The Lallantop
Advertisement

G20 के देश: भारत पर 200 साल राज करने वाले ब्रिटेन की कहानी!

ब्रिटेन ने भारत पर वो अत्याचार किए, जिनके उदाहरण दुनिया में और जगह देखने को नहीं मिले. लेकिन अब दोस्ती है. उनके प्रधानमंत्री G20 के लिए नई दिल्ली आने भी वाले हैं.

Advertisement
india and uk relations.
अंग्रेज़ी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो - AP)
pic
सोम शेखर
7 सितंबर 2023 (Updated: 8 सितंबर 2023, 13:25 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में G20 Leaders Summit आयोजित होने वाला है. उससे पहले हम आपको G20 परिवार के सदस्यों (G20 Countries) से आपका परिचय करा देते हैं. आज कहानी यूनाइटेड किंगडम की. वो देश, जिसने 200 बरसों तक हम पर राज किया. 

नक्शेबाज़ी

यूके. पूरा नाम: United Kingdom of Great Britain and Northern Ireland.

सबसे पहले इसी पर बात कि यूके क्या है? ब्रिटेन क्या है? और, इंग्लैंड क्या है?
> यूनाइटेड किंगडम एक संप्रभु देश है. यूरोप महाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी तट पर बसा है. चार देशों का सम्मुच्य है: इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड. इसके साथ में ब्रिटेन के छोटे-छोटे द्वीप. इसीलिए इसे कहते हैं 'यूनाइटेड किंगडम'.
> ग्रेट ब्रिटेन मतलब वो द्वीप, जिसमें इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स शामिल हैं. उत्तरी आयरलैंड ब्रिटेन से अलग है. 
> इंग्लैंड ब्रिटेन का हिस्सा है. ब्रिटेन का सबसे बड़ा देश, जो दक्षिणपूर्व में स्थित है.

> यूनाइटेड किंगडम एक टापू-देश है. अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल, सेल्टिक सागर और आयरिश सागर से घिरा हुआ. केवल उत्तरी आयरलैंड की ज़मीनी सीमा आयरलैंड गणराज्य के साथ लगती है.

आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड अलग देश हैं. आयरलैंड यूनाइटेड किंगडम के आधीन नहीं आता. 

कुल आबादी, 6 करोड़ 73 लाख.

आधिकारिक भाषाएं - अंग्रेज़ी, वेल्श, स्कॉटिश गेलिक और आयरिश गेलिक.

राजधानी है, लंदन. इंग्लैंड के दक्षिण-पूर्व में पड़ता है, थेम्स नदी के किनारे. आज लंदन दुनिया में सबसे ज़्यादा विविध शहरों में से एक है. 300 से ज़्यादा राष्ट्रीयताओं के लोग रहते हैं. इसका कारण है, लंदन का एक लंबा और समृद्ध इतिहास. इस शहर की स्थापना रोमन्स ने की थी. पहली शताब्दी में. मध्य युग के दौरान लंदन का तेज़ी से विकास हुआ. व्यापार और वाणिज्य का एक प्रमुख केंद्र बन गया. और 19वीं सदी आते-आते लंदन औद्योगिक क्रांति का केंद्र था.

हवाई मार्ग से नई दिल्ली से लंदन की दूरी लगभग साढ़े 6 हज़ार किलोमीटर है. क़रीब 10 घंटे लगेंगे पहुंचने में.

हिस्ट्री का क़िस्सा

> यूनाइटेड किंगडम का इतिहास लंबा और जटिल है. आज के ब्रिटेन पर रोमन्स, वाइकिंग्स और नॉर्मन्स का भारी प्रभाव है. रोमन्स 5वीं शताब्दी में आए थे और उन्होंने तमाम इन्फ़्रास्ट्रक्चर बनाया और ईसाई धर्म का प्रचार किया. 9वीं शताब्दी में वाइकिंग्स ने ब्रिटेन पर आक्रमण किया. वाइकिंग्स, स्कैंडिनेविया के योद्धाओं और नाविकों का एक समुदाय था. उन्होंने अपनी बस्तियां बसाईं. 11वीं सदी में नॉर्मंडी के ड्यूक विलियम ने ब्रिटेन पर आक्रमण किया और अंग्रेजी सिंहासन पर क़ाबिज़ हो गया. विलियम की जीत के साथ नॉर्मन्स अपनी भाषा, संस्कृति और क़ानून लेकर आए. 13वीं शताब्दी तक अंग्रेज़ी राजशाही मज़बूत हुई. इसी दौरान देश में आर्थिक विकास हुआ. मगर 14वीं सदी में ब्लैक डेथ ने ब्रिटेन की एक तिहाई आबादी को मार डाला. ब्लैक डेथ एक महामारी थी, जिसका उदय चीन में हुआ था. इस घटना से सामाजिक परिवर्तन भी हुए. कुलीन वर्ग का प्रभाव कम हुआ और मिडल क्लास पिक्चर में आया. 16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में धार्मिक सुधार का दौर चला. हेनरी-अष्टम् ने कैथोलिक चर्च से अलग होकर चर्च ऑफ़ इंग्लैंड की स्थापना की.

> 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई. और, यहीं से शुरू होता है अंग्रेज़ी औपनिवेशिक राज का इतिहास. जो व्यापार और वाणिज्य की नींव पर बनाया गया था. लेकिन धीरे-धीरे देशों को चलाने ही लग गया. 18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन बहुत बड़ी ताक़त बन चुका था. इसी सदी में ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति भी शुरू हुई. भयानक तेज़ी से आर्थिक विकास हुआ. अंग्रेज़ों के पास एक मज़बूत नौसेना और एक संपन्न अर्थव्यवस्था थी. सम्राज्य के चरम पर कहा जाता था, "बरतानिया हुकू़मत पर सूरज कभी अस्त नहीं होता."
ऐसा नहीं था कि अंदरख़ाने सब हंकी-डोरी था. गृहयुद्ध छिड़ा हुआ था. राजशाही और लोकशाही के समर्थकों के बीच लड़ाई हुई. संसद की जीत हुई. राजा को फांसी दे दी गई.

> समय के साथ अंग्रेज़ी हुक़ूमत की पकड़ कमज़ोर होने लगी. कॉलेनीज़ में राष्ट्रवाद और आज़ादी की भावना जगने लगी. आंदोलन हुए. अमेरिका तो 1776 में आज़ाद हो गया. आज़ादी का एक बड़ा दौर आया 20वीं शताब्दी में. यूके ने दो युद्ध लड़े और दोनों में ही ओरिजनल प्लेयर्स में से एक रहा. 
- प्रथम विश्व युद्ध: ब्रिटेन ऐलाइड ताक़तों का हिस्सा था. फ्रांस, रूस और (बाद में) अमेरिका के पाले से लड़ाई लड़ी. ब्रिटेन ने जंग में बहुत ख़ून बहाया. अंग्रेज़ी नौसेना ने जर्मनी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
- द्वितीय विश्व युद्ध: ब्रिटेन फिर से ऐलाइड ताक़तों के मूल सदस्यों में से एक था. ब्रिटेन ने अपनी फौज फ्रांस में लड़ने भेजी. लेकिन उन्हें उलटे पांव लौटना पड़ा. फिर जर्मनी ने हवाई रास्ते से ब्रिटेन पर चढ़ाई की कोशिश की. अंग्रेज़ों की रॉयल एयर फोर्स ने जर्मन आक्रमण को काउंटर किया. अमेरिकी और रूसी मदद ने एक बार फिर ब्रिटेन को विजेताओं के पाले में खड़ा किया. प्रधानमंत्री विन्स्टन चर्चिल हीरो बन गए.

> दूसरे विश्व युद्ध में अंग्रेज़ों ने जितना ख़ून बहाया, उतना ही पैसा. इससे कॉलोनीज़ को मेंटेन करना मुश्किल हो गया. भारत और पाकिस्तान आज़ाद हो गए और 60 के दशक में कई अफ़्रीकी देशों में आंदोलन हुए.

> ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के साथ लेबर पार्टी का उदय हुआ. परंपरागत रूप से मज़दूरों की पार्टी. 1945 में लेबर पार्टी सत्ता में आई और उन्होंने कई सामाजिक सुधार लागू किए. 1956 के स्वेज़ संकट के चलते बाज़ार में गिरावट आई और अर्थव्यवस्था बाधित हुई. इधर 1960 से 90 के बीच में उत्तरी आयरलैंड में अराजकता और हिंसा का दौर रहा. इसका ब्रिटेन की राजनीति पर भी असर पड़ा. बाद में 1998 में जाकर समझौता हुआ.

> 1979 में अंग्रेज़ी जनता ने मार्गरेट थैचर को चुन लिया. उन्होंने कई रूढ़िवादी नीतियां लागू कीं. नीतियां विवादास्पद थीं, लेकिन ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और समाज पर बड़ा प्रभाव पड़ा.

> ब्रिटेन 1973 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय में शामिल हुआ और 1993 में यूरोपीय संघ का पूर्ण सदस्य बना. आने वाले सालों में ब्रिटेन की सदस्यता वहां की राजनीति में एक प्रमुख मुद्दा रही है. फिर अंततः 2016 में ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ छोड़ दिया. इसे कहा गया, Brexit.

> अगर पॉलिटकल सिनारियो की बात करें, तो ब्रिटेन में दोनों पार्टियों की बराबर सत्ता रही. और, बार-बार सत्ताएं पलटती रहीं. आपको स्क्रीन पर नज़र आ रहा होगा. एक बार लेबर पार्टी, तो अलगी बार कन्ज़रवेटिव. दोनों पार्टियों की अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण जैसे मुद्दों पर अलग-अलग विचारधाराएं और नीतियां रहीं. 

पैसे की बात

यूनाइटेड किंगडम में चलता है, पाउंड स्टर्लिंग.

1 पाउंड स्टर्लिंग = 104.54 रुपये.

IMF के मुताबिक़, यूके की जीडीपी 3.16 ट्रिलियन डॉलर है. माने 262 लाख करोड़ रुपये.

प्रति व्यक्ति आय, 38 लाख रुपये के क़रीब है. माने भारत से साढ़े 17 गुना. 

लेन-देन

2022 में भारत और यूके के बीच निर्यात और आयात मिलाकर कुल 20.36 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ. रुपये में, 1 लाख 69 हज़ार करोड़ के क़रीब.

निर्यात - 11.24 बिलियन डॉलर का. माने क़रीब 93 हज़ार करोड़ रुपये की मशीनरी, बिजली के उपकरण, रेडीमेड कपड़े, आभूषण, रसायन, गाड़ियों के उपकरण वग़ैरह बेचे गए.

आयात - 9.62 बिलियन डॉलर का. माने क़रीब 80 हज़ार करोड़ रुपये की मशीनरी, गाड़ियां, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, तेल और गैस, वग़ैरह ख़रीदे गए.

हम ब्रिटेन को निर्यात ज़्यादा करते हैं, इसीलिए ब्रिटेन से व्यापार में हमें मिलता है ट्रेड सरप्लस. माने फायदा. भारत और यूके के बीच भारी निवेश भी है. यूके भारत के इनफ़्रास्ट्रक्चर सेक्टर में एक प्रमुख निवेशक है. वहीं, भारतीय कंपनियां यूके में प्रौद्योगिकी, फार्मा और वित्तीय सेवाओं जैसे क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं.

सामरिक रिश्ते

यूनाइटेड किंगडम और भारत के बीच राजनयिक संबंधों का इतिहास है. दोनों देश 17वीं सदी से व्यापार, कूटनीति और आर्थिक सहयोग में हिस्सेदार रहे हैं. जब भारत को ब्रिटेन से आज़ादी मिली, तब से दोनों देशों के बीच के संबंधों को तीन खंडों में बांटा जा सकता है.

1947-1997: दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष लगातार एक-दूसरे के यहां गए. वहां से रानी एलीज़ाबेथ और उनके कार्यकाल के लगभग सभी प्रधानमंत्री इधर आए. हमारे यहां से भी नेहरू, डॉ प्रसाद, राजीव गंधी, नरसिम्हा राव, डॉ कलाम और नरेंद्र मोदी तक. अच्छे राजनयिक संबंध होने के बावजूद, कुछ तनाव भी था. ख़ासकर कश्मीर के मुद्दे पर. और इस दौरान भारत सोवियत संघ के क़रीब था, इस वजह से भी ब्रिटेन की चिंताएं थीं. लेकिन इसी बीच 1991 में भारत और यूके के बीच फ़्री ट्रेड समझौते पर बात को औपचारिकता मिली. कुछ समझौते हुए. दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा. लेकिन असली FTA पर अभी तक दोनों देशों के दस्तखत नहीं हुए हैं.

1997-2010: 90 के दशक के अंत तक भारत और ब्रिटेन के बीच संबंध सुधरे. अलग-अलग मसलों पर सहमति बनी. जैसे आर्थिक सहयोग और आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई. फरवरी 2010 में भारत और यूके के बीच सिविल न्यूक्लीयर सहयोग समझौता पर दस्तख़त हुए.

2010-2023: देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी मज़बूत हुई है. रक्षा, सुरक्षा और व्यापार के संबंधित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत ब्रिटेन का एक प्रमुख डिफेंस पार्टनर भी बन गया है. 
- 2019 में यूके और भारत राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे होने का जश्न मनाया.
- 2021 में दोनों देशों ने "2030 रोडमैप" पर साइन किया. जो व्यापार, निवेश, रक्षा और सुरक्षा सहित कई मुद्दों पर साझेदारी को गहरा करने के लिए योजनाएं तय करेगा.
- 2022 में यूके और भारत ने अपनी पहली "2+2" मंत्रिस्तरीय वार्ता आयोजित की, जिसमें दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री एक साथ आए.
- 2023 में, यूके और भारत ने साइबर ख़तरों से निपटने के लिए एक नया "साइबर एक्शन प्लान" लॉन्च किया है.

पॉलिटिकल सिस्टम

यूके एक लोकतांत्रिक राजशाही है. मतलब हेड ऑफ़ स्टेट राजा/रानी होगी, लेकिन असल ताक़त संसद और प्रधानमंत्री के पास होगी. प्रधान मंत्री की नियुक्ति राजा/रानी करते हैं, लेकिन उनके पास संसद में बहुमत होना चाहिए. जैसे, क्वीन एलीज़ाबेथ द्वितीय के बाद उनके बेटे चार्ल्स राजा हैं और ऋषि सुनक, प्रधानमंत्री.

ब्रिटिश संसद के दो सदन हैं - हाउस ऑफ़ कॉमन्स और हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स. निचला सदन है, हाउस ऑफ़ कॉमन्स. जिसके सदस्य चुने जाते हैं. हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स के सदस्यों की नियुक्ति राजा करता है. और, एक नियुक्ति आयोग की सलाह पर प्रधान मंत्री सदस्यों के नाम प्रस्तावित करता है.

स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड की अपनी सरकारी प्रणाली है. अपनी संसद और सरकार हैं, लेकिन पॉलिसी लेवल पर उनका पूरा कंट्रोल नहीं होता.

सरकार की कमान

प्रधानमंत्री, ऋषि सुनक. राजा, चार्ल्स तृतीय.

सुनक ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के लीडर भी हैं. अक्टूबर 2022 में प्रधानमंत्री बने थे. वो भारतीय मूल और हिंदू धर्म के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं.

उनकी कहानी क्या है?

ऋषि सुनक के दादा-दादी ब्रिटिश भारत के गुजरांवाला में पैदा हुए थे. विभाजन के बाद गुजरांवाला, पाकिस्तान का हिस्सा बन गया. हालांकि, सुनक के दादा-दादी उससे पहले ही केन्या में बस चुके थे.  वहीं पर ऋषि के पिता यशवीर का जन्म हुआ. उनकी शादी उषा से हुई. वो तंजानिया में पैदा हुईं थीं. बाद में यशवीर और उषा ब्रिटेन में शिफ़्ट हो गए. 1980 में उनके घर ऋषि सुनक का जन्म हुआ.

उनकी पढ़ाई प्रतिष्ठित विंस्टर कॉलेज से हुई है. ब्रिटेन में उनसे पहले के पांच वित्तमंत्री इसी कॉलेज से पढ़े हैं. विंस्टर के बाद सुनक ऑक्सफ़ोर्ड गए. वहां से  पॉलिटिक्स, फ़िलॉसफ़ी और इकॉनमिक्स की पढ़ाई की. इसके बाद एमबीए के लिए स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए. वहीं उनकी मुलाक़ात अक्षता मूर्ति से हुई. अक्षता इन्फ़ोसिस के फ़ाउंडर एनआर नारायणमूर्ति की बेटी हैं. 2009 में सुनक और अक्षता ने शादी कर ली. उनकी दो बच्चियां हैं. अक्षता की इन्फ़ोसिस में लगभग एक प्रतिशत की भागीदारी है. अप्रैल 2022 में ये सामने आया कि अक्षता ब्रिटेन से बाहर होने वाली कमाई पर टैक्स में हेराफेरी कर रहीं है. जब हंगामा मचा तो उन्होंने बाहरी कमाई पर टैक्स देने का ऐलान किया था. 

2015 में सुनक ने राजनीति में कदम रखा. राजनीति में आने से पहले बैंकर के तौर पर काम किया. गोल्डमैन सैक में भी कुछ समय नौकरी की. फिर बिजनेस में हाथ आजमाया. सफल रहे. एक इनवेस्टमेंट फर्म के को-फाउंडर रहे. इस फर्म ने सिलिकॉन वैली और बेंगलुरु में बिजनेस किया.  उन्होंने 2015 में यॉर्कशर की रिकमंड सीट से चुनाव जीता और संसद में पहुंचे. रिकमंड सीट कंजर्वेटिव पार्टी का गढ़ रही है. सुनक ने  2017 और 2019 में भी इस सीट से चुनाव जीता. जब बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला कैबिनेट विस्तार किया, तब  सुनक को वित्त मंत्रालय का दिया था. फिर कोरोना वायरस महामारी के दौरान उन्होंने कई फ़ाइनेंशियल पैकेज तैयार किए. जिनकी पूरी दुनिया में चर्चा हुई. सुनक नियमित तौर पर न्यूज चैनलों पर नजर आने लगे. एक तरीके से यूके सरकार का चेहरा बन गए.

इसी दौरान पार्टीगेट स्कैंडल में भी उनका नाम आया. इस संबंध में उन्हें पेनल्टी नोटिस भी जारी किया गया. फिर अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति के टैक्स स्टेटस को लेकर आलोचना का शिकार हुए. इस बात पर भी उनकी किरकिरी हुई कि सरकार में इतने बड़े पद पर होने के बाद भी उनके पास अमेरिका का ग्रीन कार्ड है और उन्होंने इसे लौटाया नहीं था. वित्त मंत्री के तौर पर काम करने से पहले ऋषि सुनक ने पूर्व प्रधानमंत्री टेरिसा मे की कैबिनेट में जूनियर मिनिस्टर के तौर पर काम किया था.

निजी ज़िंदगी में सुनक कोका-कोला और फ़ुटबॉल के दीवाने हैं. कुछ मौकों पर उन्हें क्रिकेट खेलते भी देखा गया है.

ऋषि सुनक G20 में हिस्सा लेने भारत आ रहे हैं. प्रधानमंत्री के तौर पर ये उनकी पहली भारत यात्रा होगी. इस दौरे पर फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत की संभावना है.

फ़ैक्ट्स

- ऋषि सुनक ने भगवदगीता पर हाथ रखकर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी.

- ब्रिटेन दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का घर है: मैग्ना कार्टा. 1215 में हस्ताक्षर किए गए इस दस्तावेज़ को सरकार के सिद्धांत को स्थापित करने वाला पहला दस्तावेज़ माना जाता है. अब मदर ऑफ डेमोक्रेसी शब्द तो पहले से बुक है. तो हम ब्रिटेन को मौसी ऑफ डेमोक्रेसी कह सकते हैं.

- यूके में दुनिया का सबसे पुराना अंग्रेज़ी-भाषी विश्वविद्यालय भी है: ऑक्सफोर्ड. जिसकी स्थापनी 1096 में हुई थी.

- यूके एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है - क़रीब साढ़े तीन करोड़ लोग हर साल घूमने जाते हैं. कभी जाइए तो बकिंघम पैलेस, टॉवर ऑफ़ लंदन और स्टोनहेंज घूमिएगा.

- यूके में दुनिया के कुछ सबसे प्रसिद्ध लेखक और कलाकार भी हुए. शेक्सपियर, जेन ऑस्टेन और चार्ल्स डिकेंस वग़ैरह. 

फ़ुटनोट्स

- दुनिया के 14 देश अभी भी ब्रिटिश क्राउन को हेड ऑफ़ द स्टेट मानते हैं. इनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड भी हैं. अधिकतर देशों में ब्रिटिश क्राउन से अलग होने की मांग चलती है.

- ब्रिटेन 2016 में यूरोपियन यूनियन (EU) से अलग हो गया था. वो EU छोड़ने वाला इकलौता संप्रभु देश है.

- वॉर ऑन टेरर और इराक़ पर हमले में ब्रिटेन, अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी था. इराक़ वॉर की जांच के लिए बने कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर पर कई संगीन आरोप लगाए थे. ब्लेयर 1997 से 2007 तक प्रधानमंत्री रहे. कमीशन ने लिखा था कि सरकार ने ग़लत इंटेलिजेंस के आधार पर हमले का फ़ैसला लिया. जुलाई 2016 में टोनी ब्लेयर ने पीड़ित परिवारों से माफ़ी मांगी. लेकिन हमले को ग़लत ठहराने से इनकार कर दिया.

ब्रिटिश आर्मी की स्पेशल एयर सर्विस (SAS) पर अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ में युद्ध-अपराध के आरोप लग रहे हैं. इसकी जड़ में कहीं ना कहीं टोनी ब्लेयर का फ़ैसला ही रहा है.

वीडियो: दुनियादारी: ऋषि सुनक बने ब्रिटेन के पीएम, भारत को क्या फायदा, पीएम मोदी ने क्या कहा?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement