कैलकुलेटर में ये जो M, M+, CE बटनें होती हैं, उनसे क्या-क्या होता है?
सब समझा दिया है.
कैलकुलेटर देखा है? मूर्खता भरा सवाल है. लेकिन शर्तिया कह रहे हैं कि पूरा कैलकुलेटर नहीं देखा होगा. 90% ने तो नहीं ही देखा होगा. ये डेटा देश के सांख्यिकी मंत्रालय का नहीं है, लेकिन है. देखा है, तो बताइए कैलकुलेटर में M, M+, C वाले बटनों का क्या मतलब होता है? नहीं मालूम, तो आगे पढ़िए.
सब बताएगा फैजलबचपन से अब तक कई चीज़ें देखीं. लेकिन कई चीज़ें बस देखीं भर; प्रोसेस नहीं कर पाए. उसके बारे में बहुत सोचा नहीं, बहुत खोजा नहीं. मसलन, ज्योमेट्री बक्से की चीज़ें. कम्पास और प्रोटैक्टर का काम पड़ता था, तो उसका इस्तेमाल जानते थे. बाक़ी डिवाइडर, सेट-स्क्वेयर का कब काम पड़ा? रिमोट के लाल, हरे, पीले और नीले बटन ही ले लें. चैनल बदल रहा है, वॉल्यूम बढ़-घट रहा है, तो नीले-पीले-हरे बटन का क्या काम? या रेडियो के AM/FM में क्या फ़र्क़ है, ये किसी फलसफे का हिस्सा रहा होगा. आम इस्तेमाल का नहीं.
वैसे ही है कैलकुलेटर. इस्तेमाल सब करते हैं. कुछ घरों में वर्जित भी होता था, ताकि दो दूना चार और उन्नीस तियां सत्तावन याद करवाया जा सके. बाद में तो उन घरों में भी समझ आ ही जाता है कि उन्नीस तियां सत्तावन के बिना भी जीवन बसर हो सकता है.
अब आते हैं मुद्दे पर. कैलकुलेटर में ये M, M+, C वग़ैरह बटनों का मतलब क्या होता है?
पहले M वाले निपटाते हैं. बेसिकली ये कैलकुलेटर की मेमोरी है.
MC = Memory Clear.
M+ = Memory Plus.
M- = Memory Minus.
MR = Memory Recall.
मिसाल से समझेंचीनी की 100 बोरियां मालगोदाम में आईं. चीनी का प्रति किलो दाम: 10 रुपये. इसके अलावा, अरहर की दाल की 20 बोरियां आईं. दाल का दाम: 40 रुपये प्रति किलो. चना आ गया 50 बोरी. चना है 20 रुपये का एक किलो. अब चीनी, दाल और चने का कुल दाम निकालना है.
तो आज तक तो यही लगता था कि पहले चीनी का कुल दाम निकाल लें. कॉपी पर लिख लें. फिर दाल का निकालें, कहीं लिखें. फिर चने का कुल दाम निकालकर बाक़ी दोनों के दामों के साथ प्लस कर दिया जाए. लेकिन कॉपी की बचत के लिए ही है ये M+.
तो इस बटन का कुल काम ये है कि अलग-अलग हिसाब को लिखना न पड़े. वो कैलकुलेटर के अपनी एम फ़ॉर मेमोरी में रखेगा. फिर जहां जोड़ना-घटाना है, वहां लगा दो. इस केस में अगर आपको बिना कॉपी के कुल दाम निकालना है, तो लीखिए:
100x10(m+)20x40(m+)50x20
अंत में MR (memory recall) दबा दीजिए. और, कैलकुलेटर को सब याद आ जाएगा और जवाब आएगा 2800. जादू!
जादू नहीं, गणित. M- का काम घटाने के वक़्त आता है. और, MC यादाश्त मिटाने का काम करता है.
कैलकुलेटर में ऐसे ही दो और बटन होते हैं. पहला, CE. बोले को क्लीयर एंट्री. अगर कुछ लिखते-लिखते ग़लत लिख जाए, तो समार्टफ़ोन तो है नहीं कि कर्ज़र पीछे कर के ठीक कर लें. इसके लिए है CE. जस्ट हुई ग़लती का सुधार. फिर एक बटन है: AC. ऑल क्लीयर. यानी जो-जो लिखा है, सब कुछ मिटा देने वाला.
बाक़ी √x वाला को स्क्वेयर रूट के लिए होता ही है. 2 लिख कर √x दबा दीजिए, तो आएगा 1.414.
+/- का इस्तेमाल नेगेटिव नंबर्स के साथ होता है. बस्स!
तक़नीक की आमद में बड़ा हिस्सा औद्योगिक क्रांति का है. निबंध का पुराना विषय है: 'आवश्यकता आविष्कार की जननी है'. औद्योगिक क्रांति के समय ख़ूब आवश्यकता हुई, तो ख़ूब आविष्कार हुए. इसी क्रम में आया कैलकुलेटर. 1773 में पहला कैलकुलेटर आया. इससे पहले कैलकुलेशन के लिए कुछ मशीनें इस्तेमाल में थीं. लेकिन ये पहला फ़ंक्शनल कैलकुलेटर था. फिर ऑल-ट्रांजिस्टर और डेस्कटॉप कैलकुलेटर आए. हाथ में सेट हो जाए, ऐसा कैलकुलेटर आया 1967 में. 1971 में LED डिस्प्ले वाला आ गया.
कैलकुलेटर पुराण समाप्त!
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