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फैटी लिवर में ऐसे धीरे-धीरे खराब होता है लिवर, डॉक्टर ने बताए बचाव के तरीके

Fatty Liver (फैटी लिवर) तब होता है, जब लिवर में फैट की मात्रा बढ़ जाती है. इसके तीन ग्रेड होते हैं और तीसरा ग्रेड सबसे खतरनाक है. क्या होता है? क्यों होता है? और कैसे इससे बचें? सब जानिए डॉक्टर से.

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Fatty liver grades symptoms causes treatments and more
फैटी लिवर यानी लिवर में फैट जम जाना.
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अदिति अग्निहोत्री
16 अक्तूबर 2024 (Updated: 16 अक्तूबर 2024, 14:53 IST)
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Fatty Liver आजकल की बड़ी ही आम समस्या है. इसमें हमारे शरीर का एक्स्ट्रा फैट लिवर पर जमा हो जाता है. इससे लिवर के काम करने की क्षमता घटने लगती है. अब अगर फैटी लिवर का टाइम पर इलाज न हो. इसे इग्नोर कर दिया जाए तो लिवर फेल होने के चांस बढ़ जाते हैं.

लेकिन, लिवर एक दिन में फेल नहीं होता. कैंसर की ही तरह इसमें भी स्टेजेस होते हैं. हां, बस इन्हें स्टेज नहीं, ग्रेड कहा जाता है. आज हम फैटी लिवर के इन्हीं ग्रेड्स पर बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि फैटी लिवर के कितने ग्रेड होते हैं. हर ग्रेड का मतलब क्या है. और, इनका इलाज कैसे किया जाए.

फैटी लिवर और उसके ग्रेड

इस बारे में हमें बताया डॉक्टर सचिन चक्रवर्ती ने.

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डॉ. सचिन चक्रवर्ती, कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, उजाला सिग्नस सेंट्रल हॉस्पिटल, हल्द्वानी

फैटी लिवर तब होता है, जब लिवर में फैट की मात्रा बढ़ जाती है. यानी जब लिवर के टिशूज़ में फैट 5 प्रतिशत से ज़्यादा हो जाए.

फैटी लिवर के तीन ग्रेड होते हैं. पहला ग्रेड, जिसमें लिवर में फैट 5 प्रतिशत से लेकर 33 प्रतिशत तक होता है. दूसरा ग्रेड, जिसमें लिवर में फैट 34 प्रतिशत से लेकर 66 प्रतिशत तक होता है. तीसरा ग्रेड, जिसमें लिवर में फैट 66 प्रतिशत से भी ज़्यादा होता है.

फैटी लिवर ग्रेड 1

ग्रेड 1 फैटी लिवर में फैट 5 परसेंट से लेकर 33 परसेंट तक होता है. ज़्यादातर इस ग्रेड में लिवर में कोई सूजन नहीं होती. सूजन चेक करने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट किए जाते हैं. अगर लिवर में सूजन नहीं है तो डाइट सुधारकर, रोज़ एक्सरसाइज़ करके और खाने में तेल, घी, मीठा आदि कम करके, इसे कंट्रोल कर सकते हैं.

फैटी लिवर ग्रेड 2

ग्रेड 2 फैटी लिवर में फैट 33 परसेंट से लेकर 66 परसेंट तक होता है. इस ग्रेड में भी लिवर में सूजन चेक की जाती है. अगर लिवर में सूजन होती है तो इसका मतलब दिक्कत बढ़ गई है. इसे NASH (नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस) या MASH (मेटाबॉलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोहेपेटाइटिस) कहते हैं.

लिवर में सूजन होने पर फाइब्रोसिस या सिरोसिस होने का चांस रहता है. इसलिए, इस सूजन का इलाज करने के लिए दवाइयां दी जाती हैं. हालांकि, अगर लिवर में सूजन नहीं है और फैट भी कम है तो कुछ दवाओं से काम चल जाता है. लेकिन, अगर डायबिटीज़, कोलेस्ट्रॉल या हाइपोथायरॉइडिज़्म भी है तो इन बीमारियों को कंट्रोल में लाने की दवाएं भी दी जाती हैं. यानी लिवर में सूजन की दवा के साथ-साथ इन बीमारियों की दवा भी चलती है.

fatty liver
हेल्दी लिवर बनाम फैटी लिवर
फैटी लिवर ग्रेड 3

इस ग्रेड में लिवर में फैट का परसेंट बहुत ज़्यादा हो जाता है. करीब आधे से ज़्यादा लिवर फैट से भर जाता है. इस फैट की वजह से लिवर में सूजन आने लगती है. इसलिए, इसका इलाज कराना बहुत ज़रूरी है. इलाज के जरिए फैटी लिवर होने की वजह को दूर किया जाता है. 

साथ ही, अगर कोई दूसरी बीमारी भी है. जैसे डायबिटीज़, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राइग्लिसराइड, थायरॉइडिज़्म. या फिर कोई ऐसी दवा चल रही है जो लिवर के लिए अच्छी नहीं है, जैसे मिर्गी की, तो इन दिक्कतों को भी ठीक किया जाता है. साथ ही साथ, लिवर में सूजन का उपचार करना भी बहुत ज़रूरी है. अगर सूजन कम नहीं होगी तो फैटी लिवर सिरोसिस की तरफ बढ़ने लगेगा. सिरोसिस एक गंभीर बीमारी है, इसमें लिवर खराब होने लगता है और आखिर में फेल हो जाता है.

फैटी लिवर से बचाव

अगर आपको फैटी लिवर से बचना है तो एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. रोज़ एक्सरसाइज़ करें. अपने खाने में पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, मोटा अनाज, राजमा और सोया शामिल करें. साथ ही, पिज़्ज़ा, रेड मीट, फ्राइड फूड, ऐडेड शुगर वाली चीज़ें, जैसे कैंडी, कुकीज़, सोडा और फ्रूट जूस न पिएं. शराब से दूर रहें क्योंकि फैटी लिवर की एक बड़ी जड़ यही है. सबसे ज़रूरी बात, डॉक्टर से सलाह लेकर आप साल में एक बार लिवर फंक्शन टेस्ट ज़रूर करवाएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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