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अमेरिका में हज़ारों हत्याएं करने वाले 'गन कल्चर' को कोई राष्ट्रपति ख़त्म क्यों नहीं कर पाया?

अमेरिका के गन कल्चर का पूरा तिया-पांचा: इतिहास, समाज, पॉप कल्चर, तर्क-वितर्क और सरकार के प्रयास.

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Gun culture of America
बंदूक़ों की प्रदर्शनी की एक तस्वीर.
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सोम शेखर
26 अक्तूबर 2023 (Updated: 28 अक्तूबर 2023, 14:41 IST)
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अमेरिका से - एक बार फिर - भीषण गोलीबारी की ख़बर आई. इसमें 22 बेक़ुसूर लोगों की मौत हो गई. अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के इनपुट्स के मुताबिक़, घटना अमेरिका के पूर्वोत्तरी राज्य मेन (Maine) के ल्यूस्टन शहर की है. 25 अक्टूबर की शाम एक व्यक्ति ने शहर के दो अलग-अलग इलाक़ों में अंधाधुंध फ़ायरिंग की. हालांकि, अभी तक आरोपी फ़रार है, मगर ल्यूस्टन पुलिस ने तस्वीरों के आधार पर रॉबर्ट आर कार्ड नाम के एक व्यक्ति की पहचान की है. शहर में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है.

इस घटना के बाद अमेरिका में - और देश-दुनिया में - फिर से एक बहस हरी हो गई: अमेरिका का 'गन कल्चर'. सीधा अनुवाद: बंदूक़ की संस्कृति. संस्कृति इसलिए कि बंदूक़, समाज और देश की राजनीतिक बहसों में बहुत गहरे जुड़ी हुई है.

अमेरिकी संविधान का दूसरा संशोधन नागरिकों को हथियार रखने के अधिकार की गारंटी देता है. हथियार ख़रीदने के लिए क्या करना होता है?

घंटे-भर में बंदूक़ मिल जाएगी, बस पइसा होना चाहिए

पहले जगह ढूंढनी होगी. कुछ नहीं करना है. सैकड़ों दुक़ानें बंदूक़ें बेचती हैं. वॉलमार्ट जैसे सूपर-स्टोर से लेकर केन्स स्पोर्टिंग गुड्स ऐंड लिकर स्टोर जैसे फ़ैमिली स्टोर्स तक. जहां नून-तेल मिलता है, वहीं बंदूक़ भी मिल जाती है. या हर हफ़्ते अलग-अलग शहरों में बंदूक़ की प्रदर्शनी लगते है. वहां चले जाइए.

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एक बार सही जगह मिल गई तो बस दो स्टेप की प्रक्रिया है. पहला स्टेप, बैकग्राउंड चेक. दूसरा स्टेप, अपनी 'पसंद की बंदूक़' ख़रीद लीजिए.

- इंस्टेंट बैकग्राउंड चेक में नाम, पता, जन्म स्थान, नस्ल और नागरिकता जांची जाती है. बंदूक़ ख़रीदने की उम्र - 18 और बेचने की उम्र - 21 तय की गई है. काग़ज़ पर तो सोशल सिक्योरिटी नंबर वैकल्पिक है, लेकिन मांग लिया जाता है.

सवाल कैसे-कैसे पूछे जाते हैं?

  • क्या आपको कभी किसी अपराध का दोषी पाया गया है?
  • क्या आपको कभी घरेलू हिंसा जैसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है?
  • क्या आप गांजे-चरस या किसी अन्य अवसाद, उत्तेजक, मादक दवा का ग़ैर-क़ानूनी इस्तेमाल करते हैं या इसके आदी हैं?
  • क्या आप कभी किसी मानसिक संस्थान से जुड़े हैं?

इसके बाद स्टोर FBI को कॉल करता है. वो नैशनल इंस्टेंट क्रिमिनल बैकग्राउंड चेक सिस्टम (NCIS) के ज़रिए ख़रीदार का बैकग्राउंड देखते हैं. बस कुछ ही मिनटों में आपकी पात्रता साबित हो जाएगी.

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- दूसरा स्टेप: बंदूक़ ख़रीद लीजिए.

अब इत्ती आसान प्रक्रिया और अमेरिकियों की जेब की क्षमता का नतीजा क्या होता है? मार्केट में भतेरी बंदूक़ें-कारतूस हैं. कितनी? इसके लिए कुछ तथ्य जानिए:

- लगभग एक-तिहाई अमेरिकियों के पास बंदूक़ें हैं.

- अमेरिका की कुल आबादी दुनिया का 4 पर्सेंट है. लेकिन दुनिया में जितने आम नागरिकों के पास गोली-बंदूक़ें हैं, उनका 46 पर्सेंट हिस्सा अमेरिकियों के पास है.

- जिन देशों के नागरिकों के पास हथियार हैं, उस लिस्ट के 25 देशों को मिला भी दें, तो भी अमेरिका की बराबरी नहीं हो सकती.

- बाक़ी दुनिया छोड़िए, ख़ुद अमेरिका की सेना भी अमेरिकी नागरिकों के पीछे है. अमेरिका के लोगों के पास अमेरिकी सेना की तुलना में लगभग 100 गुना ज़्यादा हथियार हैं और क़ानूनी एजेंसियों की तुलना में लगभग 400 गुना ज़्यादा.

मगर यहां तक अमेरिका आया कैसे?

बंदूक़ का इतिहास

अमेरिका में बंदूक़, इस देश की स्थापना की जड़ों में है. शिकार, मिलिशिया और सीमांत जीवन की परंपराओं से निकला है. अमेरिकी क्रांति और पश्चिम के विस्तार में गोला-बारूद-असलहों ने बड़ी भूमिका निभाई है. इसलिए बंदूक़ ख़रीदने-रखने का नज़रिया भी यहां अलग है. अमेरिकी संविधान का दूसरा संशोधन (1791) कहता है,

"एक विनियमित मिलिशिया, एक स्वतंत्र राज्य की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है. पर लोगों के हथियार रखने के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाएगा."

बंदूक़ के पक्षधर इसी एक संशोधन को अपने तर्क का आधार बनाते हैं. फिर इस कल्चर को ईंधन मिला पॉप-कल्चर से. 19वीं सदी के अंत तक, काउबॉय और वेस्टर्न प्रतीक सामूहिक कल्पना में जगह बनाने लगे. इस दौर की कल्पना करें, तो दिमाग़ में एक काउबॉय की तस्वीर उभरेगी. घोड़े पर बैठा, हैट लगाए, बंदूक़ थामे हुए. बंदूक़ें संघर्ष का प्रतीक थीं. ये सर्वाइवल का प्रतीक बन गईं. ये इस दौर की ख़ासियत थी. दौर बीत गया, लेकिन बंदूक़ के लिए अमेरिकी आबादी का लगाव कम नहीं हुआ. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हॉलीवुड ने कई ऐसी फ़िल्में बनाईं, जहां देशभक्ति के जामे के पीछे बंदूक़ के इस्तेमाल को सामान्य किया गया. एक अर्थ में प्रोत्साहित किया गया.

फ़ायर आर्म्स के प्रति अमेरिकी जनता की इस दीवानगी का कनेक्शन इतिहास से जुड़ा है. मुमकिन है कि इसीलिए इसे नियंत्रित करने की गंभीर कोशिशें कभी हुई ही नहीं. बल्कि लोगों की इस मानसिकता को बाज़ार ने अपनी ताक़त बना लिया. ख़ूब कैश किया, ख़ूब कैश किया.

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हालांकि, आधुनिक अमेरिका की सब सत्ताओं को गन कल्चर की वजह से ख़ामियाज़े और आलोचना का सामना करना पड़ा है. जॉन एफ़ केनेडी की हत्या के बाद लाइसेंस लेने में कुछ सख़्ती हुई. आने वाले सालों में भारी टैक्स लगाया गया. अवैध ख़रीद-बिक्री पर क़ानून कड़े किए गए. उन हथियारों के बनने, बिकने और रखने पर बैन लगा, जो बुलेट-प्रूफ़ जैकेट को भी चीर देते हों.

2008 में 'डिस्ट्रिक्ट ऑफ़ कोलंबिया बनाम हेलर' केस में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार दूसरे संशोधन की व्याख्या की, कि हथियार रख कौन सकता है? अदालत ने 5-4 के ऐतिहासिक बहुमत से दूसरे संशोधन को बरक़रार रखा और हैंडगन पर अलग-अलग राज्यों के प्रतिबंध को असंवैधानिक बता दिया.

पक्ष-विपक्ष

बंदूक़ से आप बोतल फोड़ सकते हैं. शादियों में चला सकते हैं. ‘शौक़िया’ शिकार कर सकते हैं. ये सब हो या न हो, हत्याएं तो यक़ीनन की जा सकती हैं. 

कई लोग बंदूक़ को हिफ़ाज़त, ज़ुल्म के ख़िलाफ़ सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर देखते हैं. कुछ के लिए बंदूक़ें इकट्ठा करना और चलाना एक मनोरंजन है. इसके साथ, शिकार तो एक लोकप्रिय शगल है ही. लेकिन दूसरी तरफ़, डकैती जैसे ग़ैर-क़ानूनी कामों के लिए भी बंदूक़ों का जमकर इस्तेमाल होता है. मास शूटिंग की घटनाएं भी आम हो गई हैं. हज़ारों लोगों की जान जाती है. अमेरिका में जितने लोग आतंकवादी घटनाओं में मरते हैं, उससे कहीं ज़्यादा ‘गन कल्चर’ के कारण मारे जाते हैं. छिटपुट होती हैं, तो ज़्यादा चर्चा नहीं होती. बड़ी होती हैं, तो कुछ दिन चर्चा होती है. फिर सब पहले की तरह चलने लगता है.

केवल 2023 में अमेरिका में मास शूटिंग की 8 बड़ी वारदात हुई हैं. (फ़ोटो - AP)

जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, तो दो धड़े सामने आते हैं. दो तर्क सामने आते हैं, क्योंकि बंदूक़ के ईजाद से बहुत पहले से तर्क है. पहला, कि इस तरह की हिंसा ख़त्म करने के लिए गन कंट्रोल क़ानूनों को सख्त करना चाहिए. दूसरा, अच्छे और बुरे लोग हर जगह होते हैं. आप चाहे कितने भी सख़्त क़ानून बना लें, बुरे लोग बुरा काम करने के तरीक़े खोज ही लेंगे. मगर उनकी वजह से अच्छे लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए.

तर्क

- अमेरिकी संविधान का दूसरा संशोधन. अमेरिकी जनता इस अधिकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण और अपनी-अपनों की रक्षा के लिए मौलिक मानते हैं.

- आत्मरक्षा: पैरोकारों का तर्क है कि लोगों को ख़तरे और घुसपैठियों से अपनी और अपनी संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार है.

- खेल और मनोरंजन: बंदूक़ों का इस्तेमाल अलग-अलग मनोरंजक ऐक्टिविटी के लिए किया जाता है. मसलन, शिकार, खेल शूटिंग, वग़ैरह. ये ऐक्टिविटीज़ अमेरिकी समाज में रची-बसी हैं.

- कुछ लोगों का ये भी कहना है कि एक सशस्त्र नागरिक वर्ग सरकार के अत्याचार के ख़िलाफ़ खड़ा हो सकता है. अगर सरकार सत्ता का ग़लत-इस्तेमाल करती है, तो सशस्त्र आबादी उनकी मुख़ालफ़त कर सकती है.

वितर्क

- सार्वजनिक सुरक्षा: विरोधियों का तर्क है कि इतनी आसानी से बंदूक़ें मिलती हैं, इसी वजह से हिंसा, दुर्घटनाएं और आत्महत्याएं बढ़ रही हैं. बंदूक़ से मरने वालों में अमेरिका का नंबर विकसित देशों के बीच अव्वल है.

- गोलीबारी: बड़े पैमाने पर गोलीबारी देश के लिए चिंताजनक मसला है. आलोचकों का तर्क है कि दुर्भावनापूर्ण इरादे वालों के लिए भी हथियार उतनी ही आसान से मयस्सर है.

- दुर्घटनाएं: घरों में बंदूक़ रहती हैं, तो आकस्मिक गोलीबारी की आशंका बढ़ जाती है. ख़ासकर बच्चों वाले घरों में. तर्क है कि हथियारों पर सख़्त नियम होंगे, तो इन त्रासदियों को रोकने में मदद होगी.

- ख़ुद को नुक़सान पहुंचाने वाले मनोरोगी और सीरीलय किलर्स के हाथों में हथियार आने से दुर्घटनाएं बढ़ने लगी हैं.

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इस तर्क-वितर्क में अमेरिका का समाज बंटा हुआ है. एक तबका लगातार इस कल्चर का निरंतर विरोध कर रहा है. हथियारों की लाइसेंसिंग सख़्त करने की वकालत करता है. दूसरी तरफ़ हथियारों के अधिकार के लिए भी संगठन सक्रिय हैं. राष्ट्रीय राइफ़ल एसोसिएशन (NRA) जैसे संगठनों ने इस विवादास्पद परंपरा को पनपने और चलायमान रखने में पूरा दम लगाया है. लाइसेंस बनवाने में ढिलाई की पैरवी करते हैं.

हालांकि, शहर और गांव के मत में फ़र्क़ है. (अमेरिका में भी गांव होते हैं.) गांवों में शिकार और आत्मरक्षा के लिए बंदूक होना आम बात है. शहर में अपराध ज़्यादा है, तो हथियारों पर नियंत्रण ज़्यादा है.

शहर-गांव में फ़र्क़. राज्य-राज्य में फ़र्क़. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना अमेरिका के लिए बड़ा चैलेंज है. लोहे के चने चबाने जैसा काम है. एक तो इसे लेकर आम राय कायम नहीं होती. फिर जब जनता सहयोग करती है, तो प्रशासन पैर पीछे खींच लेता है. गन मार्केट इतना मज़बूत है कि इसके आगे कोई भी विरोध चलता नहीं. ओबामा ने गन कंट्रोल की बहस शुरू करने और इसे लेकर आम राय क़ायम करने की कोशिश की थी, मगर उन्हें कामयाबी न मिली. रिपब्लिकन्स तो गन कंट्रोल के सख़्त ख़िलाफ़ हैं. अव्वल तो उन्हें लगता ही नहीं कि ये कोई बड़ी दिक्कत है, बाक़ी नैशनल रायफ़ल असोसिएशन के घोषित उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप वाइट हाउस में बैठे ही थे. बाइडन हल्के हाथ से डील कर रहे हैं. बयान देते हैं, तो पहले डिस्क्लेमर लगाते हैं - 'प्रशासन आपसे आपकी बंदूक़ें नहीं छीनना चाहता'. फिर धीरे से कहते हैं 'लेकिन...'

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पॉलिटिकल साइंस पढ़ने वालों की सोहबत मिलती है, तो वो बताते हैं - मोनॉपली ऑफ़ वायलेंस का कॉन्सेप्ट. हिंदी में, हिंसा का एकाधिकार. और, ये एकाधिकार किस एक को मिला है? राज्य को. सरकार को. समाज में अराजकता न आए, जंगल राज न बन जाए, इसीलिए तय हुआ कि राज्य में बल का प्रयोग केवल राज्य कर सकता है. बाक़ी कोई हिंसा करे, तो ग़ैर-क़ानूनी होगा. विवाद की स्थिति में जनता राज्य के पास जाएगी. उसकी निजात न्याय की प्रक्रिया से निकाली जाएगी. सब बंदूक़ रखने लगें, तो किसको मुजरिम समझे कोई, किसको दोष लगाए?

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