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किडनी डायलिसिस के मरीज़ अपनी ज़िंदगी कैसे नॉर्मल बना सकते हैं?

किडनी डायलिसिस की ज़रूरत तब पड़ती है, जब किडनी काम न कर रही हो. ऐसे में ज़रूरी है कि ये नौबत ही न आने दी जाए. अपनी किडनी और पूरे शरीर का ख्याल रखने के लिए हेल्दी डाइट लीजिए.

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kidney acts as a filter for our body
किडनी हमारे शरीर की छन्नी है.
29 अगस्त 2024 (Updated: 30 अगस्त 2024, 14:54 IST)
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किडनी हमारे शरीर की छन्नी है. शरीर में जितनी भी गंदगी होती है, जो कचरा होता है, उसे साफ करने का काम किडनी का ही है. ये बिना रुके खून की सफाई करती है. जो गंदगी होती है, उसे यूरिन के ज़रिए शरीर से बाहर निकाल देती है. अब अगर किडनी खून छानना बंद कर दे, तो ये गंदगी शरीर में ही रह जाएगी. फिर क्या होगा? हम बार-बार बीमार पड़ेंगे और शरीर बीमारियों का घर बन जाएगा. यही नहीं, शरीर के बाकी अंग भी ख़राब होने लगेंगे.

कई बार कुछ बीमारियों की वजह से किडनी अपना काम ठीक तरह नहीं कर पाती. यानी वो अपने दम पर खून की सफ़ाई नहीं कर पाती. ऐसे में ज़रूरत पड़ती है बाहरी मदद की, जिसे कहते हैं डायलिसिस. ऐसे में डॉक्टर से जानेंगे किडनी डायलिसिस क्या होता है? इसकी ज़रूरत किन लोगों को पड़ती है? किडनी डायलिसिस कैसे होता है? किसी पेशंट में किडनी डायलिसिस आखिर कब तक चलता है? और किडनी डायलिसिस के पेशंट्स अपनी ज़िंदगी कैसे नॉर्मल बना सकते हैं?

किडनी डायलिसिस क्या होता है?
ये हमें बताया डॉक्टर हिमांशु वर्मा ने.

डॉ. हिमांशु वर्मा, कंसल्टेंट, वैस्कुलर सर्जरी, फोर्टिस, गुरुग्राम
डॉ. हिमांशु वर्मा, कंसल्टेंट, वैस्कुलर सर्जरी, फोर्टिस, गुरुग्राम

- शरीर को घर की तरह देखें तो किडनी उसकी हाउस हेल्पर है.

- किडनी का काम शरीर की गंदगी साफ करते हुए उसे बाहर निकालना है.

- अगर गंदगी बाहर नहीं निकलती तो धीरे-धीरे हमारे शरीर में कचरा इकट्ठा होने लगता है.

- इससे कई सारी बीमारियां हो सकती हैं.

- इसलिए कई बार डायलिसिस किया जाता है.

- हीमोडायलिसिस वो प्रक्रिया है जिसमें शरीर से खून को बाहर निकाला जाता है.

- फिर डायलिसिस मशीन में उसे साफ करके वापस शरीर में डाल दिया जाता है.

किडनी डायलिसिस की ज़रूरत किन लोगों को पड़ती है?

- जिन मरीज़ों की किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी है, उन्हें इसकी ज़रूरत पड़ती है.

- जैसे डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन के कुछ मरीज़ों की किडनी कई बार पूरी तरह खराब हो जाती है.

- उनमें रेगुलर डायलिसिस की ज़रूरत पड़ती है.

- कभी-कभी दूसरी बीमारियों के चलते भी अचानक किडनी खराब हो जाती है.

- ऐसे में किडनी कुछ समय के लिए आराम पर चली जाती है.

- जैसे अगर किसी को बहुत गंभीर डायरिया हुआ.

- या ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया.

- तो कभी-कभी किडनी शटडाउन हो जाती है.

- इसे एक्यूट रीनल फेलियर कहते हैं.

- इन मरीज़ों को कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक डायलिसिस की ज़रूरत पड़ सकती है.

किडनी डायलिसिस कैसे होता है?

- किडनी डायलिसिस दो तरीके से होता है.

-हीमोडायलिसिस और पेरिटोनियल डायलिसिस.

- हीमोडायलिसिस का इस्तेमाल ज़्यादा होता है.

- इसमें आपके शरीर से खून निकाला जाता है.

- फिर उसे डायलिसिस की मशीन में डाला जाता है.

- ये मशीन खून को एक खास तरीके से साफ करती है.

- फिर इस साफ खून को वापस शरीर में डाल देती है.

- इस प्रक्रिया को करने के लिए गर्दन की एक नस का सहारा लिया जाता है.

- हालांकि ये एक शॉर्ट-टर्म सॉल्यूशन है.

- अब जिन मरीज़ों को ज़िंदगी भर डायलिसिस की ज़रूरत पड़ती है.

- उनके हाथों में एक सर्जरी की जाती है.

- इसे एवी फिस्टुला कहते हैं.

- एवी फिस्टुला में मरीज़ की आर्टरी (धमनी) को एक नस से जोड़ दिया जाता है.

- धीरे-धीरे ये नस बड़ी की जाती है.

- फिर जब इस नस में खून का तेज़ बहाव होता है.

- तब रेगुलर डायलिसिस किया जाता है.

- एक तरह से कह सकते हैं कि डायलिसिस के मरीज़ों के लिए एवी फिस्टुला उनकी लाइफलाइन है.

किडनी डायलिसिस कब तक चलता है?

- क्रॉनिक रीनल फेलियर में डायलिसिस ज़िंदगीभर चलता है.

- ऐसे मरीज़ों का या तो किडनी ट्रांसप्लांट होता है.

- या उन्हें हमेशा डायलिसिस की ज़रूरत पड़ती है.

- इन मरीज़ों को हफ्ते में दो या तीन बार डायलिसिस कराना होता है.

- अगर वो डायलिसिस नहीं कराएंगे तो उनके शरीर में एक्स्ट्रा पानी या टॉक्सिंस भर जाएंगे.

- जिससे किडनी की बीमारी के लक्षण गंभीर हो सकते हैं.

- यहां तक कि अगर ऐसे मरीज़ एक गिलास एक्स्ट्रा पानी भी पी लें तो उन्हें आईसीयू में भर्ती होना पड़ सकता है.

- आज के समय में डायलिसिस के मरीज़ों के लिए दो ही रास्ते हैं.

- या तो वो किडनी ट्रांसप्लांट कराएं या ज़िंदगी भर हीमोडायलिसिस पर रहें.

किडनी डायलिसिस के मरीज़ अपनी ज़िंदगी कैसे नॉर्मल बना सकते हैं?

- हर साल देश में लगभग दो लाख लोगों को हीमोडायलिसिस की ज़रूरत पड़ती है.

- इनमें 4 से 5 फीसदी लोगों का ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाता है.

- बाकी मरीज़ हीमोडायलिसिस पर ही रहते हैं.

- डायलिसिस करवाना कई बार लोगों को मौत की सजा लगती है.

- लेकिन, ये समझना होगा कि डायलिसिस जीवन का अंत नहीं है.

- बल्कि ये एक नई ज़िंदगी की शुरुआत है.

- अगर मरीज़ का रेगुलर डायलिसिस हो रहा है.

- उनका एवी फिस्टुला सही चल रहा है.

- वो नेफ्रोलॉजिस्ट की देखरेख में हैं.

- साथ ही, अपनी डाइट पर ध्यान दे रहे हैं, रोज़ एक्सरसाइज़ कर रहे हैं.

- तो, उनकी ज़िंदगी भी बाकी लोगों की तरह नॉर्मल हो सकती है.

किडनी डायलिसिस की ज़रूरत तब पड़ती है, जब वो काम न कर रही हो. ऐसे में ज़रूरी है कि ये नौबत ही न आने दी जाए. अपनी किडनी और पूरे शरीर का ख्याल रखने के लिए हेल्दी डाइट लीजिए. वो चीज़ें खाइए जिनमें एंटीऑक्सीडेंट्स हों ताकि आपकी किडनी लगातार साफ़ होती रहे. इसके लिए आप सेब, बेरीज़, शकरकंद और खट्टे फल खा सकते हैं. पानी खूब पीजिए. शराब से दूरी बना लीजिए. और हां, कभी भी यूरिन बहुत देर के लिए मत रोकिए. इससे किडनी पर असर पड़ता है. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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