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मरने के बाद कैसे सड़ता है शरीर, कौन-सा अंग सबसे देर तक ज़िंदा रहता है?

सबसे पहले व्यक्ति का वॉइस बॉक्स और सांस की नली सड़नी शुरू होती है. हमारी हड्डियां सबसे आखिरी में गलती हैं.

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How quickly does a body change after death and which organ live after death
मरने के बाद शरीर में कई बदलाव आते हैं
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अदिति अग्निहोत्री
15 अक्तूबर 2024 (Updated: 15 अक्तूबर 2024, 16:11 IST)
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मरने के बाद क्या होता है? हमारी आत्मा कहां जाती है? हमें स्वर्ग मिलेगा या नर्क? क्या भगवान भी दिखेंगे हमें? या फिर नर्क के दूत डराएंगे? ये वो 3am thoughts हैं. जो हमें कभी न कभी आते ही हैं. खैर, अब आत्मा के साथ क्या होता है, ये तो हमें नहीं पता. लेकिन, ये ज़रूर पता है कि शरीर के साथ क्या होता है.

जब दिल धड़कना बंद करता है. सांसें थम जाती हैं. खून का फ्लो रुक जाता है. तब शरीर में कई बदलाव आते हैं. धीरे-धीरे हमारे अंग काम करना बंद कर देते हैं. शरीर सड़ने लगता है. लेकिन, इसका पूरा प्रोसेस क्या है? ये आज हम डॉक्टर से समझेंगे. जानेंगे कि मरने के बाद शरीर में क्या होता है. उसमें कैसे-कैसे बदलाव होते हैं. और, मरने के बाद शरीर का कौन-सा अंग कितनी देर तक ज़िंदा रहता है. 

मरने के बाद शरीर में क्या होता है?

ये हमें बताया डॉक्टर प्रतीक चौधरी ने. 

dr. prateek chaudhary
डॉ. प्रतीक चौधरी, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी, एशियन हॉस्पिटल

मरने के बाद कुछ बदलाव तुरंत दिखाई देते हैं. जैसे मनुष्य का निष्क्रिय हो जाना. बाहरी चीज़ों, जैसे दर्द या आवाज़ पर कोई प्रतिक्रिया न देना. सांसों का चलना रुक जाना. खून का फ्लो बंद हो जाना. 

इसके बाद शरीर में कुछ और बदलाव भी होते हैं. जैसे मनुष्य का शरीर धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगता है. ये तब तक ठंडा होता है, जब तक रूम टेम्परेचर पर न पहुंच जाए. ज़्यादातर मामलों में टेम्परेचर गिरने की ये स्पीड 1 से 1.5°F प्रति घंटा होती है. दिल धड़कना बंद होने के साथ ही खून का फ्लो रुक जाता है. 

साथ ही, हमारी हीट का फ्लो भी रुक जाता है और स्किन ठंडी पड़ने लगती है. इसके बाद मनुष्य का शरीर थोड़ा पीला या ज़्यादा सफेद दिखने लगता है. दरअसल, खून का फ्लो बंद होने के बाद स्किन के नीचे मौजूद कैपिलरीज़ (सबसे छोटी ब्लड वेसल्स) में खून नहीं पहुंच पाता. इस वजह से हमारा शरीर पीला या ज़्यादा सफेद दिखने लगता है.

मरने के कुछ समय बाद मांसपेशियां एकदम ढीली पड़ जाती हैं. आंखों के ऊपर धुंधलापन आने लगता है. मनुष्य की पुतलियां रोशनी को देखकर प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं. आंखें भी धंसी हुई नज़र आती हैं क्योंकि मरने के बाद आंखों का प्रेशर कम हो जाता है. शरीर धीरे-धीरे जकड़ने लगता है या सख्त होने लगता है. इसे रिगर मोर्टिस (Rigor mortis) कहते हैं. 

body turns blue after death
मरने के बाद व्यक्ति का शरीर नीला पड़ने लगता है

साथ ही, मनुष्य के रंग में भी बदलाव होने लगता है. मरने के बाद शरीर नीला पड़ जाता है. दरअसल दिल की धड़कन बंद होने के बाद जब खून का फ्लो रुक जाता है, तो वो नसों में वहीं थम जाता है. उसमें ऑक्सीज़न खत्म होने लगती है. खून थमने और ऑक्सीज़न खत्म होने की वजह से खून नीला पड़ जाता है. जिस वजह से मनुष्य का शरीर नीला दिखाई देता है. सफेद स्किन वालों में नीला रंग ज़्यादा स्पष्ट होता है. वहीं हल्के या गहरे रंग वालों में ये उतना ज़ाहिर नहीं होता.

ग्रैविटी की वजह से खून हमारे शरीर के निचले हिस्सों में इकट्ठा होने लगता है. अब अगर किसी की मौत सोते हुए हुई है तो खून शरीर के पिछले हिस्सों में जमा होने लगेगा. ऐसे में उस जगह पर स्किन ज़्यादा नीली-बैंगनी या लाल-बैंगनी दिखाई देगी. इसके बाद मनुष्य के शरीर का सड़ना (Body decomposition) शुरू होता है. इसके लिए विभिन्न हिस्सों को अलग-अलग समय लगता है.

सबसे पहले मनुष्य का वॉइस बॉक्स (larynx) और सांस की नली (trachea) सड़ना चालू होता है. फिर पेट, आंतें, पैंक्रियाज़ और स्प्लीन (तिल्ली) सड़ते हैं. इसके बाद लिवर और फेफड़े सड़ना शुरू होते हैं. फिर दिमाग, दिल, ब्लैडर और किडनी सड़ते हैं. इसके बाद, पुरुषों में प्रोस्टेट और महिलाओं में यूटेरस सड़ना शुरू होता है. फिर मांसपेशियां और टेंडन (मांसपेशियों को हड्डियों से जोड़ने वाला टिशू) सड़ते हैं. सबसे आखिरी में हमारी हड्डियां सड़ती हैं.

मरने के बाद शरीर का कौन-सा अंग कितनी देर तक ज़िंदा रहता है?

मरने के बाद शरीर के विभिन्न अंग कुछ समय तक ज़िंदा रहते हैं. दिमाग के सेल्स ऑक्सीज़न सप्लाई बंद होने के कुछ मिनटों के भीतर मर जाते हैं. दिल 4 से 6 घंटे तक जीवित रहता है. फेफड़े 4 से 8 घंटे तक ज़िंदा रहते हैं. लिवर और पैनक्रियाज़ 12 से 18 घंटे तक जीवित रह सकते हैं. आंतें 8 से 16 घंटे तक जिंदा रहती हैं. किडनी 24 से 36 घंटे तक ज़िंदा रह सकती है. वहीं स्किन, टेंडन और कॉर्निया (आंखों के ऊपर एक परत) मरने के एक दिन बाद तक जीवित रहती है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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