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मुख्तार अंसारी पर कौन-कौन से केस थे, हरेक की कहानी जानें

बीते कुछ महीनों में कई ऐसी ख़बरें आईं कि अमुक केस में मुख्तार अंसारी को उम्रक़ैद, अमुक केस में इतने साल की जेल. पिछले दो सालों में मुख़्तार को आठ केसों में दोषी ठहराया गया था, सज़ा सुनाई गई.

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मुख़्तार अंसारी 2005 से ही जेल में बंद हैं. (फ़ोटो - PTI)
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सोम शेखर
26 मार्च 2024 (Updated: 29 मार्च 2024, 08:34 IST)
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माफ़िया और पूर्व विधायक मुख़्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की बांदा मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. अस्पताल की ओर से जारी किए गए मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक़, दिल का दौरा पड़ने की वजह से मुख़्तार की मौत हुई है. परिवार जेल में ज़हर दिए जाने का आरोप लगा रहा है. जेल अधिकारियों ने तो इस आरोप का खंडन किया है, मगर मजिस्ट्रेट स्तर पर एक टीम इन आरोपों की जांच करेगी. बीते साल भर में मुख़्तार सुर्खियों में ख़ूब रहा. अक्सर ऐसी ख़बरें आती थीं कि अमुक केस में मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद, अमुक केस में इतने साल की जेल. केवल पिछले दो सालों में मुख़्तार को आठ केसों में दोषी ठहराया गया है, सज़ा सुनाई गई है.

किस-किस केस में मुख़्तार दोषी?

उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़, मुख़्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी और कई अन्य आपराधिक कृत्यों के कुल 65 मामले दर्ज हैं. लखनऊ, ग़ाज़ीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मऊ, आगरा, बाराबंकी और आज़मगढ़ के अलावा नई दिल्ली और पंजाब में भी. इनमें से 21 मामलों की सुनवाई अलग-अलग अदालतों में चल रही है.

मुख़्तार पांच बार उत्तर प्रदेश के मऊ से विधायक चुना गया है. साल 2017 का विधानसभा चुनाव उसका अंतिम चुनाव था. लेकिन पांच बार का विधायक 2005 से ही सलाखों के पीछे है और अभी तक बांदा जेल में बंद था. पिछले दो सालों के अंदर एक के बाद एक उसके केसों को अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है. बीस-तीस साल पुरानी फ़ाइलों को बंद किया जा रहा है.

एक मामले में गिरफ्तारी के बाद जेल में मुख्तार अंसारी. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

# 22 सितंबर, 2022 - इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने दो साल के जेल की सज़ा सुनाई. 

जून, 2003 का मामला था. जेलर एसके अवस्थी ने लखनऊ के आलमबाग थाने में FIR दर्ज कराई थी कि जेल में मुख़्तार अंसारी ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. IPC की धारा 353 (पब्लिक सर्वेंट के काम में बाधा डालना), 504 (इरादतन किसी को अपमानित करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था. केस का फ़ैसला आया 2020 में. लखनऊ के एक ट्रायल कोर्ट ने मुख़्तार को बरी कर दिया.

इसके तुरंत बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी. लखनऊ बेंच के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने राज्य सरकार की अपील मान ली और सुनवाई के बाद कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी को इस मामले में दोषी क़रार दिया.

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एक दिन बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गैंगस्टर ऐक्ट के तहत, 1999 के एक मामले में उसे पांच साल जेल की सज़ा सुना दी. 

# 15 दिसंबर, 2022 - गैंगस्टर ऐक्ट के एक केस में 10 साल जेल की सज़ा सुनाई गई. 

1996 में ग़ाज़ीपुर में एक केस दर्ज हुआ था. गैंगस्टर ऐक्ट के तहत मुख्तार पर कुल पांच मामले चल रहे थे. दो वाराणसी, दो ग़ाज़ीपुर और एक मामला चंदौली में दर्ज हुआ था. इन्हीं में से एक मामले में मुख़्तार और उनके साथी भीम सिंह को अदालत ने 10 साल की सज़ा सुनाई है. पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

# 29 अप्रैल, 2023 - 18 साल पहले तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से संबंधित एक केस में 10 साल जेल की सज़ा.

29 नवंबर, 2005. ग़ाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय करीमुद्दीनपुर इलाक़े के सोनाड़ी गांव में एक क्रिकेट मैच के उद्धाटन में पहुंचे थे. बारिश का मौसम था, तो उन्होंने अपनी बुलेट प्रुफ़ कार छोड़ दी थी और साथियों को लेकर सामान्य गाड़ी से चले गए थे. उद्घाटन करने के बाद शाम क़रीब 4 बजे, वो अपने गांव लौट रहे थे. रास्ते में बसनियां चट्टी के पास उनके काफ़िले को कुछ लोगों ने घेर लिया और एके-47 से फायरिंग कर दी. गाड़ी बुलेट प्रूफ़ नहीं थी. कृष्णानंद राय समेत छह और लोगों की मौत मौक़े पर ही हो गई.

हत्याकांड के विरोध में एक हफ़्ते तक ग़ाज़ीपुर, बलिया, बनारस और आजमगढ़ में आगज़नी-तोड़फोड़ होती रही. बिहार के भी कुछ हिस्से प्रभावित हुए थे. कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने मऊ के विधायक मुख़्तार अंसारी, उसके भाई और सांसद अफ़ज़ाल अंसारी के साथ ही कुख्यात शूटर मुन्ना बजरंगी के ख़िलाफ़ हत्या का केस दर्ज करवाया था. CBI जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दाख़िल की थी. मंज़ूरी मिल गई. मगर जुलाई, 2019 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने कृष्णानंद राय हत्याकांड से जुड़े सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था.

हालांकि, 2007 में कृष्णानंद राय हत्याकांड में दर्ज हुए केस में मुख़्तार और उसके भाई के ख़िलाफ़ गैंगस्टर ऐक्ट का केस भी दर्ज हुआ था. अप्रैल, 2023 में आला अदालत ने मुख़्तार को 10 साल की जेल की सज़ा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना लगाया. इसी मामले में मुख़्तार के बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी को भी सज़ा हुई थी, जिसके बाद उनकी सांसदी चली गई थी. हालांकि, अब अफ़ज़ाल अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में राहत मिल गई है.

फाइल फोटो- इंडिया टुडे.

# 30 अप्रैल, 2023 - एक दिन बाद ही यूपी की एक अदालत ने गैंगस्टर के मामले में 10 साल की सज़ा सुनाई. 

दरअसल, जिस गैंगस्टर के मामले में सजा सुनाई गई है, उस मामले में कृष्णानंद राय हत्याकांड के साथ-साथ कोयला व्यापारी नंदकिशोर रूंगटा को अगवा करने और हत्या करने के आरोप भी थे.

22 जनवरी 1997 की सुबह. मुख़्तार का साला अताउर रहमान, नंदकिशोर के दफ़्तर पहुंचा. कथित तौर पर चाय में नशीली दवा पिलाकर नंदकिशोर को अगवा कर लिया. इसके बाद मुख़्तार ने रूंगटा परिवार को फ़िरौती के लिए फोन किया और पांच करोड़ रुपये मांगे. परिवार ने मुख़्तार को पैसे दे दिए, मगर नंदकिशोर वापस नहीं लौटा. आज तक नहीं लौटा. उसकी लाश भी न मिली.

चूंकि मामला VHP के अंतरराष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और कोयले के सबसे बड़े कारोबारी का था, तो तत्कालीन सरकार ने केस की CBI जांच के आदेश दिए. एजेंसी ने इस मामले में मुख़्तार अंसारी के अलावा दो और लोगों को भी आरोपी बनाया - उसका शार्प शूटर और क़रीबी रिश्तेदार अताउर रहमान बाबू; और दूसरा शाहबुद्दीन. ये दोनों ही आरोपी 26 साल बाद भी CBI की पकड़ में नहीं आ सके हैं. इस केस में अपहरण और हत्याकांड के आरोपी बनाए गए मुख्तार अंसारी को लोअर कोर्ट से बरी कर दिया गया. मगर गैंगस्टर ऐक्ट के मुक़दमे में उसे सज़ा सुना दी गई.  

# 5 जून, 2023 - अवधेश राय हत्याकांड में उम्रकैद की सज़ा.

अवधेश राय कांग्रेस के मौजूदा प्रांतीय अध्‍यक्ष अजय राय के बड़े भाई थे. साल 1991 के अगस्त महीने की बात है. 3 तारीख़ को अवधेश कहीं से घर लौट रहे थे. अपने छोटे भाई अजय राय और सहयोगी विजय पांडे के साथ अपने घर के बाहर ही खड़े थे. उसी वक़्त एक मारुति वैन वहां तेज़ी से आई. पांच लोग उतरे और अवधेश राय को निशाना बनाकर तड़तड़ गोलियां चलाने लगे. इससे पहले कि अजय राय कुछ कर पाते, हमलावर वहां से फ़रार हो गए. अजय राय अपने भाई को अस्पताल ले गए. लेकिन वहां अवधेश राय को मृत घोषित कर दिया गया.

अवधेश राय के छोटे भाई अजय राय ने चेतगंज थाने में केस दर्ज कराया. IPC की धारा 302, 147 और 148 के तहत FIR हुई. इलज़ाम लगा मुख़्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, भीम सिंह, कमलेश सिंह और राकेश श्रीवास्तव पर. इसके बाद अजय राय और उनका परिवार लगातार इंसाफ़ की लड़ाई लड़ता रहा. पुलिस की चार्जशीट, लंबी जिरह और गवाही के बाद अवधेश राय हत्याकांड में फैसले तक केस का पहुंचना आसान नहीं था. मगर अंततः 33 साल बाद वाराणसी की MP MLA कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी को उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी. एक लाख का जुर्माना भी लगाया.

1999 में लखनऊ के हज़रतगंज पुलिस स्टेशन में गैंगस्टर ऐक्ट केस दर्ज किया गया था. 23 सितंबर, 2022 को पांच साल जेल की सज़ा सुनाई गई थी.

फाइल फोटो- इंडिया टुडे

# 27 अक्टूबर, 2023 - अध्यापक कपिल देव सिंह की हत्या में 10 साल की सज़ा.

कपिल देव सिंह ग़ाज़ीपुर में करंडा थाना क्षेत्र के सुआपुर गांव में रहते थे. पहले टीचर थे, रिटायर होने के बाद गांव में परिवार के साथ जीवन गुज़ार रहे थे. 19 अप्रैल, 2009. कपिल की पत्नी सुमित्रा बतातीं है कि दो लोग बरामदे में चौकी पर बैठकर उनके पति से बातचीत कर रहे थे. कुछ देर बाद कपिल उन दोनों को छोड़ने के लिए बाहर निकले. दोनों चले गए. लेकिन जब कपिल कटहल के पेड़ के नीचे बंधी गाय का गोबर उठाने लगे, इतने में दो लोग वापस आए और उन्हें वहीं गोली मारकर फ़रार हो गए.

केस में मुख़्तार का नाम पहले नहीं आया था. बाद में जुड़ा. इसी बीच मुख़्तार की विधानसभा के मीर हसन पर हुए घातक हमले का मामला दर्ज हुआ. वैसे मुख्तार अंसारी इन दोनों मूल मामलों में सेशन कोर्ट से बरी हो चुके हैं. लेकिन इन्हीं दोनों मामलों को लेकर गैंगस्टर ऐक्ट में मुक़दमा दर्ज किया गया था. इसमें कोर्ट ने उन्हें दोषी क़रार दिया है, 10 साल की सज़ा सुनाई और 5 लाख का जुर्माना ठोका.

# 15 दिसंबर, 2023 - 26 साल पहले वाराणसी में एक कारोबारी को जानलेवा धमकी के आरोप में साढ़े पांच साल की जेल.

महाबीर प्रसाद रूंगटा. वाराणसी के भेलूपुर के रहने वाले एक कारोबरी. 5, नवंबर 1997 को अंसारी के ख़िलाफ़ भेलूपुर पुलिस स्टेशन में IPC की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था. आरोप लगे थे कि मुख़्तार ने महाबीर को बम से उड़ाने की धमकी दी थी.

# 13 मार्च, 2023 - 34 साल पुराने केस में उम्रक़ैद की सज़ा.

4 दिसंबर, 1990. ग़ाज़ीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में मुख़्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद और अन्य अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एक मुक़दमा दर्ज कराया गया था. 10 जून, 1987 को मुख़्तार ने एक दुनाली बंदूक़ के लाइसेंस के लिए ग़ाज़ीपुर ज़िला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था. आरोप लगे कि मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक के फ़र्ज़ी दस्तख़त कर लाइसेंस लिया गया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस धोखाधड़ी का पर्दाफ़ाश किया था, फिर मुक़दमा दर्ज करवाया था.

IPC की धारा 120-बी (आपराधिक साज़िश), 420 (धोखाधड़ी) 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाज़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाज़ी) और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं में केस दर्ज हुआ. बुधवार, 13 मार्च को उन्हें दोषी क़रार दिया गया और आजीवन कारावास की सज़ा सुना दी गई.

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