वजन घटते ही पीरियड साइकिल गड़बड़ा गई? डॉक्टर ने बताया सही कैसे करें
आमतौर पर एक पीरियड साइकिल 23 से 35 दिनों के बीच होती है. लेकिन, कई बार वेट लॉस होने पर पीरियड्स के आने-जाने का कोई फिक्स टाइम नहीं रह जाता.
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है? आपने अचानक से वज़न घटाया और उसके बाद आपकी पीरियड साइकिल गड़बड़ा गई? पीरियड मिस होने लगे या लंबे चलने लगे?
आमतौर पर एक पीरियड साइकिल 23 से 35 दिनों के बीच होती है. लेकिन, कई बार वेट लॉस होने पर पीरियड्स के आने-जाने का कोई फिक्स टाइम नहीं रह जाता. ये अपनी मर्ज़ी के मालिक हो जाते हैं, लेकिन ऐसा क्यों? आखिर वेट लॉस होने पर हमारी पीरियड साइकिल डिस्टर्ब क्यों हो जाती है? ये हमने पूछा डॉक्टर नैंसी नागपाल से.
डॉक्टर नैंसी बताती हैं कि हमारी मेंस्ट्रुअल साइकिल को एस्ट्रोजन नाम का हॉर्मोन कंट्रोल करता है. वैसे तो ये हॉर्मोन ओवरी में बनता है. लेकिन, शरीर के फैट सेल्स भी थोड़ी मात्रा में एस्ट्रोजन बनाते हैं. ऐसे में जब शरीर से फैट कम होता है. तब एस्ट्रोजन का लेवल भी कम हो जाता है. इससे हमारे पीरियड्स अनियमित होने लगते हैं. कई बार एमेनोरिया (Amenorrhea) भी हो जाता है. एमेनोरिया होने पर पीरियड्स एक से ज़्यादा बार मिस होने लगते हैं.
इसी तरह, जब आप वेट लॉस के लिए डाइटिंग करते हैं. जमकर एक्सरसाइज़ करते हैं. पसीना बहाते हैं. तब शरीर इन बदलावों को स्ट्रेस की तरह देखता है. इस स्ट्रेस से निपटने के लिए वो शरीर की एनर्जी बचाने में लग जाता है ताकि एनर्जी का इस्तेमाल सिर्फ बहुत ज़रूरी कामों के लिए हो. जैसे सांस लेने में, खाना पचाने में. इस वजह से पीरियड्स के लिए ज़रूरी हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन कम हो जाता है और पीरियड्स लेट हो जाते हैं.
वैसे सिर्फ फिज़िकल स्ट्रेस ही नहीं, इमोशनल स्ट्रेस से भी पीरियड्स लेट होते हैं. देखिए, हमारे दिमाग में हाइपोथैलेमस के नीचे पिट्युटरी ग्लैंड होता है. ग्लैंड यानी ग्रंथि. इस ग्लैंड से रीप्रोडक्टिव हॉर्मोन निकलते हैं. महिलाओं में, ये हॉर्मोन्स रिलीज़ होकर सीधे ओवरी को मैसेज देते हैं. इसके बाद ओवरी हर महीने एक अंडा रिलीज करती है. और हमें पीरियड्स आते हैं. लेकिन, अगर महिला तनाव में है, तो हॉर्मोन्स टाइम पर रिलीज नहीं हो पाते. जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल बिगड़ जाती है.
डॉक्टर नैंसी आगे बताती हैं कि अगर आप वेट लॉस के लिए डाइट पर हैं और उस डाइट में पर्याप्त पोषण नहीं हैं. ज़रूरी विटामिंस और मिनरल्स की कमी है. जैसे आयरन और कैल्शियम. तो भी पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं.
कई बार वेट लॉस की वजह से एनोवुलेशन (Anovulation) की दिक्कत भी हो जाती है. एनोवुलेशन होने पर ओवरी अंडा रिलीज़ नहीं करती. जिससे पीरियड्स भी नहीं आते. इसी तरह, इर्रेगुलर ओवुलेशन (Irregular ovulation) भी हो सकता है. माने कभी अंडा रिलीज़ होता है, कभी नहीं होता.
कई बार ऐसा भी होता है कि पीरियड्स तो टाइम पर आते हैं. लेकिन कभी ब्लीडिंग कम होती है. तो कभी बहुत ज़्यादा. इसी तरह कई बार पीरियड्स 2-3 दिन में ही खत्म हो जाते हैं. तो, कभी 8-9 दिन तक चलते रहते हैं.
अब बात आती है कि पीरियड साइकिल नॉर्मल कैसे रखें? अचानक से बहुत ज़्यादा वेट लॉस न करें. वज़न धीरे-धीरे घटाएं. ये टिकेगा भी और आपकी हेल्थ भी अच्छी रहेगी. साथ ही, अपनी डाइट का ध्यान रखें. हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज खाएं. प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें. मीठा और तला-भुना खाना कम से कम खाएं. खुद को हाइड्रेट रखें, रोज़ 2 से 3 लीटर पानी ज़रूर पिएं और अच्छी नींद लें.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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