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बाबा सिद्दीकी के मर्डर के आरोपी ने नाबालिग होने की बात कही, इस टेस्ट से पकड़ा गया झूठ

कई आपराधिक मामलों में पुलिस ‘बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट' का सहारा लेती है. इसमें किसी व्यक्ति की कुछ खास हड्डियों का X-Ray किया जाता है.

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बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट.
15 अक्तूबर 2024 (Updated: 15 अक्तूबर 2024, 15:25 IST)
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NCP नेता Baba Siddique की 12 अक्टूबर की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस घटना को अंजाम दिया तीन आरोपियों ने. उसमें से एक ने खुद को नाबालिग बताया. यानी 18 साल से कम. आरोपी वाकई नाबालिग है या नहीं, ये कन्फर्म करने के लिए पुलिस ने एक ‘खास टेस्ट’ किया. इस टेस्ट का नाम है ‘बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट' (Bone Ossification Test ). इस टेस्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया. पता चला आरोपी बालिग है.

कई आपराधिक मामलों में पुलिस ‘बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट' का सहारा लेती है. इसमें किसी व्यक्ति की कुछ खास हड्डियों का X-Ray किया जाता है. फिर उसके बाद अंदाज़ा लगाया जाता है कि वो कितने साल का है.

लेकिन, हमारी हड्डियों से उम्र का पता कैसे चलता है? ये हमने पूछा डॉक्टर गौरव से.

dr gaurav prakash bhardwaj
डॉ. गौरव प्रकाश भारद्वाज, डायरेक्टर, जॉइंट प्रिज़रवेशन एंड रिप्लेसमेंट सर्जरी, पीएसआरआई हॉस्पिटल

डॉक्टर गौरव कहते हैं कि बचपन से लेकर टीनएजर होने तक हमारी हड्डियों का लगातार विकास होता है. इसे ऑसिफिकेशन (Ossification) कहते हैं. दरअसल, बच्चों और टीनएजर्स की हड्डियों में ग्रोथ प्लेट्स (Growth Plates) होती हैं. ये ग्रोथ प्लेट्स लंबी हड्डियों के आखिर में होती हैं. इन्हीं ग्रोथ प्लेट्स में नई हड्डियों के टिशूज़ बनते हैं. जिनसे हड्डियों की लंबाई और उनका आकार तय होता है.

growth plates
ग्रोथ प्लेट्स हड्डियों के आखिर में होती हैं

ऑसिफिकेशन के दौरान, हड्डियों में कैल्शियम और फॉस्फोरस जमा होता रहता है. जिससे वो सख्त हो जाती हैं. फिर जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, ऑसिफिकेशन का प्रोसेस धीमा होता जाता है. इससे हड्डियां भी बढ़ना बंद हो जाती हैं. वो नाज़ुक होने लगती हैं. फिर उनमें फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है.

अब आपकी हड्डियों का कितना विकास हुआ है. कितनी हड्डियां एक-दूसरे से जुड़ गई हैं. इस आधार पर व्यक्ति की उम्र का अंदाज़ा लगाया जाता है. ये अंदाज़ा ऑसिफिकेशन टेस्ट के ज़रिए लगता है.

collar bone and sternum
कॉलर बोन और स्टर्नम हड्डी

इस टेस्ट में शरीर की कुछ खास हड्डियों, जैसे कॉलर बोन, स्टर्रनम और पेल्विस का एक्स-रे किया जाता है. देखा जाता है कि इन हड्डियों की कितनी ग्रोथ हुई है. अब सवाल उठता है कि यही हड्डियां क्यों चुनी जाती हैं?

डॉक्टर गौरव कहते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ सबसे ज़्यादा बदलाव इन्हीं हड्डियों में आता है. और, इसीलिए इन्हें चुना जाता है. ये हड्डियां एक निश्चित उम्र आने पर सख्त हो जाती हैं. फिर उनका विकास रुक जाता है. इसी से उम्र का अंदाज़ा लगाया जाता है.

देखिए, व्यक्ति की उम्र पता करने के लिए बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट तो खूब किए जाते हैं. मगर ये फूलप्रूफ तरीका नहीं है. किसी बीमारी, चोट या कुपोषण की वजह से हड्डियों का विकास प्रभावित हो सकता है. इसलिए सटीक उम्र बता पाना मुश्किल हो जाता है. हालांकि, इन सबके बावजूद बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट बहुत कारगर है.

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