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कीमोथेरेपी की वजह से एक्ट्रेस हिना खान को हुआ म्यूकोसाइटिस! जानिए क्या है ये बीमारी

'म्यूकोसाइटिस' कीमोथेरेपी का एक साइड इफेक्ट है. कैंसर के मरीज़ों में ये बीमारी होना बहुत ही आम है.

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tv actress hina khan suffering from mucositis know why is it common in cancer patients
एक्ट्रेस हिना खान स्टेज-3 ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं
13 सितंबर 2024 (Updated: 13 सितंबर 2024, 14:41 IST)
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टीवी एक्ट्रेस हिना खान स्टेज-थ्री ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं. इन दिनों उनका इलाज चल रहा है. वो कीमोथेरेपी करा रही हैं. अपनी सेहत से जुड़े अपडेट्स वो लगातार सोशल मीडिया पर अपने फैन्स के साथ शेयर करती रहती हैं. हाल-फ़िलहाल में उन्होंने एक नई जानकारी शेयर की. कीमोथेरेपी की वजह से उनको एक और बीमारी हो गई है.

एक सोशल मीडिया पोस्ट में हिना खान ने बताया कि उन्हें म्यूकोसाइटिस हो गया है. ये कीमोथेरेपी का एक साइड इफेक्ट है. इस दिक्कत की वजह से उन्हें कुछ भी खाने में बहुत परेशानी हो रही है.  

hina khan instagram
एक्ट्रेस हिना का इंस्टाग्राम पोस्ट

म्यूकोसाइटिस क्या है और ये क्यों होता है? इसके बारे में हमने जाना डॉक्टर रमन नारंग से.

raman narang
डॉ. रमन नारंग, सीनियर कंसल्टेंट, ऑन्कोलॉजी, एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल, सोनीपत

डॉक्टर रमन बताते हैं कि कई बार कैंसर के इलाज के दौरान डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के कुछ सेल्स को नुकसान पहुंचता है. डाइजेस्टिव ट्रैक्ट यानी वो अंग जो खाना निगलते, पचाते, सोखते और शरीर से बाहर निकालते हैं. ऐसी सिचुएशन में, डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में मौजूद सेल्स अल्सर और इंफेक्शन के प्रति काफ़ी सेंसेटिव हो जाते हैं. इससे मुंह से लेकर आंतों तक नुकसान पहुंचता है. सूजन आ जाती है. अल्सर हो जाता है. इसे ही म्यूकोसाइटिस कहते हैं.

वैसे तो म्यूकोसाइटिस पूरे डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में कहीं पर भी हो सकता है. लेकिन, सबसे ज़्यादा ये मुंह में ही होता है. इससे मरीज़ का खाना-पीना मुहाल हो जाता है. म्यूकोसाइटिस होने पर मुंह और मसूड़े लाल पड़ जाते हैं. उनमें सूजन आ जाती है. मुंह में खून आने लगता है. लार गाढ़ी हो जाती है. मुंह सूखा-सूखा लगता है. मुंह, मसूड़ों या जीभ पर घाव हो जाते हैं. कुछ भी खाने, निगलने या बोलने में बहुत दिक्कत होती है. मुंह और गले में दर्द होने लगता है. खाना खाते समय हल्की जलन भी होती है.

oral health
कैंसर के मरीज़ों को अपनी ओरल हेल्थ का बहुत ध्यान रखना चाहिए

अगर म्यूकोसाइटिस के दौरान मुंह की सफाई का ध्यान न रखा जाए, तो फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है. इससे मुंह में सफेद धब्बे हो जाते हैं. साथ ही, पस भी बन सकता है. जिसकी वजह से मुंह से बदबू आती है. आमतौर पर कीमोथेरेपी शुरू होने के एक हफ्ते बाद, या रेडियोथेरेपी शुरू होने के दो हफ्ते बाद म्यूकोसाइटिस के लक्षण दिखने लगते हैं.

वहीं अगर मरीज़ की डेंटल हेल्थ खराब है. वो तंबाकू, सिगरेट या शराब का सेवन करता है. पानी कम पीता है. उसका वज़न, उसकी हाइट के हिसाब से कम है. यानी लो बॉडी मास इंडेक्स है. किडनी की कोई बीमारी, डायबिटीज़, HIV या AIDS है. और, साथ ही उसका कैंसर का इलाज चल रहा है. तो म्यूकोसाइटिस होने का चांस बढ़ जाता है. या अगर पहले से है, तो वो गंभीर हो जाता है.

ice cream
म्यूकोसाइटिस के मरीज़ों को ठंडी और सॉफ्ट चीज़ें खाने के लिए कहा जाता है
इसका इलाज क्या है? 

डॉक्टर रमन कहते हैं कि म्यूकोसाइटिस अस्थाई बीमारी है. हमेशा नहीं रहती. कैंसर का इलाज खत्म होने के कुछ हफ्तों बाद ये भी ठीक हो जाती है. म्यूकोसाइटिस के इलाज के लिए इसके लक्षणों को दूर किया जाता है. इसके लिए दर्द दूर करने वाली और दूसरी ज़रूरी दवाइयां दी जाती हैं. ड्राई माउथ से बचने के लिए स्प्रे दिया जाता है. सॉफ्ट टूथब्रश, एंटीसेप्टिक माउथवॉश इस्तेमाल करने को कहा जाता है. साथ ही, ठंडी चीज़ें खाने-पीने को भी कहा जाता है. जैसे आइसक्रीम, योगर्ट, पॉपसिकल्स और स्मूदीज़. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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