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Jhansi Hospital Fire: आग की चपेट में आने के बाद भी इस नर्स ने बचाई 15 बच्चों की जान

मेघा जेम्स घटना वाली रात ड्यूटी पर थीं. उन्होंने जैसे ही आग देखी, वो तुरंत एक्शन में आ गईं. एक पैर और कपड़ों में आग लगने के बावजूद भी उन्होंने बच्चों को बचाना जारी रखा.

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जेम्स, घटना वाली रात ड्यूटी पर थीं. उन्होंने जैसे ही आग देखी, वो तुरंत एक्शन में आ गई. ( फ़ोटो/PTI)
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मनीषा शर्मा
18 नवंबर 2024 (Updated: 18 नवंबर 2024, 16:51 IST)
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झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के NICU यानी ‘नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष’ में आग लग गई थी. 15 नवंबर को लगी इस आग में 11 शिशुओं की जान चली गई. इस घटना के बीच नर्स मेघा जेम्स की कहानी सामने आई है. उनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर कई शिशुओं को आग से बचाया था.

समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक जेम्स घटना वाली रात ड्यूटी पर थीं. उन्होंने जैसे ही आग देखी, वो तुरंत एक्शन में आ गईं. एक पैर और कपड़ों में आग लगने के बावजूद भी उन्होंने बच्चों को बचाना जारी रखा. अस्पताल के कर्मचारियों की मदद से 14-15 बच्चों को बाहर निकालने में मदद की.

बाद में PTI से बात करते हुए जेम्स ने बताया,

"मैं एक बच्चे को इंजेक्शन देने के लिए सिरिंज लेने गई थी. जब मैं वापस आई तो मैंने देखा कि (ऑक्सीजन) कंसंट्रेटर में आग लग गई थी. मैंने वार्ड बॉय को बुलाया, जो फायर एक्सटिंग्विशर (आग बुझाने वाले यंत्र) के साथ आया और आग बुझाने की कोशिश की. लेकिन तब तक आग फैल चुकी थी."

यह भी पढ़ें: Jhansi Hospital Fire: 18 बेड की क्षमता वाले वार्ड में रखे गए थे 49 बच्चे, झांसी अग्निकांड के बारे में अब ये सब पता चला है

उन्होंने आगे कहा कि धुएं और बिजली की कमी के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही थी, जिससे NICU के अंदर देखना मुश्किल हो गया था. उन्होंने कहा कि अगर बिजली की कमी नहीं होती तो वो और अधिक बच्चों को बचा सकती थीं. नर्स ने कहा,

"मेरी चप्पल में आग लग गई और मेरा पैर जल गया. फिर मेरी सलवार में आग लग गई. मैंने अपनी सलवार उतार कर फेंक दी. उस समय मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था."

जेम्स ने दूसरी सलवार पहनी और बचाव कार्य में वापस चली गईं. सहायक नर्सिंग अधीक्षक नलिनी सूद ने जेम्स की बहादुरी की प्रशंसा की. सूद ने बताया,

"उसने (जेम्स) अपनी सुरक्षा की परवाह नहीं की और बच्चों को बचाना जारी रखा."

रिपोर्ट के मुताबिक जेम्स का फिलहाल मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है.

घटना के वक्त अस्पताल के कर्मचारियों ने शिशुओं को बाहर निकालने के लिए NICU की खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए थे. ज़िला मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार के अनुसार, बचे हुए शिशुओं को पास के वार्ड में ले जाया गया, लेकिन 17 नवंबर को एक नवजात की कथित तौर पर बीमारी के कारण मौत हो गई.

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