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कंधे, कोहनी या कूल्हे की हड्डी उखड़ गई है तो ऐसे होगी ठीक, बचने का तरीका भी जान लीजिए

How to Fix Joint Dislocation: जब दो हड्डियां आपस में जुड़ती हैं तो उनकी एक बनावट तैयार होती है. ये बनावट उन्हें मूवमेंट के दौरान स्थिरता देती है.

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What is joint dislocation and how to fix it
जॉइंट डिसलोकेशन में असहनीय दर्द होता है.
18 अक्तूबर 2024 (Published: 13:49 IST)
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क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है: दौड़ते-भागते घुटना खिसक गया. भारी सामान उठाते हुए कंधा उखड़ गया. अंग्रेज़ी में इसे कहते हैं Joint Dislocation. यानी किसी जोड़ का अपनी जगह से खिसक जाना. इसमें भयानक दर्द होता है. Athletes में ये होना बहुत ही आम है. जो लोग बहुत स्पोर्ट्स खेलते हैं, उनमें ये काफ़ी होता है. तेज़ चोट लगने पर भी हड्डी उखड़ जाती है. लेकिन, कई बार बिना किसी ख़ास वजह भी जॉइंट डिसलोकेट हो जाता है.

ऐसे में आज डॉक्टर साहब से समझिए कि ये जॉइंट डिसलोकेशन क्या होता है? ये क्यों होता है? जॉइंट डिसलोकेशन के लक्षण क्या हैं. और, इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए. 

जॉइंट डिसलोकेशन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर मयंक पाठक ने.

dr mayank pathak
डॉ. मयंक पाठक, कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स, मणिपाल हॉस्पिटल, पुणे

जॉइंट डिसलोकेशन दो शब्दों से मिलकर बना है, जॉइंट और डिसलोकेशन. किसी भी जॉइंट का मतलब है, दो चीज़ों का आपस में जुड़ना. जब दो हड्डियां आपस में जुड़ती हैं तो उनकी एक बनावट तैयार होती है. ये बनावट उन्हें मूवमेंट के दौरान स्थिरता देती है. जैसे हमारी उंगली में तीन जॉइंट हैं. जब ये जॉइंट मूव करते हैं तो इनकी बनावट इन्हें स्थिरता प्रदान करती है. अब अगर ये जॉइंट अपनी जगह से हट जाए तो इसे जॉइंट डिसलोकेशन कहा जाएगा. 

जॉइंट डिसलोकेशन क्यों होता है?

जॉइंट डिसलोकेशन होने की सबसे बड़ी वजह ट्रॉमा (कोई चोट) है. जब कोई बाहरी दबाव हमारे जॉइंट की ताकत से ज़्यादा हो जाता है तो जॉइंट अपनी जगह से हट जाता है. फिर वो जॉइंट ठीक से काम नहीं कर पाता. जैसे अगर हाथ के जॉइंट्स पर बहुत ज़्यादा ताकत लगाई जाए तो वो स्थिर नहीं रह पाएंगे और अपनी जगह से अलग हो जाएंगे. जॉइंट डिसलोकेशन ज़्यादातर बड़े जॉइंट्स में ही होता है. जैसे कंधे, कोहनी, घुटने और कूल्हे में. वहीं छोटे जॉइंट्स में स्थिरता काफी ज़्यादा होती है. उनमें बहुत कम डिसलोकेशन देखने को मिलता है.

joint dislocation
जॉइंट डिसलोकेशन होने पर कंधे या कोहनी का मूवमेंट नहीं हो पाता
जॉइंट डिसलोकेशन के लक्षण

जॉइंट डिसलोकेशन में असहनीय दर्द होता है. जॉइंट सही से काम नहीं कर पाता. कंधे या कोहनी का मूवमेंट नहीं हो पाता. जिस भी जॉइंट में हड्डियां अपनी जगह से हटती हैं, उस जगह के आसपास नर्व्स और ब्लड वेसल्स पर दबाव पड़ता है. ऐसे में अगर नर्व पर दबाव पड़ा है, तो वहां कुछ महसूस नहीं होगा. वहीं अगर वेसल्स पर असर हुआ है तो खून के फ्लो पर असर पड़ेगा. हालांकि ये सारे लक्षण हर डिसलोकेशन में नहीं दिखते. ये ज़्यादातर उन्हीं जॉइंट्स में होता है, जिनके आसपास नर्व्स या वेसल्स होती हैं.

जॉइंट डिसलोकेशन से बचाव और इलाज

डिसलोकेशन से बचने के लिए जॉइंट की हेल्थ पर ध्यान देना होगा. इसके लिए स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करें. हेल्दी खाना खाएं. नॉर्मल रुटीन फॉलो करें. इन सबसे जॉइंट की हेल्थ अच्छी रहती है और उसमें डिसलोकेशन का चांस नहीं होता. हालांकि बहुत ज़्यादा दबाव पड़ने पर डिसलोकेशन हो जाता है. आप जितना जल्दी डिसलोकेशन का इलाज कराएंगे, उतना बेहतर होगा. जॉइंट डिसलोकेशन होने पर तुरंत किसी ऑर्थोपेडिक सर्जन से मिलें. वो कुछ एक्सरे करेंगे और फिर आगे का इलाज बताएंगे. 

आमतौर पर, जॉइंट डिसलोकेशन के 90 फीसदी मामलों में सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ती है. सिर्फ 10 फीसदी मामलों में माइनर सर्जरी की आवश्यकता होती है. वहीं केवल 1 फीसदी से कम मामलों में ही कॉम्प्लिकेशंस होते हैं. ऐसा होने पर लंबे वक्त तक इलाज की ज़रूरत पड़ती है. इसलिए, जितना जल्दी हो सके, जॉइंट डिसलोकेशन का इलाज करा लें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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