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G20 के देश: अपने दोस्तों से बैर लेकर भारत का साथ देने वाले फ़्रांस की कहानी

1974 में जब भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया, अमेरिका सहित पूरे पश्चिम ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए. उस वक़्त फ़्रांस ने अपने दोस्तों की लीग से अलग होकर भारत को मदद का हाथ बढ़ाया. फ्रांस के साथ भारत का ये पहला सिविल न्यूक्लियर समझौता था. तब से अब तक भारत और फ़्रांस घनिष्ठ मित्र हैं.

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indo-french relations.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों.
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सोम शेखर
5 सितंबर 2023 (Updated: 5 सितंबर 2023, 12:00 IST)
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09 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में G20 Leaders Summit आयोजित होने वाली है. उससे पहले हम आपको G20 परिवार के सदस्यों (G20 Countries) से आपका परिचय करा देते हैं. आज कहानी फ़्रांस (France) की.

नक्शेबाज़ी

फ़्रांस का आधिकारिक नाम फ़्रेंच रिपब्लिक है.

यूरोप महाद्वीप के पश्चिमी मुहाने पर बसा है. जैसे ही फ़्रांस की पश्चिमी सीमा ख़त्म होती है, समंदर शुरू हो जाता है. उत्तर-पश्चिम में इंग्लिश चैनल पार करते ही ब्रिटेन है. दक्षिण की तरफ़ भूमध्य सागर है. बाकी दिशाओं में ज़मीन है. ज़मीनी सीमा उत्तर में बेल्जियम और लग्ज़मबर्ग, दक्षिण-पूर्व में इटली, पूरब में स्विट्ज़रलैंड, उत्तर-पूर्व में जर्मनी और दक्षिण में स्पेन से लगती है. हालांकि, फ़्रांस की ज़मीन यूरोप तक ही सीमित नहीं है. कुल 18 प्रांत हैं. इनमें से 5 यूरोप से बाहर हैं - साउथ अमेरिका में फ्रेंच गुयाना, उत्तरी अटलांटिक महासागर में सेंट पियरे और मिकेलॉन, केरेबियन सागर में फ्रेंच वेस्ट-इंडीज़ और हिंद महासागर के कई द्वीप.

यूरोप वाले हिस्से को मेट्रोपॉलिटन फ़्रांस कहते हैं. अधिकांश आबादी यहीं बसी है. बाक़ी जगहों का शासन भी यहीं से चलता है.

तस्वीर - ब्रिटैनिका इनसाइक्लोपीडिया

कुल आबादी, 6 करोड़ 77 लाख है. 50 प्रतिशत ईसाई हैं. 33 प्रतिशत लोग किसी धर्म को नहीं मानते. बाक़ी 17 में मुस्लिम और दूसरे धर्म के लोग आते हैं.

राजधानी पैरिस है. ये सबसे बड़ा शहर भी है. पैरिस को सबसे ज़्यादा ऐफ़िल टावर की वजह से जानते हैं. 1889 में - फ़्रेंच रेवोल्युशन के सौ साल पूरे होने पर - ये टावर बनकर तैयार हुआ था. एक सिविल इंजीनियर हुए, गुस्ताव ऐफ़िल. उनकी कंपनी ने डिज़ाइन किया और बनाया था. 1931 तक ये दुनिया का सबसे ऊंचा स्ट्रक्चर था. 1931 में अमेरिका की एम्पायर्स स्टेट बिल्डिंग ने तमगा अपने नाम कर लिया.

हवाई मार्ग से नई दिल्ली से पैरिस की दूरी लगभग साढ़े 6 हज़ार किलोमीटर है.

हिस्ट्री का क़िस्सा

- बहुत पीछे नहीं जाएंगे. मध्य युग में रोमन साम्राज्य के पतन के बाद फ्रांस कई राज्यों में विभाजित हो गया. फिर साथ आया. 15वीं शताब्दी तक भयानक युद्ध का दौर चला. फिर फ़्रांस के समाज के लिहाज़ से दो बहुत ज़रूरी घटनाएं हुईं. 14वीं सदी में इटली में शुरू हुआ सांस्कृतिक और बौद्धिक पुनर्जागरण (Renaissance), 15वीं शताब्दी में फ्रांस तक फैल गया और 16वीं शताब्दी की मज़हबी जंगें. इसकी वजह से समाज में धर्म और राज्य को लेकर रवैया बदला.

- फ़्रांस के आधुनिक इतिहास में सबसे निर्णायक घटना 1789 में घटी. तत्कालीन राजा लुई सोलहवें ने संसद का सत्र बुलाया. वोटिंग के अधिकार को लेकर गहमागहमी हुई. जनता ने क्रांति कर दी.

- इस क्रांति का एक सिरा अमेरिका की आज़ादी से भी जुड़ा था. दरअसल, अमेरिका एक समय तक ब्रिटेन की कॉलोनियों का गुच्छा था. 1776 में उन कॉलोनियों ने ख़ुद को आज़ाद घोषित कर दिया. जंग हुई. फ़्रांस, ब्रिटेन का जन्मजात दुश्मन था. उसने कॉलोनियों को सपोर्ट किया. इस चक्कर में कर्ज़ा बढ़ता गया. इधर फ़्रांस में फसल भी चौपट हो रही थी. 1788 आते-आते हालात बदतर हो चुके थे. आटे के लिए जनता दंगे पर उतारु हो चुकी थी. इससे निपटने के लिए राजा ने एस्टेट्स-जनरल की बैठक बुलाई थी. इसी में झगड़ा हुआ और नई संसद बनाई गई.

- 1792 में संसद ने राजशाही ख़त्म कर दिया. फ़र्स्ट रिपब्लिक की स्थापना हुई,  लेकिन ये ज्यादा चला नहीं. 

- 1799 में तख़्तापलट हुआ. इसका मास्टरमाइंड नेपोलियन बोनापार्त नाम का एक मिलिटरी कमांडर था. उसने ख़ुद को सम्राट घोषित कर दिया. रिपब्लिक को साइडलाइन कर दिया गया. 1815 में नेपोलियन की मौत के बाद राजशाही वापस लौट आई.

- 1848 में सेकेंड रिपब्लिक बना. बस चार बरस चल सका. नेपोलियन के भांजे ने तख़्तापलट किया. ख़ुद सम्राट बन गया.

- 1870 में नेपोलियन के भांजे ने प्रशिया के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ा. फ़्रांस की हार हुई. प्रशिया को आज के समय में जर्मनी कहते हैं. इधर फ़्रांस में राजशाही और गणतंत्र के समर्थकों के बीच टक्कर हुई. गणतंत्र के समर्थक जीत गए. उन्होंने थर्ड रिपब्लिक की नींव रखी. ये 70 बरस तक चला.

फ़्रांस की क्रांति और नेपोलियन बोनापार्त (फोटो - विकीमीडिया)

- 1939 में दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ. 1940 में जर्मनी ने फ़्रांस पर कब्ज़ा कर लिया. सरकार निर्वासन में लंदन चली गई. चार्ल्स डि गॉल के नेतृत्व में धुरी राष्ट्रों के ख़िलाफ़ लड़े. 1944 में फ़्रांस आज़ाद हो गया. दो बरस बाद फ़ोर्थ रिपब्लिक की स्थापना हुई. डि गॉल इसके पहले राष्ट्रपति बने. लेकिन राष्ट्रपति के पास ज्यादा शक्तियां नहीं थीं. प्रधानमंत्री ताश के पत्तों की तरह बदले जा रहे थे. महज 12 बरस में फ़्रांस ने 16 प्रधानमंत्री देख लिए थे.

- 1958 आते-आते हालात बेक़ाबू हो चुके थे. अफ़्रीका महाद्वीप में फ़्रांस की एक कॉलोनी थी, अल्जीरिया. वहां आज़ादी के लिए जंग लड़ी जा रही थी. ये फ़्रांस को भारी पड़ रहा था. 1958 में आर्मी के एक धड़े ने विद्रोह की धमकी दी. मांग रखी कि डि गॉल को फिर से राष्ट्रपति बनाया जाए.
डि गॉल मान गए. 1958 में फ़िफ़्थ रिपब्लिक की नींव रखी गई. डि गॉल के नेतृत्व में नया संविधान बनाया गया. आज का फ़्रांस उसी के अनुसार चल रहा है.

- 20वीं सदी में फ़्रांस, ब्रिटेन के बाद दूसरा सबसे बड़ा औपनिवेशिक देश था. उसने साउथ अमेरिका और अफ़्रीका के अलावा एशिया के कई देशों में अपनी कॉलोनी बना रखी थी. भारत के कई हिस्से भी फ़्रेंच एम्पायर का हिस्सा थे. 1950 और 60 के दशक में वे आज़ाद हुए. हालांकि, अफ़्रीका में फ़्रांस ने अपनी पकड़ बनाकर रखी. अपने अनुसार शासन और सरकार को नचाया. इसके चलते स्थानीय जनता में आक्रोश पनपता रहा. नतीजतन, पिछले कुछ बरसों में लगातार फ़्रांस-समर्थित सरकारों का तख़्तापलट हुआ है. और, उन्हें बाहर निकलने के लिए कहा जा रहा है.

पैसे वाली बात

फ़्रांस की करेंसी है, फ़्रेंच फ़्रैंक. इसके अलावा, यूरो भी चलता है.

इंटरनैशनल मॉनिटरी फ़ंड (IMF) के मुताबिक़, जीडीपी 2.96 ट्रिलियन डॉलर है. भारतीय रुपये में लगभग 242 लाख करोड़ रुपये.

प्रति व्यक्ति आय 35 लाख रुपये सालाना है.

लेन-देन

2021 में 01 लाख 20 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार हुआ. 

भारत ने 65 हज़ार करोड़ का सामान फ़्रांस को बेचा. फ़्रांस ने 55 हज़ार करोड़ का सामान भारत में भेजा. इसमें मिलिटरी इक़्विपमेंट्स की खरीद-बिक्री का डेटा शामिल नहीं है.

फ़्रांस को क्या बेचता है भारत? रिफ़ाइंड पेट्रोलियम, दवाइयों के रसायन, ट्रंक आदि.

भारत क्या खरीदता है? प्लेन, हेलिकॉप्टर्स, गैस टर्बाइन आदि.

सामरिक रिश्ते

> भारत और फ्रांस पुराने मित्र हैं. भारतीय सैनिकों ने फ़्रांस की तरफ़ से पहला और दूसरा विश्वयुद्ध लड़ा. नई दिल्ली का इंडिया गेट फ़्रांस में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बना है.

> 1947 में दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक संबंध स्थापित हुए. 1963 में फ़्रांस ने भारत में अपनी कॉलोनियों पर से दावा हटा लिया. इनमें से एक पुड्डुचेरी भी था.

> 1974 में भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया.अमेरिका समेत समूचा पश्चिम भारत के ख़िलाफ़ हो गया था. उस वक़्त फ़्रांस ने भारत का साथ दिया था..

> फ्रांस यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता की वकालत करता रहा है.  

> भारत ने फ़्रांस के साथ कई रक्षा समझौते भी किए हैं. रफ़ाल फ़ाइटर जेट्स और स्कॉर्पिन पनडुब्बी इसका बड़ा उदाहरण हैं.

> 1998 में फ़्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति जैक़ चिराक़ भारत आए थे. उसी दौरे पर स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप पर सहमति बनी थी.

> 2008 में फ़्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी गणतंत्र दिवस के मौके पर चीफ़ गेस्ट थे.

> 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह को बास्तील डे परेड के मौके पर चीफ़ गेस्ट बनाकर बुलाया गया था. उस परेड में इंडियन आर्मी ने भी हिस्सा लिया था.

> जुलाई 2023 में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बास्तील डे परेड में गेस्ट ऑफ़ ऑनर का दर्जा मिला.

पोलिटिकल सिस्टम

> फ़्रांस में सेमी-प्रेसिडेंशियल सिस्टम चलता है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों हैं. राष्ट्रपति को पांच साल के लिए चुना जाता है. उसके पास प्रधान मंत्री को नियुक्त करने और संसद को भंग करने की शक्ति होती है. प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और संसद के प्रति उत्तरदायी होता है. जैसा कि भारत में है. 

> हालांकि, दोनों में एक बारीक अंर है. भारत में राष्ट्रपति के पास सिम्बॉलिक शक्तियां हैं. लेकिन फ़्रांस में इसका उलटा है. वहां राष्ट्रपति कार्यपालिका और सेना के अध्यक्ष होते हैं. और, वे सही मायनों में इन शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. राष्ट्रपति विदेश नीति भी तय कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें संसद की सहमति की ज़रूरत नहीं होती.

> फ़्रांस में राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता करती है. जनता राष्ट्रपति के नाम पर वोट डालने के लिए जाती है. पार्टी के नाम पर नहीं.

> फ़्रांस में दो सदनों वाली व्यवस्था है. नेशनल असेंबली निचला सदन है. ऊपरी सदन को सेनेट के नाम से जाना जाता है. नेशनल असेंबली, सेनेट की तुलना में अधिक शक्तिशाली है. अपने यहां की लोकसभा और राज्यसभा जैसा ही सिस्टम है.

सरकार की कमान

राष्ट्रपति - इमैनुअल मैक्रों. प्रधानमंत्री - एलिज़ाबेथ बोर्न.

2022 में चुनाव के बाद की स्थिति अस्थिर है. देश राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के समर्थकों और मरीन ला पेन के नेतृत्व वाली धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी के बीच बंटा हुआ है. कई बड़े प्रोटेस्ट हुए हैं. एक पेंशन रिफ़ॉर्म बिल पर और दूसरा पुलिस की गोलीबारी में अश्वेत लड़के की मौत पर.

फ्रांस के 25वें राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (2017 से अभी तक)

मैक्रों हेड ऑफ़ स्टेट हैं. उनकी कहानी क्या है?

दिसंबर 1977 में पैदा हुए. रोथ्सचाइल्ड एंड कंपनी में इन्वेस्टमेंट बैंकर के बतौर काम किया.
2014 से 2016 तक अर्थव्यवस्था, उद्योग और डिजिटल मामलों के मंत्री रहे.
2017 में पहली बार राष्ट्रपति बने. 2022 में लगातार दूसरा चुनाव जीता.
वो एक मध्यमार्गी राजनेता हैं. उन पर अमीरों के पक्ष में आर्थिक नीतियां बनाने के आरोप लगते हैं.

नई दिल्ली में आयोजित G20 लीडर्स समिट में आने के लिए मैक्रों ने सहमति दे दी है.

फ़ैक्ट्स

- फ्रांस दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है. 2018 में 8.9 करोड़ पर्यटक वहां गए थे. एफिल टॉवर दुनिया में सबसे ज़्यादा देखा जाने वाला स्मारक है. हर साल 70 लाख से ज़्यादा पर्यटक आते हैं. कोरोना महामारी के टाइम एफ़िल टॉवर को बंद कर दिया गया था. उससे पहले ऐसा सिर्फ़ सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय हुआ था.
- फ़्रांस पहले और दूसरे विश्वयुद्ध का विजेता रह चुका है.
- फ़्रांस का झंडा दुनिया का सबसे पुराना राष्ट्रीय ध्वज है, जो अभी भी इस्तेमाल में है. पहली बार 1794 में फहराया गया था.
- फ़्रेंच 29 देशों की आधिकारिक भाषा है, जो इसे दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बना देती है. 
- फ्रांस चीज़ का सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है. वाइन का भी सबसे बड़ा उत्पादक है.
- फ़्रांस G20 के अलावा, G7, नेटो और यूरोपियन यूनियन के सबसे प्रभावशाली सदस्यों में गिना जाता है.
- 2024 के ओलंपिक गेम्स पैरिस में होने वाले हैं.

फ़ुटनोट्स

> फ़्रांस सिक्योरिटी काउंसिल के पांच परमानेंट मेंबर्स में से एक है. उसके पास वीटो का अधिकार है. 
> फ़्रांस, यूरोपियन यूनियन और नेटो का फ़ाउंडिंग मेंबर भी है. दोनों संगठन रूस-यूक्रेन युद्ध की सबसे अहम कड़ी हैं.
> इस समय फ़्रांस अफ़्रीका महाद्वीप में बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. उसके समर्थन से चलने वाली सरकारों का तख़्तापलट हो रहा है. उनकी जगह पर रूस की तरफ़ झुकाव वाले लोग सत्ता में काबिज हुए हैं. इससे नए युग के कोल्ड वॉर का ख़तरा पैदा हो गया है.

वीडियो: दुनियादारी: फ़्रांस में राष्ट्रपति चुनाव का प्रोसेस क्या है? इस बार के नतीजों से क्या कुछ बदलने वाला है?

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