The Lallantop
Advertisement

क्या वाकई में वायनाड में राहुल गांधी के आगे कोई चुनौती नहीं? CPI गेम ख़राब करेगी या BJP?

इस बार वायनाड चुनाव की डगर Rahul Gandhi के लिए आसान नहीं होगी. उनके सामने दोनों ही पार्टियों से तगड़े दावेदार हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन और CPI से ऐनी राजा.

Advertisement
rahul gandhi waynad seat
केरल की सभी 20 सीटों पर 26 अप्रैल को एक ही चरण में वोट पड़ेगा.
font-size
Small
Medium
Large
22 अप्रैल 2024 (Updated: 23 अप्रैल 2024, 08:26 IST)
Updated: 23 अप्रैल 2024 08:26 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भरसक निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वायनाड (Waynad Loksabha) में मतदान होने के बाद कांग्रेस को राहुल गांधी के लिए दूसरी सीट तलाशनी पड़ेगी. केरल की वायनाड लोकसभा पर मतदाताओं और राजनीतिक जानकारों की पैनी नज़र है. वहां से सांसद राहुल गांधी की भी नज़र है. हालांकि, इस बार वायनाड चुनाव की डगर उनके (Rahul Gandhi) लिए आसान नहीं होगी. उनके सामने दोनों ही पार्टियों से तगड़े दावेदार हैं.

BJP ने तो अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को मैदान में उतार दिया है. वहीं, वाम दल ने ऐनी राजा को टिकट दिया है. कहा जा रहा है कि इसीलिए पिछली बार दो पर्चे भरने वाले राहुल गांधी ने इस बार उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के 'गढ़' अमेठी से चुनाव लड़ने का फ़ैसला टाल दिया है. वायनाड में वोटिंग हो जाने के बाद तय करेंगे. माने प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी इस मामले में मतैक्य हैं, कि वायनाड में वोटिंग के बाद बहुत कुछ तय होना है.

अमेठी को टाटा! बाय बाय!

अमेठी कांग्रेस का पुराना ‘क़िला’ था. 1977 में जनता पार्टी के टिकट से रविंद्र प्रताप सिंह और 1998 में BJP से संजय सिंह का अपवाद छोड़ कर जब से ये सीट चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में है, तब से कांग्रेस प्रत्याशी जीत रहे हैं. गांधी परिवार ने भी इस सीट पर पर्याप्त समय दिया है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हों या उनके भाई संजय गांधी, या पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी पत्नी सोनिया गांधी. राहुल से पहले तीन गांधी इसी सीट से चुनकर संसद गए हैं. साल 2004 में राहुल चुनावी राजनीति में आए और आते ही अमेठी से 2004 का लोकसभा चुनाव जीता.

फिर 2009 और 2014 में भी इसी सीट से चुनाव जीता. साल 2019 में हार गए. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से. 55,000 से ज़्यादा वोटों के अंतर से.

संभवतः इस हार की आशंका उन्हें पहले से थी. इसीलिए केरल की वायनाड सीट से भी पर्चा भर दिया था. ये फ़ैसला उन्हें फ़ायदेमंद साबित हुआ, क्योंकि राहुल ने 7 लाख से ज़्यादा वोटों के साथ सीट जीती. कुल 64.7% वोट शेयर उनके हिस्से आया.

साल 2008 के परिसीमन के बाद वायनाड लोकसभा वजूद में आई. तब से कांग्रेस के दावेदार ही चुने जा रहे हैं. 2009 में कांग्रेस नेता एमआई शनावास 49.8% वोट शेयर के साथ जीते. फिर 2014 में शनावास दूसरी बार जीते. इस बार उनकी लोकप्रियता कुछ कम हुई थी. वोटों का अंतर घटा.

केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सरकार है. 2021 के विधानसभा चुनाव के आधार पर, कांग्रेस के 3 विधायक हैं, CPM के दो, भारतीय संघ मुस्लिम लीग के एक और एक स्वतंत्र विधायक हैं. लोकसभा पर कांग्रेस का रंग रहता है. 2019 के चुनाव में सूबे की कुल 20 सीटों में से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने 19 सीटें जीतीं. UDF में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और केरल कांग्रेस (एम) शामिल थे.

कांग्रेस ने अकेले 15 सीटें निकाली थीं. इसी लहर में राहुल भी जीते. प्रचंड जीते. कुल 7 लाख 6367 वोट मिले. चार लाख से ज़्यादा वोटों का अंतर. स्केल के हिसाब से केरल के इतिहास में सबसे बड़ी जीत.

राहुल के लिए वायनाड आसान... या नहीं?

नामांकन दाख़िल करने से पहले राहुल गांधी ने अपनी बहन और पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ एक बड़ा रोड शो किया. उनके साथ विपक्षी नेता वीडी सतीसन, कांग्रेस अभियान समिति के संयोजक रमेश चेन्निथला और IUML महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी भी थे. इस रैली में एक 'ग़ैर-मौजूदगी' लोगों को खटकी. IUML के झंडों की ग़ैर-मौजूदगी, जिनका सीट पर ख़ास असर रहता है.

कुछेक नाज़रीन इसे कांग्रेस का सचेत प्रयास बता रहे हैं. दरअसल, जब 2019 में राहुल अपने चुनावी कैम्पेन के लिए आए थे, तब IUML ने उनका भव्य स्वागत किया था. हरे झंडों से पूरी रैली पटी हुई थी. अमित शाह ने तब एक रैली में कांग्रेस पर तंज़ कसा था: "जब वहां कोई जुलूस निकाला जाता है, तो पता लगाना मुश्किल होता है कि भारतीय जुलूस है या पाकिस्तानी."

ये भी पढ़ें - लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान कम क्यों हुआ? 

इन चुनावों में अपने प्रचार अभियान को धक्का देने के लिए राहुल ने कई वादे किए हैं. जैसे, किसानों को फसलों के लिए MSP की क़ानूनी गारंटी, गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा, स्टार्टअप के लिए 5,000 करोड़ रुपये का फंड, सरकारी नौकरियों में 30 लाख रिक्तियों को भरना, सरकारी भर्ती परीक्षा पेपर लीक पर अंकुश लगाने के लिए क़ानून. इसके अलावा उन्होंने महालक्ष्मी गारंटी योजना के तहत गरीब महिलाओं के बैंक खाते में सीधे 1 लाख रुपये सालाना जमा करने का भी वादा किया है.

किससे है मुक़ाबला?

- के सुरेंद्रन: NDA के उम्मीदवार हैं. केरल BJP के प्रदेश अध्यक्ष. इससे पहले 2019 में पतनमतिट्टा लोकसभा से चुनाव लड़ा था. हार गए थे. तीसरे नम्बर पर रहे थे. चुनाव जीता था, कांग्रेस के एंटो ऐंटनी ने.

फिर 2021 विधानसभा चुनावों में उन्होंने दो सीटें लड़ीं – मंजेश्वर और कोन्नी. दोनों ही हार गए. कोझिकोड ज़िले में आने वाली मंजेश्वर सीट पर उन्होंने बढ़िया चुनाव लड़ा था, और IUML के एकेएम अशरफ़ से मात्र 845 वोटों से हारे थे. दूसरी सीट थी, पतनमतिट्टा ज़िले में आने वाली कोन्नी सीट. वहां वो तीसरे नम्बर पर रहे. उस चुनाव में जीते थे, CPI (M) के केयू जेनिश कुमार.

2016 विधान सभा चुनावों में भी उन्होंने मंजेश्वर सीट से चुनाव लड़ा था. लेकिन मात्र 89 वोटों से चुनाव हार गए. चुनाव जीता था IUML के पीबी अब्दुल रज़क ने.

- ऐनी राजा: लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की उम्मीदवार हैं. CPI की एक विंग नैशनल फ़ेड्रेशन ऑफ़ इंडियन वुमन की सेक्रेटरी हैं. इसके अलावा पार्टी की नैशनल एग्ज़ीक्यूटिव की सदस्य हैं. CPI के जनरल सेक्रेट्री डीराजा की पत्नी हैं.

टेलीग्राफ के केएम राकेश लिखते हैं, “राहुल की असली चुनौती ऐनी से है. जनता उनसे जुड़ी हुई है.” हालांकि, वायनाड पहुंची दी लल्लनटॉप की टीम को इस दावे में बहुत दम नहीं मिला. ग्राउंड से जो रिस्पॉन्स हमें मिला है, उसके मुताबिक़ "कम्युनिस्टों के लॉयल काडर का वोट तो ऐनी को ही जाएगा. मगर IUML कांग्रेस के साथ है, इसीलिए उनके प्रभाव को नकार नहीं सकते.

CPI(M) और कांग्रेस INDIA ब्लॉक का हिस्सा हैं, मगर वायनाड पर दोनों के उम्मीदवार लड़ रहे हैं. INDIA में उनके सह-सदस्य और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राहुल पर सवाल उठाए हैं, कि वो दूसरी बार वायनाड से चुनाव क्यों लड़ रहे हैं और किससे. 

दी लल्लनटॉप की तरफ़ से सोनल और अमितेश ग्राउंड पर हैं. वहां उनकी जनरल ऑब्ज़र्वेशन ऐसी है कि राहुल लोकप्रिय हैं. नैशनल लीडर के तौर पर देखे जाते हैं. प्रधानमंत्री पोटेंशियल पर देखे जाते हैं. ‘अच्छे इंसान’ की छवि है. यहां तक कि पुराने लेफ़्ट काडरों के मुताबिक़, ‘फ़ासीवादी’ BJP के ख़िलाफ़ लड़ने की वजह से भी उन्हें बढ़त मिलता है. अप्रोचेबल मालूम पड़ते हैं. ख़ुद भले नहीं दिखते या आते, मगर उनका दफ़्तर बहुत ऐक्टिव है. लोग अपनी गुहार के लिए उनके दफ़्तर पर जुटते हैं.

लोकल मुद्दों के बारे में वोटर के अंदर ये भाव है कि राहुल फंसे हुए हैं. मिसाल के लिए मैन-ऐनिमल क्राइसिस. वायनाड में अक्सर ये ख़बरें आती हैं कि गांव वाले हाथी, जंगली सूअरों के कहर में जी रहे हैं. इन मसलों पर वोटर का मानना है कि इस पर केंद्र की वजह से राहुल कुछ नहीं कर पा रहे. इसीलिए इसका दोष उनके मत्थे नहीं आता.

ये भी पढ़ें - इस राज्य के 6 जिलों में नहीं पड़ा एक भी वोट

राहुल वायनाड से बहुत कम्फ़र्टेबल पोज़िशन पर हैं. उनके ख़िलाफ़ कोई सत्ता-विरोधी लहर नहीं, UDF के मतदाताओं में कोई ख़ास बदलाव नहीं है. वायनाड में किसी को भी राहुल गांधी की जीत की संभावना पर संदेह नहीं है. बस सवाल यही है कि क्या 2019 वाले मार्जिन से जीत पाएंगे.

वीडियो: केरल की अनोखी तस्वीर, एकसाथ दिखा 70 साल पुराना मंदिर, मस्जिद और चर्च

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

लल्लनटॉप चुनाव यात्रा : अखिलेश यादव के नाराज रिश्तेदार ने पूरे परिवार का राज खोल दिया!

लल्लनटॉप चुनाव यात्रा : पीएम मोदी की रैली में आए महिला कार्यकर्ताओं ने कहा, 'बिन मांगे सब कुछ मिल रहा है.'
बंगाल में बीड़ी बनाने वाले ममता बनर्जी से क्यों गुस्सा हैं?
लल्लनटॉप चुनाव यात्रा : चिराग पासवान के गांववालों ने बताया एलजेपी को कितनी सीटें आएंगी!
लल्लनटॉप चुनाव यात्रा : पीएम मोदी से मुलाकात और टिकट बेचने के आरोपों पर चिराग के कैंडिडेट ने क्या बता दिया?
लल्लनटॉप चुनाव यात्रा : धारा 370 और राहुल गांधी पर खगड़िया के CPI (M) उम्मीदवार ने क्या बता दिया?

Advertisement

Advertisement

Advertisement