भारत की सड़कों पर घूम रहे कुत्ते कौन सी ब्रीड के हैं?
हर मौसम ढल जाते हैं ये कुत्ते, 4500 साल पुरानी ब्रीड
हाल में कुत्तों के काटने की ख़बरें बढ़ी हैं. इससे एक फ़ायदा हुआ, दो नुक़सान. फ़ायदा ये कि लोगों ने कुत्तों की अलग-अलग ब्रीड्स में दिलचस्पी दिखाना शुरू किया है. नुक़सान एक तो लोग डॉग बाइट्स से पीड़ित हैं. दूसरे ये कि आमफ़हमी में कुत्तों के प्रति लोगों का डर बढ़ा है. हर तरह के कुत्तों के लिए अविश्वास बढ़ा है. पालतू और ग़ैर-पालतू. आमतौर पर लोग बाहरी ब्रीड्स के कुत्तों को पालते हैं. जैसे लैब्राडोर, गोल्डन रिट्रीवर, जर्मन शेफ़र्ड, बेल्जियन शेफ़र्ड, पॉमरेरियन वग़ैरह.
इन विदेशी ब्रीड वाले कुत्तों के सामने देसी वाले कुत्ते रह गए.. सड़कों पर. भाषाचरों ने उन्हें कह दिया, 'आवारा कुत्ते'. अंग्रेज़ियत ने कहा, 'स्ट्रे डॉग्स'. नई हिंदी सभ्य हुई, तो आवारा कुत्तों को कहा जाने लगा 'देसी कुत्ते'. सभ्य हिंदी पर अंग्रेज़ी की नज़र पड़ी, तो कहा 'इंडीज़'. लब्बोलुआब ये कि कम लोग जानते हैं कि सड़क पर घूमने वाले कुत्ते को कहते क्या हैं? वो कौन सी ब्रीड के होते हैं? हम बताएंगे गाइज़.
सड़क पर घूमने वाले कुत्तों की ब्रीड है परियाह -- the Indian Pariah dog.
परियाह कुत्तों का ब्रीड ग्रुप होता है एशियाई और ओशियनाई. ब्रीड ग्रुप मतलब पूर्वजों की प्रजाती. ये ऑस्ट्रेलियाई डिंगो, इज़राइल के कनान डॉग, न्यू गिनी सिंगिंग डॉग और अफ्रीकी बेसेंजी के पूर्वजों के आदिम नस्लों के जैसे ही होते हैं.
4500 सालों का इतिहासवज़न, 15 से 30 किलो के बीच होता है. जीवन काल, 11 से 15 साल. ऊंचाई, 18 से 25 इंच.
कोई ज़्यादा रखरखाव की ज़रूरत नहीं होती. विदेशी नस्लों की तुलना में इंडी कुत्तों की इम्यूनिटी भी बहुत बेहतर होती है. बहुत बेसिक मेनटेनेंस, स्वास्थ्य की नियमित जांच, पौष्टिक भोजन और व्यायाम से फल-फूल सकते हैं. चूंकि ये स्वाभाविक रूप से विकसित कुत्तों की नस्ल है, जो सदियों से हमारे देश में फले-फूले हैं. क़रीब पिछले 4500 सालों से. इसलिए भारत के किसी भी मौसम के हिसाब से ढल जाते हैं. आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकता है.
बाक़ी कुत्तों के काटने के केसेज़ क्यों बढ़ रहे हैं, इस पर शोध चल रहा है. कोई पुख़्ता कारण नहीं मिला है.
वीडियो: कुत्तों के हमलों के बीच कुत्तों पर सरकार ने क्या बताया?