा रहा है. राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि गहलोत जाट समुदाय से आते हैं, इसीलिए उन्हें मुख्यमंत्री बना कर हरियाणा में पार्टी एक बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है.

गोपाल राय: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री. पार्टी के वरिष्ठ सदस्य. 2015 से ही कैबिनेट का हिस्सा रहे हैं. इंडिया टुडे के इनपुट्स के मुताबिक़, शहर के वर्किंग क्लास में उनकी अपील है. शहर के प्रदूषण और लेबर वेलफ़ेयर जैसे दिल्ली-विशेष मुद्दों की वजह से वो ख़बरों में रहते हैं.

सौरभ भारद्वाज: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री. जब 49 दिन की सरकार बनी थी, उस दौरान पहली बार दिल्ली विधानसभा के लिए चुने गए थे. फिर खाद्य, परिवहन, पर्यावरण और सामान्य प्रशासन जैसे कई प्रमुख मंत्रालय सौंपे. पार्टी से जुड़े अहम मामलों मे अक्सर मीडिया के सामने आते हैं.

ये भी पढ़ें - आखिर क्यों दे रहे हैंं केजरीवाल इस्तीफा? जानिए, इस राजनीतिक दांव के मायने

अरविंद की पत्नी सुनीता केजरीवाल को भी संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है. जब केजरीवाल को ED ने गिरफ़्तार किया था, तब वो मुख्यधारा में आईं. पार्टी की कमान संभाली और दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में AAP के लोकसभा कैम्पेन का प्रमुख चेहरा बनीं.

हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाने से कोई फ़ायदा नहीं होगा. क्यों? केजरीवाल का पूरा प्लैन ऑप्टिक्स सुधारने का ही है. ऐसे में अगर उनकी पत्नी मुख्यमंत्री बन जाएं, तो मेसेज तो अच्छा नहीं ही जाएगा. भ्रष्टाचार के बाद परिवारवाद के आरोप लगने लगेंगे.

राघव चड्ढा का नाम भी सामने आया था. मगर गिरफ़्तारी के बाद से बहुत बैकफ़ुट पर चले गए हैं. सो उनका दावा भी मज़बूत नहीं.

पार्टी सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि आतिशी, गोपाल राय और कैलाश गहलोत के नामों की संभावना सबसे ज़्यादा है. वहीं, कुछ सूत्र ऐसा भी दावा कर रहे हैं कि नया मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक समुदाय से हो सकता है, क्योंकि 2020 के दिल्ली दंगों के बाद से पार्टी के समर्थन में गिरावट देखी गई है. ऐसे में मंत्री इमरान हुसैन एक सरप्राइज़ कैंडिडेट हो सकते हैं.

वीडियो: इस्तीफे का ऐलान कर अरविंद केजरीवाल क्या बोले?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement