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महाराष्ट्र चुनाव: इन विधायकों के टिकट तो BJP ने काट दिए, लेकिन पार्टी का असली गेमप्लान नहीं जानते होंगे आप!

BJP ने Maharashtra में Tekchand Sawarkar और Ashwini Jagtap समेत कई विधायकों का टिकट काट दिया है. साथ ही मुंबई की 3 सीटों पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है. इसके पीछे के कारण क्या हैं?

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Tekchand Sawarkar and Chandrashekhar Bawankule
टेकचंद सावरकर और चंद्रशेखर बावनकुले. (फाइल फोटो: X/PTI)
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रवि सुमन
21 अक्तूबर 2024 (Published: 15:31 IST)
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भाजपा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Elections 2024) के लिए 99 उम्मीदवारों की घोषणा की है. BJP की इस पहली लिस्ट पर गौर करें तो अधिकतर मौजूदा विधायकों ने अपना टिकट बचा लिया है. लेकिन पार्टी ने कुछ विधायकों का टिकट काट भी दिया है. ऐसे ही कुछ मौजूदा विधायकों की बात करेंगे, जो पार्टी में अपना टिकट बचा नहीं पाए. और आखिर इसके पीछे पार्टी की क्या रणनीति है?

ऐसी ही एक हाई प्रोफाइल सीट है- कामठी. पार्टी ने यहां से टेकचंद सावरकर का टिकट काट दिया है. उनकी जगह महाराष्ट्र BJP प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को टिकट दिया है. टेकचंद का टिकट कटने के बाद हाल के ही एक वाकये की चर्चा हुई. इस वाकये को उनके टिकट कटने के कारणों से जोड़कर देखा जा रहा है.

Tekchand Sawarkar का बयान

महाराष्ट्र सरकार ने ‘लाडली बहना योजना’ की शुरुआत की, जो मध्य प्रदेश की ‘मुख्‍यमंत्री लाडली बहना योजना’ की तर्ज पर आधारित है. महाराष्ट्र सरकार इस योजना के तहत 21 से 65 साल की महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह देती है. एकनाथ शिंदे सरकार ने इस योजना को चुनाव में भुनाने की कोशिश की है. राज्य में महायुति गठबंधन की सरकार है. इसमें भाजपा के साथ शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और NCP (अजित पवार गुट) शामिल हैं. ये सभी दल इस योजना को चुनाव में भुनाने के प्रयास में हैं. मसलन, मुख्यमंत्री शिंदे सार्वजनिक मंच से इसका गुणगान करते रहे हैं. वहीं NCP नेता और उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने भी इसके प्रचार-प्रसार के लिए जन सम्मान यात्रा की. लेकिन इस प्रक्रिया में एक रुकावट आई. रुकावट के लिए टेकचंद सावरकर को जिम्मेवार ठहराया गया.

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दरअसल, हुआ यूं कि एक तरफ गठबंधन के बाकी नेता लाडली बहन योजना का प्रचार कर रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ टेकचंद ने इसे ‘वोट पाने का जुगाड़’ कह दिया. उन्होंने कहा,

“इतनी बड़ी तिकड़म क्यों की हमने? ईमानदारी और अपने अंत:करण से बताओ. ये तिकड़म क्यों? ऐसा इसलिए ताकि जिस दिन तुम्हारे घर के सामने इलेक्श की पेटी आएगी तो मेरी ये लाडली बहना कमल को वोट देंगी. इसके लिए हमने ये जुगाड़ किया है. सब झूठ बोले होंगे, मैं सच बोल रहा हूं.”

विपक्ष इस योजना को पहले से ‘चुनावी लॉलीपॉप’ की संज्ञा दे रहा था. टेकचंद के बयान ने उनकी बातों पर मुहर लगाने का काम किया. विपक्षी दलों ने इस बयान को हथियार बनाया और इस योजना के लिए बन रही हवा को धीमा कर दिया.

Tekchand Sawarkar
टेकचंद सावरकर. (फाइल फोटो: X)
वोटों का अंतर कम हुआ

2019 में टेकचंद को इस सीट से चंद्रशेखर बावनकुले का टिकट काटकर चुनावी मैदान में उतारा गया था. टेकचंद चुनाव जीत तो गए थे लेकिन बावनकुले के मुकाबले जीत का अंतर काफी कम रहा. बावनकुले को 2004, 2009 और 2014 में कम से कम 30 हजार वोटों के अंतर से जीत मिली. जबकि टेकचंद को 2019 में यहां से 11 हजार वोटों के अंतर से जीत मिली थी.

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द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे राजनीतिक अनुभव के बावजूद जब बावनकुले को 2019 में टिकट नहीं मिला तो उनके समाज से आने वाले लोग नाराज हो गए. इस नाराजगी ने BJP को विदर्भ क्षेत्र में 12 सीटों का नुकसान पहुंचाया.

Parag Shah पर सस्पेंस

मुंबई रीजन में कुल 36 विधानसभा सीटें हैं. भाजपा ने यहां से 14 सिटिंग विधायकों को टिकट दिया है. 3 सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. घाटकोपर ईस्ट से पराग शाह विधायक हैं. वर्सोवा से भारती लवेकर और बोरीवली से सुनील राणे विधायक हैं. इनके नाम पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. सबसे अधिक चर्चा पराग शाह की उम्मीदवारी की है.

कुछ समय पहले से घाटकोपर ईस्ट से टिकट पाने के लिए यहां के पूर्व विधायक प्रकाश मेहता पार्टी पर दबाव बना रहे हैं. हिंदूस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टिकट पाने के लिए उन्होंने बकायदा एक दबाव समूह बनाया है. इसे प्रकाश मेहता मित्र मंडल नाम दिया गया है. इस समूह के बारे में वो कहते हैं कि पार्टी के उनके दोस्तों ने इस ग्रुप को बनाया है. इसमें करीब 3 हजार सदस्य हैं. इस समूह की बैठक भी हुई थी.

दरअसल, साल 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इतना ही नहीं, एक हाउसिंग प्रोजेक्ट के विवाद से नाम जुड़ने के बाद उन्हें आवास मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. पिछले कुछ समय से इस बात की चर्चा थी कि इस सीट पर BJP में दरार पड़ सकती है. 

Prakash Mehta की दावेदारी

हालांकि, अभी इस सीट पर BJP उम्मीदवार का एलान बाकी है. लेकिन पहली लिस्ट से पराग शाह के नाम के गायब होने से इतना तो स्पष्ट है कि प्रकाश मेहता ने यहां अपनी जबरदस्त दावेदारी ठोकी है. ये दावेदारी इसलिए जबरदस्त है क्योंकि वो इस सीट से 6 बार के विधायक रह चुके हैं. 1995 से 1999 तक शिवसेना-बीजेपी सरकार में मंत्री रहे और फडणवीस सरकार में भी मंत्री रहे.

2017 में मेहता ने तत्कालीन कांग्रेस नेता प्रवीण छेड़ा को हराने के लिए बिल्डर पराग शाह को नगर निगम चुनाव में उतारा था. शाह ने छेड़ा को हराया और 2019 में विधानसभा का टिकट हासिल कर लिया. वो जीत गए और मेहता को किनारे कर दिया गया. जुलाई महीने में ही मेहता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया था कि वो इस चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. और पार्टी को इस बात की जानकारी देने वाले हैं.

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इस लिस्ट से गायब प्रमुख लोगों में राम सतपुते का नाम भी शामिल है. वो सोलापुर के सिटिंग MLA हैं. और पश्चिमी महाराष्ट्र से भाजपा के एकमात्र लोकसभा उम्मीदवार थे. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में उन्हें कांग्रेस की प्रणीति शिंदे ने हरा दिया.

Chinchwad से Ashwini Jagtap का टिकट कटा

चिंचवाड़ सीट पर BJP ने सबको चौंकाते हुए अपने मौजूदा विधायक की जगह ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है, जिन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7 लोगों ने पार्टी के सामने अपनी दावेदारी पेश की थी. इनमें मौजूदा विधायक अश्विनी जगताप भी थीं. पार्टी ने उनकी जगह उनके रिश्तेदार शंकर जगताप को टिकट दिया है, जो BJP  पिंपरी-चिंचवाड़ इकाई के प्रमुख भी हैं.

2008 में इस सीट के बनने के बाद से यहां जगताप परिवार को ही जीत मिली है. 2009, 2014 और 2019 में यहां से लक्ष्मण जगताप को जीत मिली. जनवरी 2023 में लक्ष्मण जगताप के निधन के बाद BJP ने उनकी पत्नी अश्विनी जगताप को टिकट दिया. उप चुनाव में उन्होंने NCP के नाना काटे को हराया. विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले अश्विनी जगताप ने भी कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था.

इस बार के भाजपा उम्मीदवार शंकर जगताप, अपने बड़े भाई लक्ष्मण जगताप का चुनावी कैंपेन संभाला करते थे. उन्होंने ही पार्टी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस सीट के लिए 7 लोगों की दावेदारी थी. लेकिन उन्हें चुना गया. उन्होंने कहा कि परिवार में टिकट को लेकर कोई टूट नहीं थी. उन्होंने तय किया था कि जिसे भी टिकट मिलेगा उसे दूसरा व्यक्ति समर्थन देगा. अश्विनी जगताप ने भी कहा है कि वो शंकर के लिए प्रचार करेंगी.

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