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ऑफिस जाने वाले कई लोग High Functioning Depression में, आज जानें ये है क्या

हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति रोज़ाना के काम बड़े आराम से करता है. लेकिन, अंदर ही अंदर वो घुट रहा होता है.

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what is high functioning depression know its symptoms and treatment
हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानना ज़रूरी है (सांकेतिक तस्वीर)
9 सितंबर 2024 (Published: 22:33 IST)
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जब भी हम डिप्रेशन शब्द सुनते हैं तो दिमाग में एक तस्वीर आती है. एक अंधेरा कमरा. जिसमें एक इंसान चुपचाप बैठा हुआ है. दुखी. किसी से बात करना उसे पसंद नहीं. बिस्तर से उठना मुश्किल है. रो रहा है. खुद को संवारना, नहाना-धोना, बाल बनाना- इन सबसे उसे कोई मतलब नहीं. भूख मर चुकी है. मुस्कुराहट गायब है. वो बस शून्य में देख रहा है.

ये डिप्रेशन की वो छवि है जो हमारे दिमाग में गढ़ दी गई है. लेकिन, क्या वाकई डिप्रेशन ऐसा होता है? जवाब है, नहीं. डिप्रेशन हमेशा ऐसा नहीं होता.

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डिप्रेशन का हर प्रकार एक जैसा नहीं होता (सांकेतिक तस्वीर)

डिप्रेशन का एक प्रकार वो भी है जिसमें इंसान सुबह उठता है. नाश्ता करता है. तैयार होता है. ऑफिस जाता है. वहां काम करता है. अपनी डेडलाइन्स पूरी करता है. कलीग्स से गप लड़ाता है. हंसता है. मुस्कुराता है. सबसे दिल खोलकर मिलता है. मगर जब वो वापस घर लौटता है तो उस पर उदासी हावी हो जाती है. मन का खालीपन उसे कचोटने दौड़ता है. अंदर ही अंदर वो उलझता है. परेशान हो जाता है. हर वक्त असहज महसूस करता है. न उसकी कोई हॉबी है. न ही उसे काम और जिम्मेदारियों से इतर किसी चीज़ में दिलचस्पी है. पर वो ये सब न दिखाता है. न किसी को बताता है. उसके आसपास किसी को अंदाज़ा नहीं होता कि वो डिप्रेशन से जूझ रहा है. इसे कहते हैं हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन. 

बहुत सारे लोग ‘हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन’ से जूझ रहे हैं. लेकिन, इसे पहचानना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि काम नहीं रुकता. मुंह पर एक प्लास्टिक स्माइल चिपकी रहती है. हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन पर बात होना ज़रूरी है और आज हम यही करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन क्या होता है. इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचाव और इलाज कैसे किया जाए.

हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर शांभवी जैमन ने. 

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डॉ. शांभवी जैमन, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, फोर्टिस, गुरुग्राम

हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन एक मानसिक स्थिति है. इसका असर हमारी ज़िंदगी पर उतना ही गहरा होता है, जितना नॉर्मल डिप्रेसिव डिसऑर्डर यानी डिप्रेशन का. लिहाज़ा हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन के बारे में जानना और इसे पहचानना बहुत ज़रूरी है. जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन में व्यक्ति को अपने काम करने, ज़िम्मेदारी पूरी करने और रिश्ते निभाने में उतनी दिक्कत नहीं आती, जितना डिप्रेशन में आती है. लेकिन ऐसे व्यक्ति भावनात्मक रूप से बहुत असहज महसूस करते हैं. उनकी मानसिक स्थिति किसी डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति जैसी ही होती है.

high functioning depression
हाई फंक्शनिंग डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति हमेशा खालीपन महसूस करता है (सांकेतिक तस्वीर)
हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन के लक्षण

- लगातार उदासी महसूस करना

- हमेशा चिंतित रहना

- खालीपन महसूस होना

- नाउम्मीद हो जाना

- हालांकि हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन से पीड़ित लोग इन लक्षणों को बाहर नहीं आने देते, उन्हें छिपाकर रखते हैं.

- यानी किसी इंसान को ऑब्ज़र्व करके, देखकर या थोड़ी-सी बात करके ये पता लगाना बहुत मुश्किल है कि उसे हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन है या नहीं.

हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन से बचाव और इलाज

हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानना बहुत ज़रूरी है. अगर ये लक्षण किसी को लगातार महसूस होते रहें तो ज़िंदगी में बहुत दिक्कतें आने लगती हैं. व्यक्ति खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में भी सोचने लगता है इसलिए इसको पहचानना उतना ही ज़रूरी है जितना डिप्रेशन को. हाई-फंक्शनिंग डिप्रेशन को पहचानने के बाद इलाज भी ज़रूरी है. इसके इलाज के लिए किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलें और अपना इलाज कराएं. आप किसी साइकोलॉजिस्ट या साइकेट्रिस्ट से भी मिल सकते हैं.

जब आप किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल के पास जाएंगे तो वो आपको अलग-अलग थेरेपी देंगे. आपसे बात करेंगे. समझेंगे कि आखिर दिक्कत कहां है और आपकी परेशानी कैसे दूर की जा सकती है. वैसे तो कई लोग थेरेपी से ठीक हो जाते हैं. लेकिन, ज़रूरत पड़ी तो आपको कुछ दवाइयां भी दी जाएंगी. इसलिए ज़रूरी है आप एक अच्छे मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहतः कैंसर फैलाने में जीन्स का क्या रोल है? डॉक्टर से जानिए

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