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ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला तो कर सकता है इजरायल, लेकिन रिस्क बहुत बड़ा है!

Middle East Crisis: Iran के मिसाइल हमले के बाद Israel जवाबी कार्रवाई के विकल्प तलाश रहा है. ईरान के परमाणु ठिकानों और ऑयल प्रोडक्शन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमले किए जा सकते हैं. लेकिन इन सभी विकल्पों के साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हुए हैं.

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israel iran war risk involved for israel iran nuclear military infra middle east crisis
Israel के प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu ने पिछले महीने UNGA को संबोधित किया था. (फोटो: AP)
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मुरारी
4 अक्तूबर 2024 (Updated: 4 अक्तूबर 2024, 16:15 IST)
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मिडिल ईस्ट में संकट (Middle East Crisis) गहराता जा रहा है. ईरान के मिसाइल हमले (Iran Israel Missile Attack) के बाद इजरायल जवाबी कार्रवाई के विकल्प तलाश रहा है. आशंका जताई जा रही है कि इस टकराव के चलते एक बड़ा क्षेत्रीय युद्ध छिड़ सकता है. अमेरिका और पश्चिमी देशों ने जहां एक तरफ ईरान को जवाब देने का समर्थन किया है, वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा है कि संघर्ष ज्यादा ना बढ़े.

इन सबके बीच यह तो लगभग तय माना जा रहा है कि ईरान में इजरायल की तरफ से किसी ना किसी तरह की कार्रवाई होगी ही. इजरायल के पास इस कार्रवाई के लिए कई विकल्प हैं. मसलन, वो ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बना सकता है. सैन्य ठिकानों के साथ-साथ तेल और गैस केंद्रों को भी निशाना बना सकता है. वहीं इंटेल ऑपरेशंस के जरिए भी ईरान को नुकसान पहुंचा जा सकता है. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन कह चुके हैं कि अमेरिका ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने के पक्ष में नहीं है.

ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाए जाने से क्षेत्र में बहुत गंभीर स्थिति बन सकती है. इस बारे में मिडिल ईस्ट मामलों के विशेषज्ञ और अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में सीनियर फेलो प्रोफेसर वली नसर ने इंडिया टुडे को बताया,

"इजरायल के लिए ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करना वास्तविकता से परे होगा. इजरायल, ईरान के कुछ परमाणु ठिकानों पर हमला जरूर कर सकता है लेकिन वो उसके न्यूक्लियर प्रोग्राम को खत्म नहीं कर पाएगा. अपने परमाणु ठिकानों पर हमले की स्थिति में ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को और ज्यादा अंडरग्राउंड ले जाएगा. और इन हमलों के बाद वो परमाणु प्रसार ना करने वाली संधि से भी बाहर आ जाएगा और खुद को एक परमाणु हथियार वाला देश घोषित कर देगा."

प्रोफेसर नसर ने आगे बताया कि ईरान को इस समय एक ऐसे देश के रूप में देखा जाता है कि जो अपनी परमाणु शक्ति का प्रयोग नागरिक सेवाओं के लिए कर रहा है. वो इसी के सहारे अमेरिका से मोलभाव भी करता है. परमाणु ठिकानों पर हमले की स्थिति में ये नागरिक सेवाओं वाला परमाणु प्रोग्राम आधिकारिक रूप से परमाणु हथियारों वाले प्रोग्राम में बदल जाएगा.

प्रोफेसर आगे कहते हैं कि ये स्थिति पूरे क्षेत्र के लिए खतरनाक होगी. जैसे ही ईरान खुद को परमाणु हथियारों वाला देश घोषित करेगा, वैसे ही तुर्किए, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश भी खुद को परमाणु हथियारों वाला देश घोषित कर देंगे. और यह स्थिति इजरायल के लिए ही खतरनाक होगी कि उसके पड़ोसी देश परमाणु हथियार संपन्न हो जाएंगे.

Israel के पास और क्या विकल्प हैं?

ऐसे में कहा जा रहा है कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर इजरायल का हमला लगभग असंभव है. हालांकि, जवाबी कार्रवाई के लिए इजरायल के पास कई विकल्प हैं. ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम मजबूत नहीं है. ऐसे में इजरायली मिसाइल्स या एयरफोर्स बॉम्बिंग को रोकना ईरान के लिए संभव नहीं होगा. इजरायल पहले भी इस तरह के हमले कर चुका है.

ईरान ने जहां एक तरफ अपने मिसाइल और ड्रोन ठिकानों को जमीन के नीचे और पहाड़ों के बीच छिपा रखा है, वहीं उसके एयर डिफेंस बेस खुली जगहों पर हैं. ऐसे में, इजरायल के लिए ईरान के मिसाइल और ड्रोन ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट करना संभव नहीं है. वो इन्हें थोड़ा बहुत नुकसान जरूर पहुंचा सकता है. इस स्थिति में इजरायल के पास एक विकल्प ईरान के एयर डिफेंस ठिकानों पर हमला करने का है. वो पहले भी ईरान के एक एयर डिफेंस बेस को निशाना बना चुका है. हालांकि, इस बार एक साथ ऐसे कई ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है.

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Israel-Iran के बीच बनी स्थित के बीच Middle East में एक व्यापक युद्ध छिड़ने की आशंका जताई जा रही है. (फोटो: AP)

इसके साथ ही इजरायल, ईरान में हथियारों के उत्पादन में लगीं फैक्ट्रियों को भी निशाना बना सकता है. हालांकि, एयर डिफेंस ठिकानों और दूसरी फैक्ट्रियों को निशाना बनाने में जोखिम यह है कि इन हमलों में किसी भी तरह की गलती बड़े पैमानों पर लोगों की जान ले सकती है. इस स्थिति में एक बड़ा युद्ध छिड़ सकता है.

इकॉनमिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर निशाना

इजरायल के पास एक दूसरा विकल्प ईरान के ऑयल इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने का है. खासतौर पर खर्ग द्वीप को. ईरान जो कच्चा तेल निर्यात करता है, उसका 90 फीसदी हिस्सा इसी द्वीप के जरिए जाता है. इसके साथ ही, उन ऑयल प्रोडक्शन फैसिलिटीज को भी निशाना बनाया जा सकता है जहां से ईरान की घरेलू जरूरतें पूरी होती हैं.

ईरान की आर्थिक हालत इस समय ठीक नहीं है. ऐसे में उसके ऑयल प्रोडक्शन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमलों से उसे बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान हो सकता है. इसे देखते हुए वो इजरायल को पहले ही चेतावनी दे चुका है कि इन हमलों की स्थिति में वो करारा जवाब देगा. ईरान ने हाल के मिसाइल हमलों में ये दिखाया है कि भले ही इजरायल के एयर डिफेंस सिस्टम ने उसकी ज्यादातर मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, लेकिन कई मिसाइलें तय ठिकानों पर गिरीं. ऐसे में इजरायली हमलों के जवाब में ईरान भी हमले कर सकता है और एक बड़े युद्ध की स्थिति बन सकती है.

इस साल जुलाई के आखिर में हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या की गई थी. आरोप इजरायल पर लगे थे. यह एक गुप्त इंटेल ऑपरेशन था. ऐसे आरोप हैं कि बीते सालों में इजरायल ने ईरान में गुप्त ऑपरेशंस के जरिए कई परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या की है. ऐसे में, इजरायल इस तरह के और ऑपरेशंस को अंजाम दे सकता है. हालांकि, मेसेजिंग की नजर से इस तरह के ऑपरेशंस इजरायल के लिए ठीक नहीं होंगे क्योंकि मिसाइल हमलों के बाद से ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू कह चुके हैं- ‘ईरान को कीमत चुकानी पड़ेगी.’

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वीडियो: दुनियादारी: ईरान से बदला लेगा इजरायल! अमेरिका ने अब क्या बोल दिया?

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