The Lallantop
Advertisement

चीन के लिए 'अलगाववादी', जनता का चहेता: कौन हैं ताइवान के नए राष्ट्रपति विलियम लाई?

ताइवान चुनाव के नतीजों का सीधा असर उनके चीन के साथ रिश्ते पर पड़ता है. और, ग्लोबल साउथ में चीन के पाले में कौन है, कौन ख़िलाफ़ – इसका असर वर्ल्ड ऑर्डर पर.

Advertisement
william lai ching te
चुनावी रैली के दौरान लाई चिंग-ते (फ़ोटो - EPA)
pic
सोम शेखर
14 जनवरी 2024 (Updated: 14 जनवरी 2024, 14:05 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

ताइवान की सत्ताधारी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) के विलियम लाई चिंग-ते (Lai Ching-te) ने राष्ट्रपति चुनाव जीत लिया है. 2020 से वो उप-राष्ट्रपति थे, अब नए राष्ट्रपति होंगे. चीन ताइवान पर अपना दावा करता है और इसीलिए लोगों को चेतावनी दी थी, कि लाई को वोट न करें.

लाई की जीत के बाद भी चीन ने प्रतिक्रिया दी. कहा कि DPP जनता की आम राय का प्रतिनिधित्व नहीं करती और चाहे जो भी जीता हो, इससे चीन के री-यूनिफ़िकेशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

जीत दर्ज करने के बाद लाई भी बोले. मीडिया से कहा,

“मेरी पहली ज़िम्मेदारी है कि ताइवान में शांति और स्थिरता बनी रहे. साथ ही मैं देश को चीन की धमकियों से बचाने के लिए भी प्रतिबद्ध हूं.”

कौन हैं विलियम लाई चिंग-ते?

उत्तरी ताइवान के एक तटीय गांव में पले-बढ़े. खनिकों के परिवार में. बस दो साल के ही थे, जब उनके पिता एक कोयला खदान दुर्घटना में गुज़र गए. लाई कुल छह भाई-बहन थे और उन्हें उनकी मां ने बड़ा किया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने ताइवान के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में मेडिकल की पढ़ाई की. हार्वर्ड से पब्लिक हेल्थ में मास्टर्स किया. आगे चलकर किडनी के डॉक्टर बने.

80 के दशक में ताइवान ने लगभग 40 साल पुराना मार्शल लॉ ख़त्म कर दिया और राजनीतिक सुधारों की ओर क़दम बढ़ाया. तब लाई ने राजनीति के लिए डॉक्टरी छोड़ दी. साल 1998 में पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ा और जीता. फिर 2010 में ताइनान शहर के मेयर बने. इस दरमियां उन्होंने द्वीप के हाई-टेक चिप इंडस्ट्री को बढ़ाने में ज़रूरी भूमिका अदा की. मेयर के तौर पर उन्होंने एक स्थानीय साइंस पार्क में सेमीकंडक्टर मैन्युफ़ैक्चरिंग प्लांट लगवाया.

ये भी पढ़ें - क्या चीन ने ताइवान पर क़ब्ज़ा करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति को खरीद लिया? 

इसके बाद 2017 से 2019 तक ताइवान के प्रीमियर के तौर पर भी काम किया. ताइवान का प्रीमियर नाममात्र के लिए राष्ट्रपति का प्रमुख सलाहकार और केंद्र सरकार का प्रमुख होता है. प्रीमियर के बाद नवंबर 2019 में लाई को उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया था.

पिछले राष्ट्रपति चुनाव की एक घटना की वजह से लाई के प्रशंकों ने उन्हें हिम्मती और आलोचकों ने अकड़ू कहा था. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, उन्होंने पिछले चुनाव में अपनी ही पार्टी के साई इंग-वेन को चुनौती दी थी. उस चुनाव में साई ने भारी जीत दर्ज की और लाई को बागी मान लिया गया.

चीन के 'दुश्मन'

लाई पैन-ग्रीन गठबंधन के नेता हैं. अलग ताइवान पहचान के समर्थक हैं और चीन के साथ एकीकरण के मुखर-विरोधी. चीन की बजाय वो अमेरिका से क़रीबी बढ़ाने के पक्षधर हैं. ज़ाहिर है, उन्हें कट्टर ‘अलगाववादी’ और मौजूदा राष्ट्रपति साई इंग-वेन से भी ज़्यादा ‘ख़राब’ मानता है. चीन तो उनकी पार्टी DPP को भी अलगाववादी मानता है.

चीनी सरकार और लाई की ये खटास पुरानी है. 2017 की बात है. लाई ने ख़ुद को ताइवान की आज़ादी का कार्यकर्ता बता दिया था. विवाद छिड़ गया, क्योंकि ताइवान ने न तो औपचारिक रूप से चीन से आज़ादी की घोषणा की है और न ही चीन के आधिपत्य को स्वीकारा है. हालांकि, बीते सालों में लाई ने औपचारिक स्वतंत्रता की वकालत कम कर दी है. लेकिन चीन उन्हें 'दुश्मन' ही मानता है. साफ़ कहता है कि ताइवान की आज़ादी की दिशा में लिए गए किसी भी क़दम का मतलब जंग है.

ये भी पढ़ें - 'ताइवान पर सेना का इस्तेमाल बंद नहीं होगा', पार्टी के अधिवेशन में बोले शी जिनपिंग 

इस चुनाव में लाई का मुक़ाबला दो-तरफ़ा था. उन्होंने कंज़र्वेटिव कुओमितांग (KMT) के होउ यू-इह और ताइवान पीपल्स पार्टी (TPP) के वेन-जे को हराया है. गिनती पूरी होने पर मालूम हुआ कि लगभग 40% वोट शेयर उनके हिस्से गया.

चीन और अमेरिका की इस चुनाव पर क़रीबी नज़र थी, क्योंकि दोनों के लिए ताइवान रणनीतिक रूप से अहम है. क्यों? सीधा हिसाब है. आम चुनाव के नतीजों का सीधा असर चीन के साथ रिश्ते पर पड़ता है. और, ग्लोबल साउथ में चीन के पाले में कौन है, कौन ख़िलाफ़ – इसका असर वर्ल्ड ऑर्डर पर.

ताइवान वैश्विक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन के केंद्र में है. मतलब ये कि कोई भी तनाव अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए 10 ट्रिलियन डॉलर का जोख़िम पैदा कर सकता है.

अब लाई के सामने चैलेंज है कि वो चीन और अमेरिका के बीच बैलेंस को साधें. साथ ही ताइवान के जनादेश का पालन करें.

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement