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ये अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन क्या है? क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव?

अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानी जो इन्फेक्शन हमारे अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में हो. जैसे नाक, साइनस या गले में.

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इस तरह के इनफेक्शन में खांसी-जुकाम भी होता है
18 सितंबर 2024 (Updated: 18 सितंबर 2024, 17:09 IST)
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सीताराम येचुरी. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI (M) के पूर्व महासचिव. 12 सितंबर की दोपहर उनका निधन हो गया. दिल्ली के AIIMS अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वो 72 साल के थे. सीताराम येचुरी को पिछले महीने निमोनिया होने पर AIIMS में भर्ती कराया गया था. फिर सितंबर में हालत बिगड़ने पर उन्हें ICU में शिफ्ट कर दिया. वो एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से जूझ रहे थे.

एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन दो तरह का होता है. पहला, अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन. और दूसरा, लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन. आज हम अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन पर बात करेंगे. डॉक्टर से समझेंगे कि अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन  क्या होता है. इसके लक्षण क्या होते हैं और, अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव और इलाज कैसे किया जाए. 

अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर कुलदीप कुमार ग्रोवर ने. 

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डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर, हेड, पल्मोनोलॉजी, सीके बिड़ला हॉस्पिटल, गुरुग्राम

अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानी जो इन्फेक्शन हमारे अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में हो. जैसे नाक, साइनस या गले में. अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होना बहुत आम है. इसके कई मरीज़ रोज़ सामने आते हैं. जैसे ही मौसम बदलता है, हवाएं चलती हैं, बारिश होती है, वैसे ही नाक और गले में इन्फेक्शन होने लगता है. अगर इन्फेक्शन गले में हो तो इसे फैरिंजाइटिस कहते हैं. साइनसेज़ में हो तो इसे साइनोसाइटिस कहते हैं. अगर नाक में इन्फेक्शन हो तो इसे राइनाइटिस कहते हैं. अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन बच्चों, महिलाओं और क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ के पेशेंट्स में ज़्यादा होता है. 

अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के लक्षण

अगर इन्फेक्शन गले में होगा तो चबाने और निगलने में परेशानी होगी. अगर ये नाक से जुड़ा होगा तो सांस लेने में दिक्कत आएगी. वहीं अगर साइनसेज़ में होगा तो गालों में दर्द होगा. साथ ही, बहुत ज़्यादा सिरदर्द होगा. रात के समय ये दर्द बढ़ जाएगा. वहीं अगर वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन हुआ तो बहुत तेज़ बुखार होगा.

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ज़्यादातर अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन वायरल ही होते हैं (सांकेतिक तस्वीर)
बचाव और इलाज

अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की शुरुआत में एंटीबायोटिक्स का कोई रोल नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये इन्फेक्शन ज़्यादातर वायरल ही होते हैं. हालांकि, अगर 48 या 72 घंटों के बाद भी अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन ठीक न हो और लगातार तेज़ बुखार रहे तब एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं. यानी पैरासिटामोल के साथ एंटीबायोटिक और डिकंजेस्टेन्ट भी देनी है. 70 से 80 फ़ीसदी मामलों में नेज़ल डिकंजेस्टेन्ट दी जाती है ताकि नाक की कोशिकाएं खुल जाएं. 

मरीज़ के लिए स्टीम लेना भी ज़रूरी है. साथ ही, पानी भी खूब पिएं. हम जितना हाइड्रेटेड रहेंगे, उतना ही हमारा अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट सिस्टम ठीक रहेगा. वहीं ठंडी चीज़ों से हमें थोड़ा बचाव करना है. जैसे एसी की ठंडी हवा, ठंडी कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम. अगर अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में वायरल इन्फेक्शन  हो तो बचाव बहुत ज़रूरी है. लगभग 60 से 70 परसेंट मामलों में ये वायरल इन्फेक्शन ही होता है. जो पैरासिटामोल और सिट्राजिन जैसी दवाओं से ठीक हो जाता है. लेकिन, अगर ये फिर भी ठीक न हो तब एंटीबायोटिक दी जाती है. 

साथ ही, नेज़ल डिकंजेस्टेंट और नेज़ल स्प्रे भी दिया जाता है. ये इन्फेक्शन को ठीक करने में काफी मददगार हैं. अगर हम अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से खुद को बचा लेते हैं, तो 90 फ़ीसदी तक हमें लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन नहीं होता. डॉक्टर के पास जाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती. लेकिन अगर 5 से 7 दिनों के बाद भी इन्फेक्शन ठीक न हो. तब हमें डॉक्टर के पास जाकर इलाज कराना पड़ता है. अगर हमारा अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन ठीक नहीं होगा, तो हम काम भी नहीं कर पाएंगे क्योंकि हमें सांस लेने में परेशानी आएगी. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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