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ईश्वर और मौत पर लिखने वाले को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

नाइनोर्स्क ज़ुबान में लिखे गए और अलग-अलग शैलियों में फैले यॉन फ़ॉसे के रचनासागर में नाटक, उपन्यास, कविता, निबंध, बच्चों की किताबें और अनुवाद शामिल हैं.

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Literature Nobel 2023 Jon Fosse.
लगभग 40 सालों तक उन्होंने उपन्यास, नाटक, कविताएं, कहानियां, निबंध और बच्चों की किताबें लिखी हैं. (फोटो - नोबेल)
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सोम शेखर
5 अक्तूबर 2023 (Updated: 6 अक्तूबर 2023, 19:36 IST)
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2023 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार नॉर्वीजी उपन्यासकार और नाटककार यून फ़ॉस्से (Jon Fosse) को जाता है. रॉयल स्वीडिश अकादमी ने उन्हें उनके अभिनव नाटकों और अनकहे को आवाज़ देने वाले गद्यों के लिए इस पुरस्कार (Nobel Prize 2023) से नवाज़ा है. बीते साल, साहित्य का नोबेल फ़्रांसीसी लेखिका ऐनी एर्नौ (Annie Ernaux) को दिया गया था.

फ़ॉस्से के लिए नोबेल पुरस्कार संगठन ने लिखा,

"नाइनोर्स्क ज़ुबान में लिखे गए और अलग-अलग शैलियों में फैले हुए उनके रचनासागर में नाटक, उपन्यास, कविता, निबंध, बच्चों की किताबें और अनुवाद शामिल हैं. वैसे तो दुनिया में उनके नाटक बेहद प्रसिद्ध हैं, मंचित किए जाते हैं. लेकिन अब उनके गद्य भी तेज़ी से पहचाने बना रहे हैं."

नाइनोर्स्क: नॉर्वे की ही एक बोली है, जिसे 10-15% आबादी बोलती-समझती है. जैसे हमारे यहां, अवधी.

कौन हैं यॉन फ़ोसे?

वैसे तो अच्छा कलाकार हर कृति में ही भरसक प्रयास करता है, मगर उसे याद कुछ ही कृतियों के लिए ही किया जाता है. वो कृति, जो उसकी कला को पहचान देती है. मसलन, दोस्तोविस्की की 'क्राइम ऐंड पनिशमेंट', लियो टॉल्स्टॉय की 'वॉर ऐंड पीस' और विनोद कुमार शुक्ल की 'दीवार में एक खिड़की रहती थी'. ठीक इसी तरह, फ़ॉस्से की सबसे मानी हुई रचना है 'सेप्टोलॉजी'. फ़िक्शन का एक जाबड़ काम. सात-उपन्यासों में छितरा; मानव स्थिति की सभी जटिलताओं और रहस्यों को खोजता हुआ. न्यू यॉर्क टाइम्स ने कृति का रिव्यू छापा, तो उसे उनवान दिया - 'God, Art and Death in the same (very long) sentence'. मुराद ये कि कथानक इन्हीं तीनों बिंबों के इर्द-गिर्द है - ईश्वर, कला और मृत्यु.

कहानी नॉर्वीजी तट पर अकेले रहने वाले एक बूढ़े चित्रकार की है. वो जीवन के बड़े सवालों से जूझ रहा है: इंसान होने का क्या मतलब है? कला और जीवन के बीच क्या संबंध है? प्रेम और हानि की प्रकृति क्या है?

इस बूढ़े चित्रकार की तरह ही यून फ़ॉस्से का जन्म भी - 1959 में - नॉर्वीजी पश्चिमी तट पर हुआ था. 24 साल के थे, तब पहला उपन्यास छपा: 'रॉड्ट, स्वार्ट' (लाल, काला). आलोचकों के मुताबिक़, फ़ॉस्से का पहला उपन्यास भावनात्मक रूप से कच्चा था. लेकिन पहली ही किताब से उन्होंने ख़ुदकुशी से बात की. मौत उनके प्रिय विषयों में से एक है.

ये भी पढ़ें - मौत पर जीत की ओर सबसे बड़ा कदम बढ़ाने वाले को मिला नोबेल

फ़ॉस्से की लेखन शैली को ‘फ़ॉस्से मिनिमलिज़्म’ कहा जाता है क्योंकि उनके गद्य भी कविता के सलीक़े से लिखे होते हैं. छोटे-छोटे वाक्यों में. स्वीडिश अकादमी के स्थायी सचिव मैट्स माल्म का कहना है कि अगर आपने अभी तक उन्हें नहीं पढ़ा है, तो आप उनके किसी भी नाटक से शुरुआत कर सकते हैं क्योंकि वो बेहद पठनीय हैं. जटिल मानवीय भावनाओं पर उनका चिंतन गहन है, मार्मिक है और उनका लिखा लंबे समय तक आपके साथ रहता है.

कुछ आप तक भी रहे, इसलिए हम 'सेप्टोलॉजी' के एक अंश के साथ आपको छोड़ जाते हैं -

"कमरे में अंधेरा था, लेकिन उसे खिड़की से रोशनी आती हुई दिखाई दे रही थी. वो बिस्तर पर लेटा हुआ बारिश को सुन रहा था. काफ़ी देर से जगा हुआ था. उसे नींद नहीं आ रही थी. वो अपने जीवन के बारे में सोच रहा था. वे सारी चीज़ें, जो घटीं. वे सभी लोग, जिन्हें उसने प्यार किया और खो दिया.

उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और सोने की कोशिश की, लेकिन छवियां उसके पास आती रहीं. उसके बचपन का घर. उसके माता-पिता. उसकी बहन. उसकी पत्नी. उसकी बेटी. वे सभी लोग, जिन्हें उसने प्यार किया और खो दिया.

वो नहीं जानता था कि क्या सोचे. वो नहीं जानता था कि किस पर विश्वास किया जाए. बस इतना जानता था कि वो जीवित है. और उतना काफ़ी था."

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